Lok Sabha Election से पहले कांग्रेस में 'सिरफुटव्वल', इस नेता ने कोषाध्यक्ष पर लगाए 5.89 करोड़ के गबन के आरोप

CG Congress: पूर्व महामंत्री ने अपने पत्र में ये भी लिखा है कि पार्टी के सरकार में आने के बाद भी संगठन को किसी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं दी गई और कई बार बैठक में और प्रभारी कुमारी सैलजा से अनुरोध करने के बाद भी ब्लॉक अध्यक्ष व जिला अध्यक्ष को संगठन के कार्य करने के लिए 5 से 10 हजार रुपये तक नहीं दिया गया. वहीं, अपने परिवार के लोगों को एक कमरे में बैठकर कार्यादेश जारी कर दिए गए. वहीं, निजी लोगों को गवाह बनाकर भुगतान किया गया.

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chhattisgarh congress: लोकसभा चुनाव की तारीख (LOk Sabha Election Date) का ऐलान होने के साथ ही सभी भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) ने अभी से तीज के लिए पसीना बहाना शुरू कर दिया है, लेकिन बुरे वक्त से गुजर रही कांग्रेस (Congress) के नेता अब भी आपसी लड़ाई और आरोप-प्रत्यारोप में लगे हुए हैं. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Election) में हार के साथ ही नेताओं के पार्टी छोड़ने व एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब एक लेटर बम भी फूट पड़ा है. ये लेटर पूर्व महामंत्री अरुण सिसोदिया (Arun Sisodia) का है, जिसे उन्होंने पीसीसी चीफ को लिखा है. वह भी प्रदेश संगठन के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल (Ramgopal Agrwal) के खिलाफ. इस में उन्होंने पार्टी फंड से 5 करोड़ 89 लाख रुपये के गबन का सनसनीखेज आरोप लगाया है. इसके साथ ही उन्होंने अग्रवाल को पार्टी से बाहर करने की मांग की है. इससे एक बार फिर से पार्टी में हड़कंप मच गया है.

ये हैं आरोप

पीसीसी चीफ दीपक बैज को लिखे पत्र में पूर्व महामंत्री सिसोदिया ने लिखा है कि  छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ने मित्र और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी टेसू मौडिया लैब गाजियाबाद को 5 करोड़ 89 लाख रुपये बिना प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और प्रभारी महामंत्री की जानकारी और अनुमति के भुगतान कर दिया है, जबकि कोषाध्यक्ष को कार्यादेश जारी करने की अनुमति नहीं है और पार्टी के संविधान के मुताबिक प्रदेश कार्यकारिणी में प्रस्ताव लाकर पास करना जरूरी है. इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष से नोटशीट अप्रूवल लिया जाना भी जरूरी है.

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निजी लोगों को गवाह बनाकर भुगतान

पूर्व महामंत्री ने अपने पत्र में ये भी लिखा है कि पार्टी के सरकार में आने के बाद भी संगठन को किसी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं दी गई और कई बार बैठक में और प्रभारी कुमारी सैलजा से अनुरोध करने के बाद भी ब्लॉक अध्यक्ष व जिला अध्यक्ष को संगठन के कार्य करने के लिए 5 से 10 हजार रुपये तक नहीं दिया गया. वहीं, अपने परिवार के लोगों को एक कमरे में बैठकर कार्यादेश जारी कर दिए गए. वहीं, निजी लोगों को गवाह बनाकर भुगतान किया गया.

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19 लाख प्रति महीने का भुगतान

पूर्व महामंत्री ने आगे लिखा है कि जो रकम 10 लाख, 6 लाख और 3 लाख यानी कुल 19 लाख रुपये प्रतिमाह का भुगतान किया गया है. ये वर्तमान से 10 गुना है. इस वक्त 20 लोगों की टीम प्रतिमाह 3 लाख में काम कर रही है.

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मनमानी करने वाले गिरोह को किया जाए बाहर

पीसीसी चीफ बैज से अनुरोध करते हुए अरुण सिसोदिया ने पत्र में ये भी लिखा है कि सरकार और संगठन में मनमानी करने वाले गिरोह को पार्टी से बाहर किया जाए. इसके साथ ही हार के लिए जिम्मेदार लोगों को सक्रिय राजनीति और पार्टी से दूर रखा जाए. तभी पार्टी का उत्थान संभव है.

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सिसोदिया ने की पुष्टि

पत्र के वायरल होने के बाद खुद सिसोदिया आश्चर्यचकित हैं. मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब जब पत्र मीडिया तक पहुंच ही गई है, तो ये सच है कि उन्होंने पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने पार्टी को ऐड के नाम पर और दूसरे कामों के नाम पर गड़बड़ी व गबन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर संगठन को पुनर्जीवित करने की मांग करने की बात कही है.

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