MP News: साइबर ठगी के मामले तो रोजाना सामने आते हैं लेकिन मध्य प्रदेश में जानवरों के नकली अंगों की ठगी करने वाले एक गिरोह का भांडाफोड़ हुआ है. दरअसल, जंगली जानवरों का शिकार कर उनके अंगों की तस्करी करने वाले पारधी समुदाय जानवरों के अंगों के ठगी के बाजार में उतर चुका है.
मध्यप्रदेश टाइगर स्ट्राइक फोर्स और एटीएस ने डिंडोरी में ऐसे ठगों को पकड़ा है जिन्होंने बाघ के नकली अंगों को बेचने का कारोबार दुनिया भर में फैला रखा था. बाघ के मूंछ के बाल की जगह जंगली सुअर के बाल, नाखूनों की जगह प्लास्टिक-मोम के नाखूनों का ये कारोबार ऑनलाइन चल रहा था और इसके खरीदार सात समुंदर पार बैठे होते थे.
डिंडोरी के डीएफओ पुनीत सोनकर बताते हैं कि बड़े पैमाने पर जंगली जानवर बाघ के नकली दांत, मूंछ, ऑनलाइन बेचते थे. इसके खरीदार के बारे में सबकुछ ऑनलाइन होता है. यही कारण था कि लोग आसानी से ठगी का शिकार होते थे.
सख्ती की वजह से शिकारी ठगी के कारोबार में उतरे
वन विभाग का कहना है उनकी सख्ती की वजह से शिकारी ठगी के कारोबार में उतर गये हैं. वहीं जबलपुर के एसपी एटीएस राजेश भदौरिया ने कहा कि पारदी समाज लोग अंधविश्वास का फायदा उठाकर बड़े पैमाने पर लोगों के साथ ठगी करते थे. इनके पास से बड़े पैमाने पर गांजा, शक्तिवर्धक दवाओं के लिए हथीजोड़ा की नकली दवा और कई सामान बरामद हुआ है. जांच जारी है.
‘मामले की जांच सीबीआई करे'
दूसरी ओर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट चाहते हैं पूरे मामले की जांच सीबीआई करे. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे का कहना है कि पारधी समुदाय देश भर में बाघों के शिकार को लेकर सक्रिय रहा है. इनके शिकार के तौर-तरीके बेहद शातिर हैं. जांच एजेंसी इनके आकाओं पर हाथ डालने में नाकाम रही. मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.
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