99 लाख से बना था स्टेडियम, यहां खिलाड़ी नहीं, नशेड़ी करते हैं नशे की 'प्रैक्टिस'

Mahasamund Local News: स्टेडियम का नाम सुनते हैं, तो प्राय: हमारे दिल और दिमाग में खेल और खिलाड़ियों की ही तस्वीर उभरती है. लेकिन छत्तीसगढ़ का स्टेडियम इन दिनों खूब चर्चा में है, क्योंकि ये स्टेडियम खिलाड़ियों का नहीं नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. जानें पूरा मामला.

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CG News In Hindi: 99 लाख रुपये की लागत से यहां सालों पहले स्टेडियम बनाया गया था, ताकि जिले में खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा मिले. लेकिन अब इस स्टेडियम का इस्तमाल खिलाड़ी कम और नशेड़ी ज्यादा कर रहे हैं. यहां शराब, गांजा, अफीम और तमाम तरह का नशा लेने वालों की महफिलें गुलजार हो रही हैं. दरअसल ये स्टेडियम महासमुंद जिले के बागबाहरा नगर पालिका के क्षेत्र में बना हुआ है.

NDTV ने किया एक्सपोज 

यहां पुलिस एवं नगर पालिका प्रशासन के ठीक नाक के नीचे नशे का अड्डा बना दिया गया. इस स्टेडियम में खिलाड़ियों के अलावा कुछ युवक पुलिस एवं सेना की भर्ती के लिए दौड़ लगाते हैं.

जैसे ही शाम का सूरज ढलता है, तो नशेड़ियों के कदम स्टेडियम की ओर बढ़ने लगते हैं. स्टेडियम में चूल्हे रखकर मांस पकाया जाता है. डिनर पार्टी की जाती है. शराब, गांजा और अफीम का नशा किया जाता है. ऐसे में यहां आने वाले आम  लोगों के अंदर डर रहता है, क्योंकि वो लोग नशा नहीं करते. युवा डरते हैं, इस स्टेडियम पर आने से. NDTV ने स्टेडियम में चल रही एंटी सोशल एक्टिविटी को एक्सपोज किया है. 

स्टेडियम का निर्माण  2008 में किया गया था

बागबाहरा नगर का एकमात्र ये मिनी स्टेडियम. महासमुन्द जिले में बागबाहरा नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत इस एकमात्र एक खेल स्टेडियम का निर्माण  2008 में किया गया था. 2020 में गेट और बाउंड्री का निर्माण कराया गया. इस स्टेडियम में ओपन जिम और हाई मास्क लाइट भी लगाई गई. बागबाहरा के इस एकमात्र खेल मैदान का वर्तमान में 99 लाख रुपयों की लागत से इस स्टेडियम का उन्नयन हो रहा है. वर्तमान में यह स्टेडियम नशा खोरी का प्रमुख केंद्र बना हुआ है.

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स्टेडियम बना कबाड़खाना

शराब की बोतल, गांजा, अफीम, एवं नशे वाले इंजेक्शन के खाली सामान मैदान एवं सीढ़ियों पर बिखरे पड़े हैं. असामाजिक तत्वों द्वारा स्टेडियम के सीढ़ी पर मुर्गा-मटन भी पकाकर डिनर किया जाता है. स्टेडियम के मेन गेट का ताला भी टूटा हुआ है, इस स्टेडियम में नगर पालिका ने खिलाड़ियों के लिये सारी सुविधा उपलब्ध कराई है. लेकिन बिना देखरेख और सुरक्षा के आज का यह स्टेडियम कबाड़खाना की शक्ल ले लिया है. अब देखना होगा कि इस मामले पर प्रशासन क्या एक्शन लेता है, या फिर ऐसे ही ढिलमुल रवैया रहेगा..

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