10 करोड़ के इनामी नक्सली बसवराजू का आखिरी खत...DRG फोर्स निकालकर मार देगी, जहां भी हो छुप जाओ

Basavraju Encounter: नारायणपुर में हुए मुठभेड़ में मारे गए नक्सली चीफ बसवराजू के डेरे से नक्सल डायरी मिली है. अपने साथियों को DRG से बचने छिप जाने की दी नसीहत दी है. 

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नक्सलियों के छक्के छुड़ा रहे हैं डीआरजी के जवान...

Naxalite Basavaraju Red Diary : नक्सलियों में पुलिस की डीआरजी टीम का खौफ है. इस टीम की आमद से ही नक्सल संगठन कांप उठता है. इसकी बानगी एक बार फिर से देखने को मिली.अबूझमाड़ के जंगल में एनकाउंटर में मारे गए 10 करोड़ रुपये के इनामी नक्सली बसवराजू के ठिकाने से पुलिस को डायरी बरामद हुई है. 

बसवराजू के डेरे से जो डायरी मिली है उसमें लाल रंग के स्याही से लिखा हुआ है. जिसमें बसवराजू ने अपने नक्सली साथियों को आगाह करते हुए लिखा है कि प्रिय कामरेड जहां भी हो छुप जाओ, डीआरजी फोर्स ढूंढकर मार देगी... 

इस नक्सली नेता के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने इस डायरी को बरामद कर लिया है. इसके ठिकाने से हथियार सहित और भी सामान मिले हैं. दरअसल 21 मई को पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में बसवाराजू सहित 27 नक्सली ढेर हुए हैं. इस सबसे बड़े एनकाउंटर में डीआरजी टीम की सबसे बड़ी भूमिका है. 

DRG से कांप रहा है नक्सल संगठन

दरअसल नक्सलियों से लोहा ले रही डीआरजी ( डिस्ट्रीक्ट रिजर्व गार्ड) बहुत मजबूत टीम है. नक्सलियों को सेंट्रल फोर्सेज से तो खौफ है ही लेकिन उससे ज्यादा खौफ डीआरजी से है. इसका सबसे बड़ा कारण है इस टीम में शामिल जवान नक्सलियों से आर-पार की लड़ाई लड़ते हैं. 

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इस टीम में न केवल स्टेट पुलिस के अफसर और जवान हैं, बल्कि सरेंडर नक्सली, पीड़ित परिवार के सदस्य और स्थानीय युवा हैं. ये लोग न केवल क्षेत्र की भौगोलिकता, बोली बल्कि नक्सलियों की नब्ज-नब्ज से भी वाकिफ हैं. यही वजह है कि सीधी लड़ाई में डीआरजी के जवानों को बेहद कम नुकसान हुआ है. इन्हें क्षति हुई भी है तो सिर्फ आईईडी से ही. 

महिला-पुरुष सब शामिल 

नक्सलियों से सीधी लड़ाई के लिए डीआरजी का गठन साल 2015 को हुआ था. सफलता को देखते हुए नक्सल प्रभावित जिलों में इस टीम के लिए जवानों की स्ख्या बढ़ाई जाने लगी. इसमें गोपनीय सैनिक से लेकर डीएसपी रैंक के अफसर तक शामिल हैं, जो नक्सलियों से सीधे मोर्चा लेते हैं. साल 2019 को दंतेवाड़ा में सबसे पहले महिला डीआरजी टीम दंतेश्वरी फाइटर्स का गठन हुआ था. इस टीम को पहली बार नक्सलियों से लोहा लेने के लिए उतारा गया था.  

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