Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा परिवार शासन की योजनाओं का लाभ लेने के लिए कैसे 2 सालों से दर-दर भटकता रहा.पीड़िता को अपने पति की मौत के बाद मुआवजे के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. इस मामले की खबर जब NDTV ने प्रमुखता से उठाई, तो उसके बाद मृतक की पत्नी को वन विभाग ने तेंदूपत्ता संग्रहण का 2 लाख रुपये जारी किया.
मामला भरतपुर विकासखंड के ग्राम शेरी का है
आपको बता दें कि ये पूरा मामला भरतपुर विकासखंड के ग्राम शेरी का है. बैगा परिवार तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य करता था. मुखिया की मौत के बाद 2 लाख रुपये का मुआवजा जारी होने के बाद भी बीते दिन तक मृतक की पत्नी को राशि नहीं मिल पाई थी. शिवप्रसाद पिता वाल्मीकि जनकपुर के ग्राम पंचायत शेरी में तेंदूपत्ता संग्राहक का काम करता था.
पात्रता निर्धारण समिति ने प्रकरण दर्ज किया था
31 दिसंबर 2021 को उसकी मौत हो गई थी. मृत्यु के बाद समिति में नामिनी सदस्य पत्नी मुन्नी ने तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत अनुदान राशि प्राप्त करने के लिए आवेदन दावा फार्म प्रस्तुत किया गया था, जिसके बाद यूनियन स्तरीय तेंदूपत्ता सामाजिक सुरक्षा योजना अंतर्गत पात्रता निर्धारण समिति ने प्रकरण दर्ज किया था.
NDTV की खबर का हुआ असर
मृतक की आयु 18 से 50 वर्ष के बीच होने के कारण इन्हें अनुदान सहायता के रूप में 2 लाख रुपये प्रदान करने का आदेश जारी किया गया था. 2 लाख रुपये मुआवजा राशि मिलने के बाद से मृतक की पत्नी मुन्नी बाई लगातार 2 सालों से राशि पाने के लिए समिति का चक्कर लगा रही थी. लेकिन विभाग की निष्क्रियता के कारण राशि नहीं मिल सकी है. मामले में NDTV में खबर चलने के बाद वन विभाग ने मृतक की पत्नी को राशि जारी कर दी.
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