कैसे लागू होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति? पीजी कॉलेजों में है भारी खामी, गेस्ट लेक्चरर से चलाया जा रहा है कम पैसों में काम

Chhattisgarh News: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर पूरे प्रदेश से सुझाव लिए जा रहे है. इसी क्रम में बेमेतरा संभाग मुख्यालय में भी एक सेमिनार का आयोजन किया गया.

Advertisement
Read Time: 3 mins
छत्तीसगढ़ में कॉलेजों की हालत ठीक नहीं

National Education Policy 2020: केंद्र सरकार पूरे देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) लाने की प्लानिंग कर रही है. इसके लिए शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) ने पूरे देश से सुझाव मांगे है. इसी क्रम में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार की ओर से कई जगहों पर सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. बेमेतरा (Bemetra) जिला मुख्यालय में एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ के शिक्षा सचिव आर प्रसन्न शामिल हुए. इस सेमिनार में दुर्ग संभाग के लगभग 181 शासकीय व निजी कॉलेजों के प्रिंसिपल भी शामिल हुए. आए हुए शिक्षाविदों की ओर से सभी को बताया गया कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से कैसे युवाओं को प्रोत्साहित करें, कैसे विषयों को शामिल करें, इन्हीं सब विषयों को लेकर चर्चा की गई. लेकिन, प्रदेश के लगभग सभी कॉलेजों का प्रबंधन खस्ता हाल है.

छत्तीसगढ़ में 9 सरकारी यूनिवर्सिटी और 17 प्राइवेट यूनिसवर्सिटी हैं, जिसके अंतर्गत 335 सरकारी कॉलेज और 330 निजी कॉलेज आते हैं. छत्तीसगढ़ के संभाग बार विद्यालयों में पहुंचकर नई शिक्षा नीति को लेकर सेमिनार का आयोजन कर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. वहीं, कॉलेज में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त प्राध्यापक नहीं है. 

कई कॉलेजों में अबतक नहीं हुआ है सेटअप रिव्यू

छत्तीसगढ़ के कई कॉलेज ऐसे हैं, जहां पर सेटअप रिव्यू भी नहीं हुआ है. अगर बात करें बेमेतरा पीजी कॉलेज की, तो यह पीजी कॉलेज 1966 से संचालित है, लेकिन आज तक यहां पर सेटअप रिव्यू नहीं हुआ है. इसकी वजह से शिक्षकों की यहां पर काफी कमी देखने को मिलती है. राज्य शासन की ओर से आज तक इसको लेकर कोई पहल ही नहीं की गई है. 

Advertisement

दुर्ग में एनईपी के लिए किया गया सेमिनार का आयोजन

गेस्ट लेक्चरर से चलाया जाता है काम

राज्य शासन की ओर से कॉलेज में अतिथि प्राध्यापक के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है. यूजी कॉलेज के लिए 6 माह और पीजी के कॉलेज के लिए 8 माह तक ही इन गेस्ट लेक्चरर्स को रखा जाता है. इन्हें प्रति व्याख्यान ₹300 दिया जाता है और अगर कोई सहायक अध्यापक बीमार पड़ जाए या शासकीय छुट्टी या त्योहार में छुट्टी ले लेता है, तो उन्हें पेमेंट नहीं दिया जाता. हालत यह है कि अगर कोई महिला प्राध्यापक प्रस्तुति अवकाश में चली जाए तो उन्हें पेमेंट नहीं मिलता. यहां तक कि उन्हें नौकरी से निकाल भी दिया जाता है. जिसको लेकर अतिथि प्राध्यापक कॉलेज में पढ़ाने के लिए कई बार इनकार भी कर देते हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें :- हनीट्रैप: वाट्सएप पर दोस्ती कर मिलने के लिए कमरे में बुलाया, न्यूड वीडियो बनाया....फिर ऐसे लूटे पैसे और गहने

Advertisement

विद्यार्थियों की शिक्षा के साथ हो रहा है कॉम्प्रोमाइज

दिया जाता है कम वेतन

तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत अतिथि शिक्षक, जो सिर्फ पीजी की डिग्री लेकर आते है, उन्हें ₹800 प्रति व्याख्यान दिया जाता है. वहीं, पीजी और यूजी कॉलेज में पढ़ाने वाले पीएचडी, एमफिल, नेट और स्लेट पास अतिथि प्राध्यापकों को महज ₹300 प्रति व्याख्यान दिया जाता है. राज्य में लगभग 2710 अतिथि प्राध्यापक हैं जो विभिन्न कॉलेजों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. कई अतिथि शिक्षक ऐसे हैं जो पिछले 25 सालों से अपनी सेवाएं कॉलेज में दे रहे हैं, लेकिन आज तक वह रेगुलर ही नहीं हो पाए हैं.

ये भी पढ़ें :- MP Bypolls: मध्य प्रदेश समेत 7 राज्यों में उपचुनाव की घोषणा, छिंदवाड़ा के अमरमाड़ा विधानसभा में 10 जुलाई को होगा मतदान