Monkeypox Virus IN CG : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मंकी पॉक्स (Monkeypox) को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अलर्ट रहने को कहा है.. गौरतलब है कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा बीते 20 अगस्त को मंकी पॉक्स (एमपॉक्स) नामक बीमारी के बचाव लिए एडवाइजरी जारी की गई थी.
विस्तृत दिशा-निर्देश जारी
मंकी पॉक्स(Monkey pox) (एम पॉक्स) को विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा 14 अगस्त को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कान्स (पीएचईआईसी) को घोषित किया गया है. विभिन्न देशों में संक्रमण के प्रसार को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सर्वेलेंस,जांच एवमं उपचार के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं, जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में भी मंकी-पॉक्स प्रकरणों की सर्वेलेंस,त्वरित पहचान,जांच और उपचार के लिए दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं.
Monkeypox क्या है
मंकी-पॉक्स एक जेनेटिक बीमारी है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के देशों में होता है, लेकिन अब दुनिया के अन्य देशों में इसके मामले सामने आए हैं. भारत के केरल राज्य में मार्च 2024 में इसका मामला सामने आए था.
ये हैं Monkeypox के लक्षण..
मंकी-पॉक्स (Monkeypox) से संक्रमित व्यक्ति में सामान्य बुखार, चकत्ते एवं लिम्फ नोड्स में सूजन पायी जाती है. मंकी-पॉक्स एक स्व-सीमित (सेल्फ-लिमिटेड) संक्रमण है, जिसके लक्षण सामान्यतः 2-4 सप्ताह में समाप्त हो जाते हैं. मंकी-पॉक्स संक्रमण के गंभीर प्रकरण सामान्यतः बच्चों में पाए जाते हैं. जटिलताओं एवं गंभीर प्रकरणों में मृत्यु दर 1 से 10 प्रतिशत है. मंकी-पॉक्स संक्रमण होने एवं लक्षण उत्पन्न होने का इनक्यूबेशन पीरियड सामान्यतः 6-13 दिन का होता है.
ऐसे फैलता है संक्रमण
मंकी-पॉक्स वायरस का संक्रमण पशु से मनुष्य में एवं मनुष्य से मनुष्य में फैल सकता है. मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण मुख्य रूप से लार्ज रेस्पिरेटरी सिस्टम के माध्यम से लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में रहने से होता है. वायरस का संक्रमण शरीर के तरल पदार्थ घाव के सीधे संपर्क में आने से होता है. अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे दूषित कपड़ों इत्यादि के उपयोग से फैल सकता है. पशुओं से मनुष्यों में संक्रमण का प्रसार गांव के सीधे संपर्क में आने से हो सकता है.
प्रभावी कदम उठाया जाना आवश्यक
मंकी पॉक्स संभावित प्रकरणों के सर्वेलेंस हेतु दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके अनुसार मंकी पॉक्स के संभावित प्रकरणों का सर्विलांस कर त्वरित पहचान जांच एवं उपचार किए जाने हेतु प्रकरण को आइसोलेट कर संक्रमण का प्रसार रोका जाना,मरीज को उपचार दिया जाना, मरीज के संपर्क व्यक्तियों की पहचान किया जाना, प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाया जाना आवश्यक है.
प्रतिवेदन यहां भेजा जाएगा
मंकी-पॉक्स सर्वेलेंस के लिए इस दिशा-निर्देश में दिए मानक-परिभाषाओं का उपयोग किया जाना, प्रत्येक संभावित प्रकरण की सूचना जिला सर्वेलेंस इकाई/राज्य सर्विलेंस इकाई में अनिवार्य रूप से दिया जाना आवश्यक होगा. इसके एक भी पुष्टिकृत प्रकरण को माना जाए एवं जिला स्तरीय रैपिड रिस्पांस टीम द्वारा तत्काल विस्तृत आउटब्रेक इन्वेस्टिगेशन कर प्रतिवेदन राज्य कार्यालय को भेजा जाएगा. सैंपल जांच हेतु चिन्हांकित लेबोरेटरी में भेजा जाएगा.
ये भी पढ़ें- जबलपुर में पकड़े गए ठगी की सेंचुरी मारने वाले'हीरालाल-पन्नालाल', उनके तरीके जान आप भी हो जाएं सावधान
दैनिक मॉनिटरिंग किया जाएगा
मंकी-पॉक्स के प्रत्येक पॉजिटिव मरीज के सभी संपर्क व्यक्ति की पहचान करने हेतु सभी जिलों में जिला सर्वेलेंस अधिकारी के अधीन कांटेक्ट ट्रेसिंग दल का गठन किया जाएगा. संपर्क व्यक्ति को मंकी-पॉक्स मरीज के संपर्क में आने के 21 दिवस तक बुखार या त्वचा में चकत्ते हेतु दैनिक मॉनिटरिंग किया जाएगा. संपर्क व्यक्तियों को 21 दिवस तक ब्लड, ऑर्गन, टिसू, सीमन इत्यादि डोनेशन करने से रोका जाए. ऐसे चिकित्सा कर्मी जो बिना प्रतिरक्षा उपकरण के मंकी-पॉक्स मरीज या उसके द्वारा उपयोग किये हुए वस्तुओं के संपर्क में आया हो उसे 21 दिन तक मॉनिटर किया जाए. लक्षण-रहित चिकित्सा कर्मी को चिकित्सा कार्य से न रोका जाये, ऐसे निर्देश दिए गए हैं.
ये भी पढ़ें- Jal Jeevan Mission के पांच ठेकेदारों को किया गया ब्लैक लिस्टेड और 70 पर लग गई पेनाल्टी, जानिए-क्या है पूरा मामला