NDTV की खबर का असर ! दुर्ग के थगड़ा डैम से फेंका जा रहा पानी आखिरकार रोका गया

NDTV की टीम ने अपनी पैनी नजर डाली और इसे प्रमुखता से उठाया, तो प्रशासन हरकत में आया और तुरंत पानी फेंकने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई. अब कहा गया है कि जब तक पानी खुद से नहीं सूख जाता, तब तक किसी भी तरह का उत्खनन नहीं किया जाएगा.

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NDTV की खबर का असर ! दुर्ग के थगड़ा डैम से फेंका जा रहा पानी आखिरकार रोका गया

Chhattisgarh News in Hindi : दुर्ग शहर का थगड़ा डैम.... जो करीब 65 एकड़ में फैला हुआ है. काफी समय से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है. इसे कुछ साल पहले करीब 15-16 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया था. लेकिन हाल ही में यह डैम एक नई समस्या का सामना कर रहा था. वो ये कि इसमें भरा पानी बाहर फेंका जा रहा था. जब इस मुद्दे पर NDTV की टीम ने अपनी पैनी नजर डाली और इसे प्रमुखता से उठाया, तो प्रशासन हरकत में आया और तुरंत पानी फेंकने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई. बता दें कि थगड़ा डैम पर्यटकों और स्थानीय निवासियों दोनों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है... साथ ही हजारों पक्षियों और जलीय जीवों का भी घर है.

वहीं, गर्मी के दिनों में ये इलाका और भी खूबसूरत हो जाता है, जब शाम होते ही यहाँ लोगों की भीड़ जुटने लगती है. पानी की शीतलता और पक्षियों की चहचहाहट से यहां आने वाले लोगों को शांति और सुकून का अनुभव होता है. इसी बीच NDTV की खबर के बाद प्रशासन हरकत में आया और बड़ा फैसला लिया. NDTV पर खबर चलने के बाद, प्रशासन ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की और पानी फेंकने की प्रक्रिया को रोक दिया गया.

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नगर निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल ने NDTV से फ़ोन कॉल पर बातचीत में बड़ा खुलासा किया. उन्होंने बताया कि

• नगर निगम दुर्ग, खनिज विभाग और नेशनल हाईवे अथॉरिटी के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट हुआ है.
• इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत थगड़ा डैम के उत्खनन से निकली पथरीली बजरी का इस्तेमाल सड़क बनाने में किया जाएगा.
• अधिकारियों का ये भी कहना है कि बांध में पानी नहीं रुकता... इसलिए इसे 5 फीट और गहरा किया जाएगा.

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इतनी गर्मी में पानी क्यों फेंका जा रहा था ?

गर्मी के दिनों में जब लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे है... जल स्रोतों पर निर्भरता बढ़ जाती है. ऐसे में यह पानी क्यों फेंका जा रहा था? NDTV ने जब इस मुद्दे को उठाया, तो प्रशासन ने यह तर्क दिया कि बांध में पानी टिकता नहीं है, इसलिए इसे गहरा करने की योजना बनाई गई थी. लेकिन सवाल उठता है कि क्या कोई वैकल्पिक समाधान नहीं निकाला जा सकता था ? क्या गर्मी के इस मौसम में पानी को संरक्षित करने के लिए कोई और उपाय नहीं किया जा सकता था ? NDTV की खबर के तुरंत बाद प्रशासन ने पानी फेंकने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. अब कहा गया है कि जब तक पानी खुद से नहीं सूख जाता, तब तक किसी भी तरह का उत्खनन नहीं किया जाएगा.

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