Special Operation Against Naxal: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर (Naxal Affected Area Bastar) में मंगलवार, 2 अप्रैल को सुरक्षाबलों (Security Forces in Bastar) ने बड़ा ऑपरेशन किया. जिसमें सुरक्षाबलों ने 13 नक्सलियों (Encounter of Naxalites) को ढेर करने में कामयाबी हासिल की. यह कामयाबी इसलिए भी खास क्योंकि यह पहली बार हुआ है जब टीसीओसी यानी टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन के दौरान सुरक्षाबलों ने इतने बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया हो. दरअसल, TCOC एक टर्म है जिसके दौरान नक्सल संगठन (Naxal Organisations) अपनी बदली हुई रणनीति के साथ फोर्स पर हमला करते हैं.
बस्तर क्षेत्र में फैला यह नक्सलवाद काफी पुराना है. वर्ष 1969 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी (Naxalbadi) में जन्मे नक्सलवाद ने 80 के दशक से दण्डकारण्य में पैर पसारना शुरू किया. बीते दो दशक में बस्तर में नक्सली घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ. खासकर टीसीओसी यानी टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन के दौरान. दरअसल, गोरिल्ला युद्ध में दक्ष नक्सली संगठन पतझड़ शुरू होते काफी आक्रामक हो जाते हैं. बीते दो दशक में टीसीओसी के दौरान बस्तर में माओवाद संगठन ने बड़ी हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया है. इनमें साल 2010 में ताड़मेटला में 76 जवानों की शहादत से लेकर मई 2013 में झीरम नरसंहार जैसी हृदयविदारक घटना शामिल है.
TCOC के दौरान सुरक्षाबलों को मिली सबसे बड़ी सफलता
बीते दशक में नक्सलियों के बड़े हमलों से सुरक्षाबलों को काफी नुकसान भी हुआ है. हालांकि, अब हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं. यह पहली बार है जब टीसीओसी के दौरान नक्सली संगठन को उनके गढ़ में मुंह की खानी पड़ी है. इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक जवानों ने करीब 43 नक्सलियों को ढेर किया है. इनमें से करीब 25 नक्सलियों को टीसीओसी के दौरान ही एनकाउंटर में मार गिराया गया है. इसके अलावा 181 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 120 नक्सलियों ने सरेंडर किया है.
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कैंपों की स्थापना के चलते नक्सली हुए कमजोर
नक्सल मोर्चे पर पुलिस की इस बड़ी सफलता के पीछे नक्सलियों के अभेद इलाकों में नए कैंपों की स्थापना को बड़ी वजह बताया जा रहा है. जिससे नक्सल संगठन की पकड़ अपने आधार इलाकों में कमजोर पड़ती जा रही है. बीजापुर का गंगालूर इलाका जिसे कभी नक्सलियों की अघोषित उपराजधानी भी कहा जाता था, अब यहां मुतवेण्डी, कावड़गांव, डुमरीपालनार के अलावा बीजापुर-सुकमा जिले के सरहदी इलाके टेकुलगुड़म, गुंडेम के साथ दुर्दांत नक्सली हिंड़मा के गढ़ उसके गांव पुवर्ती में फोर्स कैंप बना चुकी है.
जवानों के सामने नक्सलियों की गोरिल्ला तकनीक हुई फेल
मंगलवार, 2 अप्रैल को नेंडरा के जंगल में नक्सियों की कंपनी नंबर दो के साथ मुठभेड़ के बाद जवानों ने 13 नक्सलियों को ढेर कर दिया. जिसे बस्तर में टीसीओसी के दौरान स्टेट पुलिस के लिए इसे बड़ी उपलब्धि से जोड़ कर देखा जा रहा है. एंकाउंटर से न सिर्फ नक्सल संगठन का मनोबल टूटा है, बल्कि जिसे नक्सल संगठन अब तक अपना महफूज ठिकाना मानता आया है, उसी गढ़ में घुसकर जवानों की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने नक्सली संगठन की गोरिल्ला नीति पर करारी चोट पहुंचाई है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते दो दशक में टीसीओसी के दौरान बस्तर की जमीन में नक्सलियों ने खूब नुकसान पहुंचाया है.
जवानों ने नक्सलियों को ऐसे किया नेस्तनाबूत
मंगलवार, 2 अप्रैल को हुए बड़े ऑपरेशन के लिए सुरक्षाबलों ने खास तैयारी की. नक्सलियों के लड़ाकू दस्ते को नेस्तेनाबूत करने के लिए जवानों ने चौतरफा घेराबंदी कर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. मुतवेंडी, पालनार, गंगालूर, बासागुड़ा और चेरपाल से सुरक्षाबलों के जवान हथियारों से लैस होकर जंगल में दाखिल हुए. कोर इलाके में दाखिल होते ही इनका सामना नक्सलियों से हुआ. अत्याधुनिक हथियारों से लैस नक्सलियों ने जवानों पर हमला बोला, लेकिन नक्सलियों के सुरक्षा कवच को भेदते जवानों ने 13 नक्सलियों को मौके पर ही ढेर कर दिया. सुबह 6 बजे से शुरू हुई मुठभेड़ पूरे दिन जारी रही, टीसीओसी के बीच जवानों की युद्ध नीति नक्सलियों पर भारी पड़ गई और बासागुड़ में 6 नक्सलियों को ढेर करने के बाद साल के सबसे बड़े एंकाउंटर को अंजाम देने में जवान सफल रहे.
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