Pahalgam Terrorist Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में बीता मंगलवार पर्यटकों के लिए किसी दुःस्वपन से कम नहीं था. पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले में कुल 26 पर्यटक मारे गए, लेकिन एक तरफ जहां आंतक से पहलगाम से धरती लाल हो रही थी, तो दूसरी ओर इंसानियत की मिसाल बने एक कश्मीरी गाइड ने अपनी जान को जोखिम में डालकर छत्तीसगढ़ से आए पर्यटकों के एक समूह की जान बचा ली.
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एक बड़े आतंकी हमले में आंतकियों ने कुल 26 पर्यटकों की नृसंश हत्या कर दी
गौरतलब है बीते मंगलवार को पहलगाम में हुए एक बड़े आतंकी हमले में आंतकियों ने कुल 26 पर्यटकों की नृसंश हत्या कर दी थी. आंतकी घटना के बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की, इनमें सिंधु जल संधि पर रोक शामिल है.
छत्तीसगढ़ के गांवों व शहरों में घूम-घूमकर कश्मीरी शॉल बेचना था कश्मीरी गाइड
रिपोर्ट के मुताबिक सर्दियों में छत्तीसगढ़ के गांवों व शहरों में घूम-घूमकर कश्मीरी शॉल व कपड़े बेचने वाले कश्मीरी गाइड शाह पहलगाम घूमने आए छत्तीसगढ़ के 11 लोगों के समूह के लिए देवदूत बन गए. एक ओर जब पहलगाम के बैसरन घाटी में आतंकवादी बेगुनाह लोगों पर गोलियों की बौछार कर रहे थे, तब नजाकत अहमद शाह लोगों को जान बचा रहे थे.
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पहलगाम घूमने गए 11 लोगों का समूह 22 अप्रैल को बैरसन घाटी पहुंचा था
छत्तीसगढ से पहलगाम घूमने गए 11 लोगों का समूह गत 17 अप्रैल को जम्मू पहुंचा था और 22 अप्रैल को कश्मीर घाटी में पहलगाम घूमकर छत्तीसगढ़ लौटने वाले थे, लेकिन उनके लिए 22 अप्रैल का दिन मनहूस साबित हुआ, जब आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला कर प्रदेश के दिनेश मिरानिया समेत 26 लोगों की हत्या कर दी.
कश्मीरी गाइड शाह ने कश्मीर घूमने के लिए लोगों को आमंत्रित किया था
कश्मीर में गाइड के रूप में काम करने वाले शाह ने बताया कि वे सर्दियों के मौसम में अक्सर छत्तीसगढ़ आते हैं और चिरमिरी शहर और उसके आसपास के गांवों में तीन महीने शॉल बेचते हैं. इस दौरान शाह की पहचान अग्रवाल और उनके साथियों से हो गई और शाह ने उन्हें कश्मीर घूमने के लिए आमंत्रित किया.
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गाइड शाह जम्मू से सभी को दो वाहनों में लेकर कश्मीर घाटी लेकर पहुंचा था
शाह ने बताया कि गत 17 अप्रैल को छत्तीसगढ़ से 11 लोगों का समूह जम्मू पहुंचा था और जम्मू से उसने ही सभी को दो वाहनों में कश्मीर लेकर पहुंचा था. बकौल शाह, मैं उन्हें श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमर्ग ले गया और आखिरी पड़ाव में हमने पहलगाम जाने का फैसला किया, क्योंकि उसका गांव पहलगाम के करीब था और मैं उनकी मेजबानी करना चाहता था.
लोग तस्वीरें खींच रहे थे, तभी गोलियों की आवाज आई और सभी इधर-उधर भागन लगे
कश्मीरी गाइड ने बताया कि 22 अप्रैल को दोपहर करीब 12 बजे समूह के साथ वह बैसरन घाटी पहुंचा था. पर्यटक टट्टू की सवारी और तस्वीरें खींचने में व्यस्त थे. करीब दो बजे उसने साथी लकी (कुलदीप) से कहा कि देर हो रही है, इसलिए हमें चलना चाहिए, लेकिन तस्वीरें खींचने में व्यस्त थे, तभी गोलियों की आवाज दी और लोग इधर-उधर भागन लगे.
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बच्चों को पहलगाम में सुरक्षित छोड़ने के बाद कश्मीरी गाइड दोबारा पहलगाम लौटा
बकौल कश्मीरी गाइड, बच्चों को पहलगाम में सुरक्षित छोड़ने के बाद वह दोबारा पहलगाम वापस गया, क्योंकि परिवार के कुछ सदस्य पीछे रह गए थे और उन्हें पहलगाम ले आया. उसने शुक्र मनाते हुए कहा कि उसने छत्तीसगढ़ से आए सभी 11 मेहमानों को सुरक्षित पहलगाम ले जाने में सफल रहा.
बैसरन घाटी में हुए आंतकी हमले में गाइड के ममरे भाई आदिल हुसैन मौत हो गई
कश्मीरी गाइड ने बताया कि बैसरन घाटी में हुए आंतकी हमले में उसके भाई (मामा के बेटे) आदिल हुसैन मौत हो गई. वह इसके जनाजे तक में शामिल नहीं हो सका, क्योंकि उसने छत्तीसगढ़ से आए पर्यटकों को पहले सुरक्षित श्रीनगर छोड़ने का फैसला किया. उसने बताया कि वह ग्रुप में शामिल लोगों को कई वर्षों से जानता था और उनके जिले मेंशॉल बेचने जाता था.
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सुरक्षित लौटे अरविंद अग्रवाल ने फेसबुक पर पोस्ट किए शाह के साथ बेटी की तस्वीर
उल्लेखनीय है पहलगाम में हुए आंतकी हमले से सुरक्षित बचकर लौटे छत्तीसगढ़ के पर्यटकों में शामिल अरविंद अग्रवाल ने शाह के साथ अपनी और अपनी बेटी की तस्वीरें पोस्ट की है और सोशल मीडिया पर लिखा, आपने अपनी जान दांव में लगाकर हमारी जान बचाई, हम नजाकत भाई का अहसान कभी नहीं चुका पाएंगे.
'मेरे भाई, जिस जज़्बे व बहादुरी से आपने हमें निकाला, वो मंजर मेरे जहन में है'
एक अन्य पर्यटक स्थापक ने भी शाह के साथ अपनी और अपने परिवार की तस्वीरें साझा की है और अपनी जान बचाने के लिए शाह की सराहना की है. स्थापक ने कहा है कि वह उन्हें जीवन भर नहीं भूलेंगे. उन्होंने आगे लिखा, ''मेरे भाई, आपने जिस जज़्बे और बहादुरी से हमें वहां से निकाला, वो मंजर अभी भी मेरे जहन में है.