माड़वी हिड़मा: कहां,कैसे रहता है 1 करोड़ का इनामी मोस्ट वांटेड नक्सली ? 'अपनो ' ने खोल दिए राज

केन्द्र सरकार का कहना है कि वो 2026 तक देश में माओवाद को खत्म कर देगी. इसके मद्देनजर सवाल उठता है कि क्या बड़े नक्सली लीडर सरेंडर करेंगे या मारे जाएंगे...इन्हीं में जो सबसे बड़ा नाम सबके जहन में है वो है माड़वी हिड़मा. इस मोस्ट वाटेंड नक्सली पर देश की अलग-अलग एजेंसियों ने एक करोड़ का इनाम घोषित कर रखा है. हाल के सालों में इसी ने सुरक्षाबलों को कई ना भुलने वाले जख्म दिए हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है माड़वी हिड़मा कैसा दिखता है? कहां और कैसे रहता है? क्या वो सरेंडर करेगा या मारा जाएगा?

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Most Wanted Naxalite: देश के गृहमंत्री अमित शाह ने वादा किया है कि 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से माओवाद खत्म कर दिया जाएगा. ऐसे में सवाल उठता है कि सबसे ज्यादा कुख्यात और एक करोड़ का इनामी नक्सली कमांडर माडवी हिड़मा (Madvi Hidma) का क्या होगा? क्या वो सरेंडर करेगा या फिर किसी मुठभेड़ में मारा जाएगा? लेकिन इससे पहले कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब न सिर्फ आम जनता बल्कि पुलिस अधिकारियों को भी ढूंढना होगा. वो सवाल हैं -कहां है माडवी हिड़मा? कैसा दिखता है हिड़मा? कैसी है उसकी सुरक्षा? क्या खाता है? नक्सल संगठन में उसकी हैसियत कैसी है? वो कैसे सोचता है?...इन सवालों के जवाब आसान नहीं है क्योंकि दशक भर से ज्यादा वक्त बीत चुका है नक्सलियों के अलावा किसी ने भी उसे देखा तक नहीं है. बहरहाल इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए निकले NDTV संवाददाता विकास तिवारी. इस मुहिम में उनकी मुलाकात दो ऐसे किरदारों से हुई जो साये की तरह सालों तक हिड़मा के साथ रह चुके हैं...आइए पढ़ते-जानते हैं    

हिड़मा की पूर्व बॉडीगार्ड ने बताया- ऐसा रहता है सुरक्षा घेरा 

विकास की मुलाकात सबसे पहले सुंदरी नाम की पूर्व नक्सली से हुई. वो फिलहाल दंतेवाड़ा में DRG में तैनात होकर माओवादियों से लोहा ले रही हैं. उन्होंने साल 2014 में माओवाद का दामन छोड़ कर समर्पण किया. इसके बाद वो अब DRG बतौर कमांडो तैनात हैं. इससे पहले वो 15 सालों तक माओवादी संगठन में रही. इस दौरान वो कई सालों तक हिड़मा की सुरक्षा में तैनात रही थी. वो बतौर गनमैन उसकी सुरक्षा में तैनात थी और उसने बेहद करीब से हिड़मा को देखा-समझा था. उनके मुताबिक हिड़मा बस्तर के ही जंगलों में रहता है और उसके साथ जर्बदस्त सुरक्षा घेरा रहता है. सुंदरी के मुताबिक हिड़मा की सुरक्षा संभवत: प्रदेश के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी से भी ज्यादा है.  

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सुंदरी के मुताबिक हिड़मा बहुत अनुशासित जीवन जीता है. वो रोज सुबह 4 बजे उठ जाता है और नित्यकर्म के बाद पूरी बटालियन से पीटी करवाता है. इसके सा ही वो देश-दुनिया की खबरों की जानकारी जुटाता है. साथियों के साथ आगे की गतिविधि की प्लानिंग करता है. रात के देर तक किताब पढ़ता है और साथियों के साथ मंत्रणा करता है. सुंदरी के मुताबिक हिड़मा किसी तरह का कोई नशा नहीं करता लेकिन गौमांस, देशी मुर्गा और दूध की चाय काफी पसंद करता है. उसे शुगर की बीमारी है इसलिए वो केवल रोटी खाना पसंद करता है. 

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Hidma Naxalite: सुरक्षाबलों की फाइलों में माड़वी हिड़मा की जानकारी कुछ ऐसे दर्ज है.

रमन्ना ने हिड़मा को बनाया खतरनाक लीडर 

 इसके बाद हमारे संवाददाता ने माड़वी हिड़मा के गुरु पूर्व माओवादी नेता बदरन्ना उर्फ रमेश से मुलाकात की. बदरन्ना पहले  बासागुड़ा क्षेत्र में एलजीएस कमांडर हुआ करते थे. इसी क्रम में वो हिड़मा के गांव पुवर्ती में जन सहयोग से तालाब का निर्माण करवा रहे थे तभी उनकी मुलाकात हिड़मा से हुई. तब वो बहुत ही छोटा था. माओवादियों द्वारा जनता के लिए तालाब निर्माण करवाए जाने को देखते हुए वह भी प्रभावित हुआ और उसने संगठन से जुड़ने की मंशा जाहिर की. बदरन्ना ने उसके जोश को देखते हुए उसे माओवादी संगठन में भर्ती कराया. दो साल तक साथ काम करने के बाद उन्होंने उसे अपने प्लाटून का नेतृत्व सौंप दिया.

बदरन्ना के मुताबिक तब हिड़मा ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया और सुरक्षा बलों को कभी न भुलने वाले जख्म दिए. उसने ताड़मेटला कांड , झीरम कांड , बुरकापाल , टेकलगुडेम जैसी बड़ी वारदातों को अंजाम दिया. बदरन्ना कहते हैं कि जब उन्होंने हिड़मा को संगठन में भर्ती किया था तब उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि आगे चलकर हिड़मा इतना बड़ा नाम हो जायेगा. 

कमजोर हो चुका है हिड़मा, सरेंडर करे: IG सुंदराजन

सुरक्षाबलों के लिए हिड़मा कितनी बड़ी चुनौती है जब यह सवाल बस्तर में लम्बे समय से सुरक्षा बलों का नेतृत्व कर रहे बस्तर आईजी पी सुंदरराजन  से किया गया तो उन्होंने बताया कि माओवादियों से अब अंतिम लड़ाई चल रही है. अब तक माओवादी छुपकर वार किया करते थे और बड़ा नुकसान पहुंचाया करते थे. चार दशक से उन्होंने बस्तर में दहशत के दम पर राज किया और हिड़मा जैसे बस्तर के आदिवासी युवा को भड़का कर सरकार के खिलाफ खड़ा किया. ये सच है कि बस्तर में हुए बड़े हमले के पीछे हमेशा हिड़मा का ही नाम आया है पर हमने हिड़मा के गांव पुवर्ती में ही कैंप लगाकर यह साबित कर दिया है कि वह कितना कमजोर हो चूका है.हम आज भी बस्तर के सभी आदिवासियों से यही अपील करते हैं कि वो हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट आएं और इस अपील में हिड़मा भी शामिल है. यदि वो समर्पण करते हैं तो उन्हें भी सरकार की समर्पण नीति का पूरा लाभ दिया जायेगा.
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