कौन है श्याम दादा? बस्तर के इस मोस्ट वांटेड नक्सली ने अचानक क्यों डाल दिए हथियार?

Naxalite Chaitu Shyam Dada Surrender: बस्तर में 25 लाख के इनामी नक्सली चैतू उर्फ श्याम दादा ने 10 साथियों के साथ सरेंडर किया. कई सालों से Security Agencies को चकमा देता रहा था.

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Chhattisgarh Bastar Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का आत्मसमर्पण सिलसिला जारी है. इस बीच बस्तर में बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जहां मोस्ट वांटेड नक्सली चैतू उर्फ़ श्याम दादा ने हथियार छोड़ दिया है. उसके साथ 10 अन्य नक्सलियों ने भी समर्पण किया है. आत्मसमर्पण आईजी पी. सुंदरराज और एसपी शलभ कुमार सिन्हा की मौजूदगी में हुआ. इसे सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. 

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65 लाख इनामी नक्सली समूह ने सरेंडर किया

28 नवंबर 2025 को सरेंडर करने वालों में 25 लाख इनामी चैतू उर्फ़ श्याम दादा, 8 लाख इनामी सरोज उर्फ़, भूपेश उर्फ़ सहायक राम, प्रकाश, कमलेश उर्फ झितरू, जननी उर्फ रयमती कश्यप, संतोष उर्फ सन्नू, नवीन, रमशीला और जयती कश्यप शामिल हैं. इन सभी पर मिलाकर लगभग 65 लाख रुपये का इनाम था. 

Chhattisgarh Bastar Naxal Surrender

मार्च 2025 में दंतेवाड़ा की एक मुठभेड़ के बाद कयास लगाए गए थे कि श्याम दादा मारा गया या जंगल में भाग निकला. उस समय वह सुरक्षा बलों को चकमा देकर भागने में कामयाब रहा था. अब करीब आठ महीने बाद उसने आत्मसमर्पण का रास्ता चुन लिया है.

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Shyam Dada Maoist Bastar: कौन है नक्सली चैतू उर्फ़ श्याम दादा?

छत्तीसगढ़ के सबसे खतरनाक नक्सलियों में गिने जाने वाला चैतू गिरी रेड्डी के नाम से भी जाना जाता है. वह मूल रूप से तेलंगाना के पल्ला गुट्टा का रहने वाला है. कॉलेज के समय वह रेडिकल स्टूडेंट यूनियन से जुड़ा और 1985 में नक्सल संगठन का हिस्सा बन गया. 1990 में उसे दंडकारण्य भेजा गया, जहां उसने पहले गढ़चिरौली में और बाद में दरभा डिवीजन में काम किया.

चैतू नक्सली आंदोलन का सिर्फ फील्ड कमांडर नहीं था, बल्कि संगठन की वैचारिक शिक्षा और विचारधारा फैलाने वाला प्रमुख चेहरा भी माना जाता रहा है. वह दंडकारण्य के मोबाइल पोलिटिकल स्कूल का इंचार्ज था और नए कैडरों को दर्शनशास्त्र, नवजनवादी विचारधारा और कम्युनिस्ट सिद्धांतों का प्रशिक्षण देता था.

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सूत्रों के अनुसार उसकी पत्नी सपनक्का भी सक्रिय नक्सली है और लगभग छह महीने पहले उसे गढ़चिरौली क्षेत्र में देखा गया था. वह शिक्षा विभाग की प्रमुख सदस्य थी और जनताना सरकार के स्कूलों के सिलेबस तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाती थी.

सरेंडर के साथ पुलिस को सौंपे हथियार

सरेंडर के दौरान सभी नक्सलियों ने पुलिस के सामने रायफल, पिस्तौल, विस्फोटक और गोला-बारूद सौंप दिया. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार की सरेंडर नीति के तहत सभी को सुरक्षा, रहने की सुविधा और आर्थिक मदद प्रदान की जाएगी, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में वापस लौट सकें.

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बस्तर में नक्सल मोर्चे पर बड़ा बदलाव

पुलिस महानिदेशक ने बताया कि चैतू जैसे हार्डकोर नक्सली का आत्मसमर्पण बस्तर में शांति बहाली की दिशा में बेहद अहम कदम है. उन्होंने कहा कि इस साल अब तक 150 से अधिक नक्सली या तो मारे गए हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं. आने वाले समय में और नक्सलियों के हथियार डालने की उम्मीद है. 

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