Anti Naxal: नक्सल हमले में आंख की रोशनी खो चुकी राधा ने देखा IPS बनने का सपना, अमित शाह से हुई ये बात

Chhattisgarh News: नक्सली ब्लास्ट में अपने आंखों की रोशनी खोन देने वाली राधा आगे चलकर IPS  बनना चाहती हैं. उसका भाई IAS बनने का सपना देखता है. उनका मानना है कि वह IPS बनकर नक्सलियों का पूरी तरह से अंत करे.

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Raipur News: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के जंतर-मंतर स्थित धरना स्थल पर एक लड़की हर आने जाने वाले को बहुत गौर से देख रही है. पूछने पर कहती है, 'मेरा नाम राधा है, बस्तर (Bastar) से आई हूं. उम्र 13 साल है. कक्षा 9वीं में पढ़ती हूं...' असल में राधा (Radha) नक्सल हिंसा से पीड़ित उस 55 लोगों के समूह के साथ हैं, जो छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर से दिल्ली न्याय और शांति की गुहार लगाने आए हैं. राधा अपने से एक साल बड़े भाई रामू सलाम के साथ इस टीम का हिस्सा बनी है. रामू (Ramu) राधा की ओर देखते हुए कहता है कि 'मैं और ये घर से आंगनबाड़ी की ओर जा रहे थे. रास्ते में पेड़ के पास हमें एक टिफिन पड़ा दिखा. हमने उसे उठाया तो धमाका हो गया. इस धमाके से मेरे हाथ और कमर में गहरी चोट लगी. इसके गहरे निशान आज भी है...' रामू को बीच में रोकते हुए राधा कहती हैं, 'सर मेरी तो बाईं आंख की रोशनी ही चली गई है. दायीं आंख से भी थोड़ा कम ही दिखता है.' अपनी परेशानी को बताते के लिए दोनों ने अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की और राष्ट्रपति से भी मुलाकात कर सकती हैं. 

नक्सल हमले में आंखों की रोशनी खो चुकी है राधा

कैसे हुआ था राधा के साथ हादसा

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के नक्सल प्रभावित कोंगेरा गांव के रहने वाले रामू बताते हैं कि साल 2013 में नक्सलियों के प्लांट टिफिन बम ने हमारे हंसते खेलते परिवार को जिंदगी भर की परेशानी दे दी. घटना का महीना पूछने पर रामू बड़ी मासूमियत से कहता है, 'महीना याद नहीं है, ठंड का मौसम था. जिस महीने में दाल की पैदावार होती है, वही महीना था.'

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अमित शाह से की मुलाकात

अपनी परेशानी और दुख को लेकर राधा और राजू ने अमित शाह से मुलाकात की. उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से अपनी परेशानी बताई और कहा कि जो हमारे साथ हुआ है वह किसी और के साथ न हो, ये जरूर सुनिश्चित करें. इसपर शाह ने कहा, '31 मार्च 2026 तक पूरे क्षेत्र से नक्सलिओं को निरस्त कर दिया जाएगा. हम आपका दुख झेल तो नहीं सकते हैं, लेकिन समझ जरूर सकते हैं. आपकी सहायता के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे.'

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'हमारे जैसा दुख और कोई न झेले'

राधा और रामू कहते हैं, 'हम दिल्ली इसलिए आये हैं ताकि अपनी बात जिम्मेदारों तक पहुंचा पाएं. हम कहना चाहते हैं कि बस्तर में शांति बनाये रखने के लिए काम हो और नक्सल हिंसा से हमें आजादी मिले. जिस तरह से नक्सल हिंसा से हमारी जिंदगी खराब हुई, वैसे आने वाली पीढ़ी की न खराब हो. इसके लिए जरूरी कदम उठाये जाएं.' 

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राधा और राजू अपनी परेशानी लेकर पहुंचे दिल्ली

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नक्सलियों का खात्मा करना चाहती हूं-राधा

गांव के ही स्कूल से कक्षा 9वीं की पढ़ाई कर रही राधा मामले को लेकर कहती है, 'मैं पढ़ लिखकर IPS बनाना चाहती हूं. IPS बनकर नक्सलियों का खात्मा करना है. बस्तर में शांति लानी है. बस्तर को नक्सल हिंसा से मुक्त करना है.' इसी बीच रामू कहते हैं कि मुझे IAS बनना है. बस्तर में नक्सल हिंसा के खात्मे के साथ विकास भी करवाना है.

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