मरवाही वन परिक्षेत्र में हाथियों की वजह से किसानों और ग्रामीणों को काफी नुकसान होता रहता है. इस संबंध में स्थानीय किसानों ने उचित मुआवजे की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मरवाही को सौंपा है. बता दें कि सरकार वर्तमान में धान की फसल के नुकसान के लिए 9000 रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा दे रही है. लेकिन किसान इस रकम से खुश नहीं हैं.
हालात से परेशान होकर ग्रामीणों ने रखी शर्तें
मरवाही वन मंडल के दर्जन भर गांव पिछले एक वर्ष से हाथियों की आमद से परेशान हैं. हाथी लगातार घूमते हुए वन क्षेत्र से सटे गांवों में घुस आते हैं और किसानों की फसल और आवास को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अलावा हाथियों के हमले से कुछ ग्रामीणों की मौत भी हो गई है, जबकि कुछ ग्रामीण घायल भी हो चुके हैं. जिन किसानों और ग्रामीणों को जनहानि हुई है. उनका कहना है कि शासन-प्रशासन द्वारा 9000 रुपये प्रति एकड़ का जो मुआवजा तय किया गया है वह काफी कम है.
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ग्रामीणों की मांग : सरकारी नौकरी और 50 लाख का मुआवजा
किसानों का कहना है कि धान खरीदी का जो मूल्य निर्धारित किया गया है उसकी दर से या उसके आसपास सरकार नुकसान का मुआवजा दे. वहीं अगर किसी के मकान का नुकसान हाथियों की आमद से हुआ है तो उसे 2 लाख रुपए का मुआवजा मिलना चाहिए. अगर किसी ग्रामीण की हाथियों के हमले से मौत होती है तो उसके परिवार वालों को 50 लाख रुपया मुआवजा एवं किसी एक सदस्य को नौकरी मिलना चाहिए जबकि घायल व्यक्ति को दो लाख मुआवजा देना उचित होगा.
हाथी मित्र दल के सदस्यों को भी 50 लाख का मुआवजा देने की हुई मांग
स्थानीय किसानों और ग्रामीणों का कहना है कि प्रभावित क्षेत्र में हाथियों को खदेड़ने के लिए हाथी मित्र दल का भी गठन किया गया है. इस दल के सदस्य जिम्मेदारी से अपना कार्य कर रहे हैं, उन्हें भी आपदा की स्थिति में 50 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए. ग्रामीणों का आरोप है कि हाथियों से बचाव के लिए वन विभाग के पास किसी तरह का उपाय नहीं है. इसके चलते लगातार हाथियों का यह दल इस क्षेत्र में नुकसान पहुंचा रहा है. यही स्थिति रही तो खेतों की फसल बर्बाद हो जाएगी और ग्रामीणों को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा. यहां हाथियों की ऐसी दहशत है कि ग्रामीण शाम के बाद बाहर निकलने से डरते हैं.
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