Mukesh Chandrakar के 'कातिलों' ने हत्या के बाद सबूत छुपाने में खूब लगाया 'दिमाग', पर SIT ने ऐसे जोड़ दी कड़ियां

छत्तीसगढ़ में जांबाज पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की हत्या के आरोपियों तक पुलिस कैसे पहुंची और एसआईटी ने अपराधियों की ओर से बचने के लिए रची गई साजिशों को कैसे बेनकाब किया, एसआईटी ने गुरुवार को इसकी पूरी जानकारी साझा कर दी. इस खबर में जानिए कि आखिर एसआईटी इस अंधे कत्ल के आरोपियों तक कैसे पहुंची. 

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Journalist Mukesh Chandrakar Murder Case: छत्तीसगढ़ के बस्तर में भ्रष्टाचार को उजागर करने के बाद मौत के घाट उतार दिए गए जांबाज पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की हत्या के संबंध में गुरुवार को पुलिस ने पूरा काला चिठ्ठा खोल दिया. पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने पुलिस को गुमराह करने के लिए खूब दिमाग लगाया, लेकिन कहते हैं न कि कानून के हाथ लंबे होते हैं. इस मामले में भी कुछ ऐसा हुआ. पुलिस की सूझबूझ के आगे आरोपियों की एक न चली और देखते ही देखते सभी आरोपियों को छत्तीसगढ़ एसआईटी की टीम ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

हत्या को अंजाम देकर फरार हो गए थे सभी आरोपी

पुलिस के मुताबिक जांबाज पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की हत्या के सभी आरोपियों ने अपने गुनाहों को छुपाने की पूरी कोशिश की. आरोपियों ने हत्या के सबूत को छुपाने के लिए 3-4 दिन पहले ही फुलप्रूफ योजना बना ली थी. बाकायदा बाड़े में नया सेप्टीक टैंक बनवाया था. लिहाजा, हत्या करने के बाद शव को इसी सेप्टीक टैंक में छुपा दिया. इसके साथ ही हत्या की वारदात को अंजाम देकर सभी आरोपी घटना स्थल से अलग हो गए थे. वहीं, मोबाइल के लोकेशन से पुलिस को गुमराह करने के लिए सबूत मिटाने के लिए मुकेश चन्द्राकर के दोनों मोबाइल को चालू हालत में तुमनार नदी तक ले जाया गया, ताकि पुलिस की जांच पड़ताल में पुलिस को आखिरी लोकेशन तुमनार नदी की ओर दिखाई दे.

पुलिस टीम ने जब मुकेश चन्द्राकर के सभी नंबरों का लोकेशन लेने का प्रयास किया, तो सभी नंबर बंद आ रहे थे. वहीं, लास्ट लोकेशन चेक करने पर नंबर अलग-अलग जगह जैसे नृकनपाल, जांगला सेक्टर जो कि भैरमगढ़ की ओर है, वहां का दिखा रहा था. जब पुलिस पर्याप्त बल और कुछ पत्रकारों को लेकर उन स्थानों पर सर्चिंग की, तो कुछ नहीं मिल पाया.

मोबाइल को चकनाचूर कर नदी में फेंका

आरोपी रितेश चंद्राकर, महेन्द्र रामटेके और दिनेश चन्द्राकर ने हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद साजिश के तहत सबूत मिटाने के लिए मुकेश चन्द्राकर के दोनों मोबाइल को चालू हालत में तुमनार नदी तक ले गया, ताकि पुलिस की जांच पड़ताल में पुलिस को आखिरी लोकेशन तुमनार नदी की ओर दिखाई दे. इसके बाद वहां जाकर मोबाइल फोनों को पत्थरों से चकनाचूर कर नदी में फेंक दिया, जिसे गोताखोरों और अन्य साधनों से अब भी तलाश जारी है.

