छत्तीसगढ़ में हिड़मा का अंतिम अध्याय, नक्सली पति-पत्नी का गांव में अंतिम संस्कार, घेराबंदी के बीच जुटी भारी भीड़

Most Wanted Naxal Commander Madvi Hidma Cremated: छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश बॉर्डर पर मुठभेड़ में मारे गए मोस्ट वांटेड नक्सली माड़वी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे का अंतिम संस्कार उनके गांव पूवर्ती में किया गया. इस दौरान भारी भीड़ जुटी और गांव में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही. सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी पहुंचीं और हिड़मा के शव से लिपटकर रो पड़ीं.

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Naxal Commander Madvi Hidma Cremated:  गए पीएलजीए के सीसी मेंबर और मोस्ट वांटेड नक्सली माड़वी हिड़मा का अंतिम संस्कार गरियाबंद में स्थित उसके गृहग्राम पूवर्ती में किया गया. उसकी पत्नी राजे का अंतिम संस्कार भी साथ में ही किया गया. दोनों के अंतिम संस्कार में पूवर्ती, जबगट्टा, बटुम, टेकलगुडेम और मीनट्टा गांवों से ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचे.

अंतिम संस्कार से पहले सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी गांव पहुंचीं. वह हिड़मा के शव से लिपटकर खूब रोईं, रोया और उसके शरीर पर काली पैंट-शर्ट डाली. वहीं, उसकी पत्नी राजे को लाल जोड़े में विदाई दी गई. ग्रामीणों की मांग पर प्रशासन ने गांव में अंतिम संस्कार की अनुमति दी, लेकिन पूरे गांव में सुरक्षा बलों की तगड़ी तैनाती की गई.

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हिड़मा का खौफनाक इतिहास 

छत्तीसगढ़ पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, हिड़मा पिछले 34 साल से नक्सलवाद के रास्ते पर था और उस पर 340 से अधिक हत्याओं के आरोप थे. इन वारदातों में सुरक्षा बलों के जवानों के साथ मासूम ग्रामीण भी शामिल थे. हिड़मा 2010 में दंतेवाड़ा में 76 CRPF जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड था. इसके अलावा उसने राहत शिविर में 31 लोगों को जिंदा जलाकर मारने की वारदात को भी अंजाम दिया था. उसके ऊपर छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा की सरकारों ने मिलकर 1.80 करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था.

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18 नवंबर की मुठभेड़ ने बदला नक्सल मोर्चा

18 नवंबर को सुकमा-बीजापुर-आंध्र बॉर्डर के जंगलों में हुई संयुक्त मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने हिड़मा, उसकी पत्नी राजे और पांच अन्य नक्सलियों को ढेर कर दिया था. इस कार्रवाई को सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले एक दशक की सबसे बड़ी कामयाबी बताया है. जानकारों का कहना है कि हिड़मा के खात्मे के बाद बस्तर में नक्सल मोर्चे पर बड़ा बदलाव आएगा और नक्सलवाद की पकड़ कमजोर होने की संभावना है.

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गांव में माहौल तनावपूर्ण, लेकिन शांत

अंतिम संस्कार के दौरान पूरे गांव में पुलिस, DRG, STF और CRPF के जवान तैनात रहे. भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए बैरिकेडिंग और सुरक्षा घेरा बनाया गया. इस दौरान माहौल संवेदनशील रहा, लेकिन किसी भी तरह की गड़बड़ी की सूचना नहीं मिली.

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