छत्तीसगढ़ में चुनावी वायदों का इफेक्ट: धान खरीद केन्द्रों में पसरा सन्नाटा, नई सरकार के इंतजार में किसान

Chhattisgarh Paddy Purchase 2023: चुनावी साल का असर धान खरीदी पर भी देखने को मिल रहा है. नई सरकार बनने और कर्ज माफी के साथ ही नई दरें की उम्मीद में किसान धान बेचने से बच रहे हैं. दरअसल, भाजपा 3100 रुपए प्रति क्विंटल तो कांग्रेस ने 3200 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने की घोषणा कर रखी है.

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Paddy Cultivation Chhattisgarh: प्रदेश में चुनावी साल का असर धान खरीदी (Chhattisgarh Paddy Purchase) पर भी देखने को मिल रहा है. विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में किसानों को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस (BJP and Congress) दोनों ही दलों ने एक से बढ़कर लुभावने वादे किए हैं. भाजपा ने जहां 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने और एकमुश्त राशि दिए जाने की घोषणा की है. वहीं, कांग्रेस ने 3200 रुपए क्विंटल धान खरीदी के साथ कर्जमाफी की घोषणा कर रखी है. लिहाजा, इसका असर यह हुआ है कि कोरिया जिले में किसान धान बेचने  ही नहीं पहुंच रहे हैं.

दरअसल, राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों का सबसे ज्यादा असर किसानों पर हुआ है. यही वजह है कि जिले के धान खरीदी केंद्र सूने नजर आ रहे हैं. बता दें कि जिले में 1357 ऐसे किसान हैं, जो बीते साल 8 करोड़ रुपए का कर्ज नहीं चुका सके. जबकि इस साल 21 हजार किसानों ने खरीफ फसल के लिए 52 करोड़ रूपए का कर्ज लिया है. केंद्रों पर धान खरीदी भले ही एक नवम्बर से शुरू हो गया है, लेकिन किसान 15 नवम्बर के बाद ही धान बेचने पहुंचते हैं, लेकिन इस बार 20 नवंबर बीतने के बाद भी धान खरीदी केंद्रों पर सन्नाटा छाया हुआ है.

नई कीमत की आस में किसान नहीं बेच रहे हैं धान

कांग्रेस पार्टी की ओर से 3200 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य की घोषणा के बाद किसान असमंजस में फंस गए हैं कि धान अभी से बेचे, या नई सरकार बनने के बाद दिसम्बर महीने में बेचे.

प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब गिनती के 10 दिन बचे हैं. दरअसल, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दावा किया है कि यदि सरकार बनेगी, तो उनका कर्ज माफ कर दिया जाएगा. इसके साथ ही 3200 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदा जाएगा. वहीं, भाजपा ने 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने और राशि एकमुश्त देने का वादा किया है. ऐसे में किसान इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि नई सरकार बन जाए, तभी धान बेचा जाएं.

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46 केंद्रों पर अब तक नहीं पहुंचे एक भी किसान

खड़गवां के किसान श्याम कश्यप ने बताया कि ऐसा नहीं है कि किसान अपनी फसल बेचना नहीं चाहते हैं, लेकिन उन्हें कर्ज माफी की घोषणा ने असमंजस में डाल रखा है. दरअसल, किसानों से कर्ज वसूली लिंकिंग और नकदी से की जाती है, जो किसान धान बेचने के लिए खरीदी केंद्रों में लाते हैं. उनसे वसूली की जाती है.

आलम यह है कि जिले में 46 केंद्रों पर अब तक बोहनी नहीं हुई है. खड़गवां के किसान श्याम कश्यप ने कहा कि ऐसा नहीं है कि किसान अपनी फसल बेचना नहीं चाहते हैं, लेकिन उन्हें कर्ज माफी की घोषणा ने असमंजस में डाल रखा है. उधनापुर के अमित साहू ने कहा कि धान खरीदी केंद्रों तक केवल वे किसान पहुंच सकते हैं, जिन्हें तत्काल रुपयों की जरूरत है. इसका कारण दीपावली या साहूकार, बाजार से कर्ज लेना शामिल है.

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 किसानों ने कर्ज चुकाना किया बंद

नोडल जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी गिरजा साहू ने बताया कि जिले में 21 हजार 886 किसानों ने 52 करोड़ 84 लाख 38 हजार रुपए कर्ज लिया हुआ है. बैकुंठपुर में 6487 किसान पर 24 करोड़ 78 लाख का कर्ज है. इसमें 1357 किसानों पर पिछले साल का करीब 8 करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसका भुगतान वे नहीं कर रहे हैं. इधर समय पर कर्ज वसूली नहीं होने से जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और सहकारी समितियों के संचालकों की परेशानी बढ़ गई है.

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उपज समय पर नहीं बेचने से हो सकता है नुकसान

वहीं, विपणन अधिकारी बुद्धिमान टेकाम ने कहा कि किसानों से कर्ज वसूली लिंकिंग व नकदी से की जाती है, जो किसान धान बेचने के लिए खरीदी केंद्रों में लाते हैं. उनसे वसूली की जाती है. उन्होंने कहा कि किसानों को बिना किसी व्यवधान के धान बेचना चाहिए. अगर समय पर उपज नहीं बेचते हैं, तो किसानों को ही नुकसान होगा. सभी किसानों के पास धान को सुरक्षित रखने के संसाधन नहीं है. वहीं, जिले के समिति प्रबंधको का कहना है कि यदि कर्ज माफी होती है, तो सभी किसानों को इसका लाभ मिलेगा. इसलिए किसान धान बेच सकते हैं.

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