National Education Policy 2020: केंद्र सरकार पूरे देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) लाने की प्लानिंग कर रही है. इसके लिए शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) ने पूरे देश से सुझाव मांगे है. इसी क्रम में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार की ओर से कई जगहों पर सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. बेमेतरा (Bemetra) जिला मुख्यालय में एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ के शिक्षा सचिव आर प्रसन्न शामिल हुए. इस सेमिनार में दुर्ग संभाग के लगभग 181 शासकीय व निजी कॉलेजों के प्रिंसिपल भी शामिल हुए. आए हुए शिक्षाविदों की ओर से सभी को बताया गया कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से कैसे युवाओं को प्रोत्साहित करें, कैसे विषयों को शामिल करें, इन्हीं सब विषयों को लेकर चर्चा की गई. लेकिन, प्रदेश के लगभग सभी कॉलेजों का प्रबंधन खस्ता हाल है.
कई कॉलेजों में अबतक नहीं हुआ है सेटअप रिव्यू
छत्तीसगढ़ के कई कॉलेज ऐसे हैं, जहां पर सेटअप रिव्यू भी नहीं हुआ है. अगर बात करें बेमेतरा पीजी कॉलेज की, तो यह पीजी कॉलेज 1966 से संचालित है, लेकिन आज तक यहां पर सेटअप रिव्यू नहीं हुआ है. इसकी वजह से शिक्षकों की यहां पर काफी कमी देखने को मिलती है. राज्य शासन की ओर से आज तक इसको लेकर कोई पहल ही नहीं की गई है.
गेस्ट लेक्चरर से चलाया जाता है काम
राज्य शासन की ओर से कॉलेज में अतिथि प्राध्यापक के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है. यूजी कॉलेज के लिए 6 माह और पीजी के कॉलेज के लिए 8 माह तक ही इन गेस्ट लेक्चरर्स को रखा जाता है. इन्हें प्रति व्याख्यान ₹300 दिया जाता है और अगर कोई सहायक अध्यापक बीमार पड़ जाए या शासकीय छुट्टी या त्योहार में छुट्टी ले लेता है, तो उन्हें पेमेंट नहीं दिया जाता. हालत यह है कि अगर कोई महिला प्राध्यापक प्रस्तुति अवकाश में चली जाए तो उन्हें पेमेंट नहीं मिलता. यहां तक कि उन्हें नौकरी से निकाल भी दिया जाता है. जिसको लेकर अतिथि प्राध्यापक कॉलेज में पढ़ाने के लिए कई बार इनकार भी कर देते हैं.
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दिया जाता है कम वेतन
तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत अतिथि शिक्षक, जो सिर्फ पीजी की डिग्री लेकर आते है, उन्हें ₹800 प्रति व्याख्यान दिया जाता है. वहीं, पीजी और यूजी कॉलेज में पढ़ाने वाले पीएचडी, एमफिल, नेट और स्लेट पास अतिथि प्राध्यापकों को महज ₹300 प्रति व्याख्यान दिया जाता है. राज्य में लगभग 2710 अतिथि प्राध्यापक हैं जो विभिन्न कॉलेजों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. कई अतिथि शिक्षक ऐसे हैं जो पिछले 25 सालों से अपनी सेवाएं कॉलेज में दे रहे हैं, लेकिन आज तक वह रेगुलर ही नहीं हो पाए हैं.
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