Water Tourism In Palnar Village : छत्तीसगढ़ के बस्तर के इलाकों में लाल आतंक के बादल छंटने लगे हैं. इस बीच दंतेवाड़ा के एक गांव में अच्छी शुरुआत हुई है. देश के पहले कैशलेश विलेज में वाटर टूरिज्म का आनंद पर्यटक ले सकते हैं. यहां नौका विहार की शुरुआत हो गई है.
जिला पंचायत अध्यक्ष नंदलाल मुंडामी ने कहा कि-
“पालनार में नौका विहार की शुरुआत केवल एक पर्यटन परियोजना नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है. हमारा लक्ष्य है कि दंतेवाड़ा की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को देश और दुनिया के सामने लाया जाए. इससे क्षेत्र की पहचान बढ़ेगी और युवाओं को स्वरोजगार के अनेक अवसर प्राप्त होंगे.पालनार का नौका विहार दंतेवाड़ा जिले में पर्यटन आधारित विकास का नया मॉडल बनकर उभरा है.”
देश का पहला कैशलेस ट्रांजेक्शन विलेज बना था
दंतेवाड़ा जिले का पालनार गांव साल साल 2017-18 को देश का पहला कैशलेस ट्रांजेक्शन विलेज बना था.अब यहां वाटर टूरिज्म की शुरुआत हुई है. इस गांव में नौका विहार का शुक्रवार को शुभारंभ किया गया. जिला पंचायत अध्यक्ष नंदलाल मुंडामी ने फीता काटकर और नाव को रवाना कर इस नवीन पर्यटन स्थल का उद्घाटन किया. इस दौरान ग्रामीणों में भी भारी उत्साह देखने को मिला.
दरअसल पालनार और इसके आसपास का इलाका नक्सलियों को गढ़ कहा है. यहां व्यापारी, बीजेपी के नेता और जिला पंचायत अध्यक्ष नंदलाल मुड़ामी, जवानों पर नक्सली हमला कर चुके हैं. लेकिन पुलिस और सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव के बाद नक्सलियों के पैर उखड़े हैं.
ये भी पढ़ें 20 सालों के बाद मन्नत पूरी हुई तो मां और चाची को सिक्कों से तौला, लोग बोले- बेटा हो तो ऐसा
रोजगार की संभावनाएं
नौका विहार की शुरुआत से ग्रामीणों में खासा उत्साह देखने को मिला. यह पहल केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर भी प्रदान कर रही है. नाव संचालन, पर्यटक गाइडिंग, स्थानीय व्यंजन स्टॉल, हस्तशिल्प बिक्री जैसी गतिविधियों से लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार की संभावनाएं हैं. कार्यक्रम में कुआकोंडा जनपद अध्यक्ष सुकालू मुड़ामी, ग्राम पंचायत पालनार की सरपंच पवित्र मुड़ामी, युवा मोर्चा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुमित भदौरिया, उपसरपंच विघ्नेश सिंहा, हितवार राजीव चौहान, पूर्व उपसरपंच उदय चंद्र सिंहा समेत अनेक जनप्रतिनिधि और सैकड़ों ग्रामीणजन मौजूद रहे.
ये भी पढ़ें ... इसलिए मात खा रहे हैं नक्सली