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आरोपियों ने अपने मोबाइल का डाटा किया डिलीट

ये आरोपी इतने शातिर थे, उन्होंने अपने-अपने मोबाइल में आपसी संवाद से जुड़े सारे डेटा को डिलीट कर दिया था. एसआईटी की जांच में सभी आरोपियों के मोबाइल नंबर में बहुत से डाटा डिलिट मिले, जिनका लैब से परीक्षण कराया जा रहा है.

G-mail के जरिए पुलिस को मिला हत्या वाली जगह का लोकेशन

गुमशुदा पत्रकार  मुकेश चंद्राकर के भाई यूकेश ने Gmail पर अपडेट हुए लास्ट लोकेशन के बारे में पुलिस को जानकारी दी, जब पुलिस ने लोकेशन चेक किया तो, वह चट्टानपारा स्थित मजदूरों के बाड़े का निकला. इसके बाद पुलिस ने तत्परतापूर्वक दिखाते हुए जब एसआईटी के अधिकारी पुलिस बल और कुछ पत्रकारों के साथ जाकर बाड़े का पूरा एरिया सर्च किया, तो वहां 17 लेबर कमरे बने हुए मिले, जिन पर ताले लगे थे. ताला खुलवा कर चेक करने हेतु बाड़े के मालिक सुरेश चन्द्राकर को फोन करके बाड़े की चाबी लाने के लिए कहा गया, तो उसने इस वक्त खुद को  भैरमगढ़ में बताया. उसके आने के बाद उसके समक्ष बाड़े के सभी कमरों को खुलवा कर चेक किया गया. हालांकि, वहां कुछ नहीं मिला.वहीं, बाड़े में नए बनाए गए सेप्टिक टैंक के फ्लोरिंग के बारे में पूछा, तो सुरेश चन्द्राकर ने बताया कि बाथरूम के रिनोवेशन का काम चल रहा है.

ऐसे शव तक पहुंची एसआईटी

रात में ही पुलिस टीम ने संदेह के आधार पर रितेश चन्द्राकर और दूसरे संदेहियों के साथ ही गुमशुदा मुकेश चन्द्राकर के CDR डिटेल के लिए सायबर सेल के माध्यम से प्रतिवेदन भेजा गया. इसकी मदद से आरोपियों के लोकेशन ट्रेस करने के बाद टीम आरोपियों तक पहुंची, जिन्होंने सख्ती के बाद अपना गुनाह कबूल कर लिया. इन लोगों ने बताया कि शव को सेप्टीक टैंक में छुपा दिया गया है. लिहाजा, आरोपियों की निशानदेही पर एसआईटी ने शव उत्खनन की कार्यवाही शुरू की. हालांकि, इससे पहले विधिवत् कार्यपालिक मजिस्ट्रेट को प्रतिवेदन देकर उपस्थित रहने और नगरपालिका के कर्मियों व एफएसएल टीम की उपस्थिति तय कर चट्टान पारा स्थित बाड़ा के सेप्टिक टैंक की खुदाई की गई.

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करीब सुबह के 5 बजे के आस पास 3.01.25 को सेप्टीक टैंक का ढक्कन हटाकर वहां पर टार्च मारकर देखने पर एक पुरुष का शव तैरता हुआ दिखाई दिया. घटनास्थल पर काफी भीड़ हो चुकी थी.  जिसे संरक्षित करने के लिए पर्याप्त बल लगाकर एरिया सील कर दिया गया. पहचान कराये जाने पर शव की पहचान गुमशुदा जांबाज पत्रकार मुकेश चन्द्राकर के रूप में की गई. इसके बाद शव का विधिवत पंचनामा कराया गया, साथ ही घटनास्थल का फॉरेंसिक निरीक्षण करने उपरांत शव को मर्च्यूरी के लिए रवाना कर दिया गया. शव बरामद होने के पूर्व ही घटना में शामिल दो आरोपियों दिनेश व महेन्द्र रामटेके को भी पुलिस ने धर दबोचा . 

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