Good News: माओवादियों का आतंक खत्म, इस योजना से बदल रहा नक्सलगढ़ मुलेर, ये सुविधाएं हितग्राहियों तक पहुंचीं

Niyad Nellanar Yojana: छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्वपूर्ण योजनााअें में से एक है नियद नेल्लानार योजना. इस योजना में नक्सल प्रभावित सुदूर इलाकों में रहने वाले लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं. इसके अलावा इस योजना के द्वारा लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है. आइए जानते हैं मुलेर में कैसे बदलाव आया है.

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Niyad Nellanar Scheme Chhattisgarh: दंतेवाड़ा (Dantewada) ज़िले के कुआकोंडा ब्लॉक का अरनुपर इलाके में एक समय माओवादियों की तूती बोला करती थी. इस क्षेत्र में माओवादियों की समांतर सरकार पर पुलिस (Police) लगातार प्रहार कर रही है. यहां पर अब सुरक्षा बलों ने माओवादियों के इस गढ़ को लगभग भेद दिया है. कुआकोंडा ब्लॉक का मुलेर गांव भी अब नक्सल मुक्त हो चुका है. जिला प्रशासन अब यहां नियद नेल्लानार (मेरा सुन्दर गांव) योजना (Niyad Nellanar Scheme) के तहत विकास की बयार पहुंचाने में लगी हुई है. जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के तरफ से जिले के अंतिम छोर में बसे मुलेर गांव में नियद नेल्लानार योजना के तहत यहां योजनाएं धरातल पर उतारी जा रही हैं. दो करोड़ 62 लाख रुपए खर्च कर हरी-भरी पहाड़ियों से घिरे सुंदर मुलेर को बेहद सुंदर बनाने का प्रयास जारी है.

सुरक्षा कैंप से लेकर विकास कार्य तक

जिला प्रशासन के तरफ से ग्रामीणों तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने का प्रयास जारी है. सुरक्षा कैंप खिलने के बाद से सड़क निर्माण कार्य चल रहा है. पुल-पुलिया बनाई जा रही है. सरकार नियद नेल्लानार के तहत बेहतर से बेहतर कार्य  करने के प्रयास में जुटी है. दशकों बाद माओवाद के चुंगल से बहाल हुआ मुलेर अब लोकतंत्र की राह पर है.

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दो जिलों के शरहद में बसा है मुलेर गांव

इस गांव में जाने के लिए सुकमा की ओर से जाना पड़ता है. सुकमा जिले के गादीरास से बड़ेसेट्टी होते हुए मुलेर पहुंचना होता है. कुआकोंड़ा ब्लॉक  का नहाड़ी पंचायत से पहाड़ को चढक़र भी लोग आते-जाते हैं. पहले राशन के लिए पहाड़ से पैदल आकर लोग नहाड़ी लेने आते थे लेकिन अब यह विडंबना दूर हो गई. कैंप के खुलने से भले ही सुकमा होते हुए राशन का ट्रक मुलेर तक जा रहा है. सोसायटी बन तो गई है, लेकिन वाहन वहां तक नही पहुंच सकता है. सोसायटी टीन शेड से तैयार की गई है. फेबरीकेटेड दो आंगनवाड़ी बनाई गई है. धीरे-धीरे जिला प्रशासन गांव को नक्सल मुक्त करने के बाद डेवलप करने में लगी हुई है.

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माओवादियों के दो एरिया कमेटी का था सीधा दखल

सुरक्षा बल को माओवादियों की दो एरिया कमेटी से सीधी मुठभेड़ करनी पड़ी. इस क्षेत्र में सुरक्षा बल के जवानों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा है. अरनपुर में बम ब्लास्ट मलांगिर एरिया कमेटी ने किया था. इस बम ब्लास्ट में एक चालक सहित आधा दर्जन से अधिक डीआरजी के जवान शहीद हुए थे. बावजूद इसके सुरक्षा बलों के द्वारा लगातार मलांगेर एरिया कमेटी और केरलापाल ऐरिया केमटी को जबाब देने ऑपरेशन चलाया. मुलेर की पहाड़ी पर गुआगोंडा के जंगल में चल रहे माओवादियों के ट्रेनिंग कैंप को ध्वस्त किया. इसके बाद 23 नंबर 2023 को यहां सीएफ का कैंप स्थापित किया गया. चारों ओर सुंदर वादियों से घिरा मुलेर पंचायत में अब बेहद शांति है. गांव के लोगों का कहना है प्रशासन अब वो सब कुछ दे, जो उन्हें वर्षों से नही मिला है.

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