SECL Protest: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में लगभग 27 सालों की अधूरी मांग को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश और आर-पार की लड़ाई को लेकर खदान बंद कर धरना प्रदर्शन SECL और जिला प्रशासन की पहल के बाद लगभग 45 घंटों के बाद समाप्त हो गया. प्रदर्शन के दौरान प्रोडक्शन और परिवहन बंद होने से प्रबंधन को करोड़ों के नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा है. दरअसल अधिग्रहीत भूमि के बदले नौकरी व मुआवजा नहीं मिलने से नाराज गेतरा गांव के ग्रामीणों ने रेहर भूमिंगत खदान के मेन गेट को बंद कर अनिश्चित्कालीन हड़ताल शुरू किया था. प्रदर्शन के दौरान दोनों खदानों में कोयला उत्पादन एवं परिवहन बंद होने से प्रबंधन कों करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा था. पहले चरण की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद आंदोलन कर रहे ग्रामीण प्रशासन की भी बात सुनने कों तैयार नहीं थे.
ग्रामीणों का क्या कहना है?
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक मुआवजा एवं नौकरी नहीं मिलेगी, आंदोलन जारी रहेगा. इसी बात को लेकर ग्रामीण अड़े हुए थे और खदान के गेट को बंद कर निश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दिया था. आंदोलित ग्रामीणों का कहना है कि साल 1996-97 एवं 2016-17 में ग्रामीणों की अधिग्रहित भूमि के बदले सालों बीत जाने के बाद भी एसईसीएल प्रबंधन एवं जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण प्रभावित भू स्वामियों कों नौकरी एवं मुआवजा राशि नहीं मिल सकी हैं. बताया जा रहा हैं की 26 फरवरी 1999 में जारी पात्रता सूची के एवज में भी एसईसीएल प्रबंधन द्वारा आज तक नौकरी प्रदान नहीं की गई है. भूमि स्वामी नौकरी और मुआवजा राशि के लिए 27 सालों से भटकने कों मजबूर हैं.
प्रबंधन ने तीन महीने का मांगा समय
45 घंटों से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद जब ग्रामीण हड़ताल से उठने को तैयार नहीं हुए, वहीं कोयला उत्पादन ठप होने से प्रशासन के ऊपर दबाव बढ़ा. जिसके बाद SDM, तहसीलदार और SECL के अधिकारी ग्रामीणों को मनाने के लिए दूसरे दौर की बातचीत शुरू की. करीब चार घंटों की समझाइश के बाद देर रात ग्रामीणों ने आंदोलन इस शर्त पर समाप्त किया कि तीन महीनों में नौकरी मुआवजा प्रकरण का निपटारा किया जाएगा.
अब इसके लिए ग्राम समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें गांव के जनप्रतिनिधि और ग्रामीण होंगे. समिति हर हफ्ते के मंगलवार को बैठक कर इस मामले में होने वाले कार्यों की समीक्षा कर एसडीएम ऑफिस को इससे अवगत कराएगी. SDM इनकी बातों को SECL अधिकारियों तक पहुंचाएंगे और SECL अपने उच्च अधिकारी को इसकी जानकारी देंगे. ऐसे में जल्द ही मामले का निपटारा करने की बात पर ज़ोर दिया गया. इसके बाद यह धरना प्रदर्शन समाप्त हुआ.
प्रबंधन ने ग्रामीणों पर कराया FIR
खदान बंद होने से उत्पादन और परिवहन ठप होने से नुकसान को देखते हुए, प्रबंधक ने आंदोलन कर रहे ग्रामीणों के खिलाफ़ लिखित प्राथमिकी दर्ज कराई है. जिसमें SECL प्रबंधक की ओर से बताया गया है कि गेतरा के निवासी परसोत्तमराम आत्माज कालेश्वर सिंह एवं राधा देवी पति संजय देवांगन के द्वारा गायत्री भूमिगत परियोजना का प्रवेश द्वार बंद करते हुए खदान में कार्यरत श्रमिकों को खदान में प्रवेश करने से रोक दिया गया. जिससे की कोयले का उत्पादन एवं संप्रेषण बाधित हो गया. उत्पादन ठप होने के कारण प्रबंधन को भारी क्षति हई है. शिकायत में यह भी बताया गया है कि कर्मचारियों का आवागमन खदान में बंद होने से सुरक्षा भी बाधित हुई.
उत्पादन और परिवहन हुआ शुरू
45 घंटों तक जहां खदान के कर्मचारियों को अंदर नहीं जाने दिया गया, उत्पादन जिससे ठप पड़ गया था. परिवहन नहीं होने से गाड़ियों की लंबी लाइन खदान में लग गई थी और यह माना जा रहा है कि लगभग 06 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान प्रबंधन को उठाना पड़ा. हालांकि अब जबकि SECL और प्रशासन के दखल से ग्रामीणों को मना लिया गया, जिसके बाद धरना प्रदर्शन खत्म हुआ और एक बार फिर से खदानों में प्रोडक्शन और ट्रांसपोर्टेशन की शुरुआत हो गई.
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