Bank Loan: साहब सुन लो गुहार! फाइनेंस कंपनी वाले कहते हैं बच्चा बेचो, लोन के पैसे जमा करो, जानिए पूरा मामला

Bank Loan Recovery: आरबीआई (RBI) के नियम बताते हैं कि रिकवरी एजेंट को ग्राहक से बातचीत में शालीनता बरतनी चाहिए. उन्हें आपके पर्सनल स्पेस का ध्यान रखना चाहिए. लेकिन प्राइवेट कंपनियों के रिकवरी एजेंट इन नियमों को खुलेआम तोड़ रहे हैं. आइए छत्तीसगढ़ के कांकेर की पीड़िताओं की कहानी सुनिए.

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Loan Recovery Agents: कांकेर जिले के अंदुरुनी क्षेत्रों में इन दिनों प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों (Private Finance Companies) का मकड़जाल फैला हुआ है. दर्जनभर से ज्यादा संदिग्ध भूमिका वाली फाइनेंस कंपनियां, महिलाओं के छोटे-छोटे समूह बनाकर उनसे आर्थिक लेनदेन कर रही हैं. लेकिन रिकवरी (Loan Recovery) के नाम पर फाइनेंस कंपनियों के कर्मचारी, आरबीआई (RBI) की गाइडलाइ का पालन तो दूर, सीधे लोगों को धमका रहे हैं. महिलाओं की माने तो एक क़िस्त भी छूट जाने पर रिकवरी एजेंट उनके घर पहुंच कर उन्हें धमकाते हैं. यही नहीं बच्चे को बेचकर पैसा जमा करने की बात कही जा रही है. ये रिकवरी एजेंट पैसा वसूलने के नाम पर महिलाओं को अपमानित भी कर रहे है. इससे महिलाओं की निजता, गरिमा और आत्मसम्मान पर ठेस पहुंच रही है.

कलेक्टर से शिकायत करने पहुंची महिलाएं

कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर, दुर्गुकोंदल क्षेत्र की महिलाएं कलेक्टर से शिकायत करने मुख्यालय पहुंची थीं. NDTV की टीम को जब इस बात की जानकारी हुई तो हमारी टीम मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर ग्राम चवेला पहुंची. यहां शिकायत करने वाले लोगो से मुलाकात हुई, उन्होंने बताया कि किस तरह फाइनेंस कम्पनियों के रिकवरी एजेंट उनके साथ गलत व्यवहार करते हैं.

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शिकायत करता महिला सावित्री टांडिया ने बताया कि उन्हें दो कंपनियों से लोन लिया था. हर महीने लोन की राशि जमा कर रहे थे. लेकिन एक माह की देरी होने के बाद उन पर दबाव बनाकर पैसे जमा करने बोला जाता रहा. रोज कम्पनी के कर्मचारी घर पहुंच कर पैसे की मांग करते रहे. पति की तबियत खराब होने के बावजूद उनकी एक नहीं सुनी गई. पैसा जमा करने दबाव बनाया जाता रहा. अंत में 2 एकड़ खेत भी उन्होंने बेच दिया. लेकिन राशि जमा नहीं हो पाई. अब उनके पास अपने खाने के लिए भी खेत नहीं बचा है. तंगाकर महिला ने शिकायत करने की सोची.

इनसे बच्चा बेचने को कहा

अब जरा शारदा पटेल को सुनिए. गोद में बच्चा लिए शारदा का कहना है कि इन्होंने भी एक फाइनेंस कम्पनी से लोन लिया है. कुछ राशि इन्होंने जमा भी की. इस दौरान कुछ महीने राशि जमा करने छूट गए. रिकवरी एजेंट इनके पास पहुंचे और इन्हें कही से भी पैसा जमा करने कहते रहे. लेकिन एक दिन तो हद हो गई. कम्पनी के एजेंटों ने बच्चों को बेचकर पैसा जमा करने कह डाला और तो और अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगे. जमा नहीं करने पर घर के समान उठा कर ले जाने धमकी दी. 

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एक अन्य मामला परमेश्वरी टांडिया का है. परमेश्वरी गर्भवती हैं, कोख में 7 माह का एक बच्चा पल रहा है. महिला का कहना है कि इस तरह का व्यवहार उन्हें बहुत बेकार लगता है. पैसा निकाले है तो जमा हम जरूर करेंगे. लेकिन उनकी बदतमीजी बहुत ज्यादा बढ़ गई है. पुलिस थाना में बैठने धमकी दी जाती है. इस संबंध में थाना में भी शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. एजेंट सामानों को लेकर जाने की धमकी देते हैं.

रिकवरी एजेंट का क्या कहना है?

कवरेज के दौरान हमारी मुलाकात मौके पर ही अचानक पहुंचे फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंट से हो गई. हमने उनसे पैसा रिकवरी के नाम पर दराने-धमकाने की बात कही तो उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा किसी को डराया धमकाया नहीं जाता है. अगर कोई बोल दे मेरे द्वारा ऐसा किया जाता है, तो मैं अपनी नौकरी छोड़ दूंगा और 6 महीने तक इनके खाना का खर्चा मैं उठाऊंगा.

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एक अन्य शख्स से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बात को टाल दिया. लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि यह एक फाइनेंस कंपनी के मैनेजर हैं. जब उनसे सवाल किया तो वह उल्टे हमसे ही उलझने लगे. कम्पनी का नाम शिकायत में नहीं होनी की बात कहते हुए शिकायत कॉपी दिखाने की जिद करने लगे. लेकिन जब शिकायत कॉपी में कम्पनी का नाम दिखाया तो उनके सुर बदल गए और कहने लगे कि मेरे यहां कोई इस तरह का व्यवहार नहीं करता है.

क्या कहते हैं RBI के नियम?

आरबीआई के नियमों के अनुसार, किसी भी रिकवरी एजेंट को घर आने से पहले ग्राहक को होम विजिट लेटर देना चाहिए लेकिन यहां नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना किसी विजिट लेटर के सुबह 6 बजे से घरों पहुंच जाते हैं. जो कि 9 बजे तक रहते हैं. महिलाओं ने कहा, ये लोग सुबह- सुबह हमारे घर आते हैं. इससे हमारे घर के दूसरे काम नहीं हो पाते. आरबीआई का नियम है कि सुबह 8 बजे पहले और शाम 7 बजे के बाद कोई कॉल नहीं करेगा, लेकिन ये लोग इस नियम का पालन नहीं करते.

प्रशासन का क्या कहना है?

महिलाओं ने प्रशासन से मांग की है कि रिकवरी एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. वे चाहती हैं कि उन्हें सुरक्षा मिले और उनके हक की रक्षा की जाए. इस पर प्रशासन की अपनी दलील है. प्रशासन का कहना है कि शिकायत के बाद उन्होंने एसडीएम से कहकर इसकी जांच करने के निर्देश दिए है.

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