Inter Caste Marriage पर दस शिक्षकों ने सुना दिया बहिष्कार का फरमान! प्रताड़ित होने के बाद पीड़िता पहुंची महिला आयोग..

Inter Caste Marriage In CG Surajpur: आज के आधुनिक युग में भी यहां अंतर जाति विवाह एक अपराध के रूप में देखा जा रहा है, ताजा मामला सूरजपुर के उमापुर गांव का है, जहां एक युवक के द्वारा दूसरी जाति में विवाह करने की वजह से तथाकथित समाज के ठेकेदारों के द्वारा उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया गया.

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CG News In Hindi: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर दूर स्थित उमापुर गांव, जहां उमा देवी साहू अपने तीन बच्चों के साथ रहती हैं. उनका एक बेटा आर्मी में है, जबकि दूसरा बेटा फिल्म कलाकार है. छोटे बेटे संजय साहू ने तीन साल पूर्व अंतर जाति विवाह किया था. वहीं, गांव के लोग उसकी शादी में सम्मिलित हुए थे, जबकि कुछ लोगों के द्वारा जाति से बाहर निकलने का फरमान जारी कर दिया गया.

वहीं,समाज के ठेकेदारों के सामने मिन्नत करने के बाद कुछ आर्थिक दंड और बनारस में जाकर दान दक्षिणा देकर उन्हें जाति में शामिल कर लिया गया. लेकिन अब देखना होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है...

घर आने-जाने वाले लोगों को किया बहिष्कृत

वहीं, अभी भी जो लोग उमा देवी के घर आना-जाना करते हैं, उनको समाज से बहिष्कृत करने का फरमान सुना दिया जाता है,जिसको लेकर लगातार उमा देवी मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रही थी. उन्होंने इसकी शिकायत स्थानीय रामानुजनगर थाने में की. लेकिन पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद आखिरकार पीड़ित ने इसकी शिकायत महिला आयोग में की. हम आपको बता दें जिन लोगों के द्वारा समाज से बहिष्कृत करने का काम किया जा रहा है. वह सभी लोग शिक्षक हैं.

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन 10 लोगों पर आरोप लग रहा है. वह सभी शिक्षक हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि शिक्षक की मानसिकता ऐसी होगी तो वह बच्चों को क्या शिक्षा देंगे?

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इन्होंने बहिष्कार की घटना को बताया गलत

वहीं, यह पूरा मामला महिला आयोग के पास पहुंचने के बाद जांच शुरू कर दी गई है, सूरजपुर के महिला बाल विकास की टीम गांव में पहुंची और सभी का बयान लिया. लेकिन नोटिस देने और बुलाने के बावजूद आरोपी पक्ष के लिए कोई भी अपना बयान देने के लिए नहीं पहुंचे. महिला बाल विकास विभाग के द्वारा शुरुआती जांच में यह बात साफ हो गया कि साहू समाज के 10 लोग मिलकर बाकी लोगों को समाज से निकलने का काम किए हैं. वहीं, साहू समाज के पूर्व अध्यक्ष भी बहिष्कार की घटना को गलत ठहराते दिख रहे हैं.

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