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निजी अस्पताल में बेटे को लड़की से बदलने का आरोप, पैदा हुए थे जुड़वा बच्चे, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा CG का मामला

Chhattisgarh: याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रसव के दौरान एक बेटे और एक बेटी का जन्म हुआ, लेकिन कुछ देर बाद उन्हें बताया गया कि दोनों ही बेटियां हैं.

निजी अस्पताल में बेटे को लड़की से बदलने का आरोप, पैदा हुए थे जुड़वा बच्चे, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा CG का मामला

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के एक निजी अस्पताल में लड़का पैदा होने के बाद उसे लड़की से बदल देने का गंभीर आरोप लगा है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में निजी अस्पताल प्रबंधन और राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता महिला मूलत: दंतेवाड़ा की रहने वाली हैं. 

रायपुर के एक निजी अस्पताल में उन्होंने साल 2023 में जुड़वा बच्चे को जन्म दिया था. महिला का आरोप है कि जब बच्चे का जन्म हुआ तो उन्हें बताया गया था कि एक लड़का और एक लड़की पैदा हुई है, लेकिन बाद में उन्हें दोनों लड़कियां ही पकड़ा दी गईं. 

याचिकाकर्ता ने बिलासपुर हाई कोर्ट से याचिका रद्द होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर लिया है. माता-पिता की याचिका दायर कर बताया है कि अस्पताल ने प्रसव के तुरंत बाद उनके बेटे को लड़की से बदल दिया.

प्राथमिकी दर्ज करने से किया था इनकार

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज कुमार और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर बीते 3 सितंबर को सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने रायपुर के एक निजी अस्पताल के निदेशक और उनकी पत्नी (जो अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रसव के दौरान एक बेटे और एक बेटी का जन्म हुआ, लेकिन कुछ देर बाद उन्हें बताया गया कि दोनों ही बेटियां हैं.

डीएनए परीक्षण कराया गया 

याचिकाकर्ता का दावा है कि उनकी ओर से शिकायत दर्ज कराने के बाद डीएनए परीक्षण कराया गया. रिपोर्ट में एक बच्ची का डीएनए जैविक माता-पिता से मेल खाया, लेकिन दूसरी बच्ची का डीएनए उनसे मेल नहीं खाता था. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह साफ तौर पर बच्चों की अदला-बदली का मामला है और उच्च न्यायालय ने बिना विस्तृत जांच किए याचिका खारिज कर दी. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर विचार की आवश्यकता है. अब इस पर चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी. उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने छह विशेषज्ञ डॉक्टरों की जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर याचिका खारिज की थी, जिसमें किसी गड़बड़ी की आशंका से इनकार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी पक्षों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब भी मांगा गया है.

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