Anti-Naxal Operation in Narayanpur: नारायणपुर में (Narayanpur Encounter) नक्सली मुठभेड़ में 8 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस महीने की 12 तारीख को जिले के अबुझमाड़ क्षेत्र में स्थित कुतुल, फरसबेड़ा और कोड़तामेटा गांव के जंगल में नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया गया था. इस घटना में सुरक्षाबल का एक जवान शहीद हो गया तथा दो अन्य घायल हैं. इस अभियान में अभियान में नारायणपुर-कोण्डागांव-कांकेर- दन्तेवाड़ा जिले का डीआरजी, विशेष कार्य बल और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 53वीं वाहिनी का बल शामिल थे. दो दिन से इलाक़े में एंटी नक्सल ऑपरेशन (Anti Naxal Operation) लॉन्च किया गया है. पुलिस के अनुसार पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आज सुबह से सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ जारी है, इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने आठ नक्सलियों को मार गिराया है. इस घटना में सुरक्षाबल का एक जवान शहीद हुआ है तथा दो अन्य जवान घायल हैं. घायल जवानों को जंगल से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है. पिछले दो दिनों में भी क्षेत्र में कई बार रुक-रुककर गोलीबारी हुई है. क्षेत्र में तलाश अभियान जारी है.
बदल रहा है नक्सल प्रभावित इलाका
छत्तीसगढ़ के CM विष्णु देव साय यह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके प्रदेश छत्तीसगढ़ में यदि नक्सली गोली की भाषा ही समझेंगे तो सरकार उनको उसी भाषा में जवाब देगी. वहीं सरकार उनके आत्मसमर्पण के लिए बात करने को भी तैयार है. वहीं छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम (Deputy Chief Minister Chhattisgarh) विजय शर्मा (Vijay Sharma) के अनुसार छत्तीसगढ़ से माओवाद की काली छाया जल्द दूर होगी. 13 जून तक 128 नक्सली हुए ढेर, 503 नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई और 437 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. सरकार “नियद नेल्लानार योजना” से बस्तर के नक्सल प्रभावित गांवों को सुविधाएं मिल रही हैं. ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के साथ अधोसंरचना विकास का लाभ मिल रहा है. सरकार के अनुसार ढाई दशक से लंबा समय आतंक के साये में बिताने के बाद जगरगुंडा, अरनपुर, बेदरे, सिलगेर, चिंतलनार, ताड़मेटला, तर्रेम इलाकों के हालात और तस्वीर में बड़ा बदलाव दिखने लगा है. बदलाव की सबसे बड़ी वजह सड़क है. नियद नेल्लानार योजना के माध्यम से सुकमा के दूरस्थ जगरगुंडा में जहां सड़क नहीं बन पाती थी वहीं अब सरकार के संकल्प से सड़कें बन रही हैं.
डिप्टी सीएम विजय शर्मा का कहना है कि हम तो नक्सलियों से ही पूछना चाहते हैं कि, वे बताएं समर्पण नीति में क्या चाहते हैं? बंदूक रखकर जंगल में घूमने का क्या मतलब? मुख्यधारा में चलें, लोकतंत्र अपनाएं, देश और समाज की उन्नति करें.
पिछले 5 महीने तक ही इस साल छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में 110 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके थे. 10 मई को बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 12 नक्सली मारे गए थे. वहीं, 30 अप्रैल को नारायणपुर और कांकेर जिले की सीमा पर सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में तीन महिलाओं सहित 10 नक्सली मारे गए थे. इसके अलावा, सुरक्षाबलों ने 16 अप्रैल को कांकेर जिले में मुठभेड़ में 29 नक्सलियों को मार गिराया था.
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