लापरवाही! MGNREGA के तहत पौधारोपण में खर्च हुए 41 लाख रुपये, पर नहीं बच पाया एक भी पौधा

Chhattisgarh News: कोरिया जिले में मनरेगा के पैसों से पेड़ लगाए गए थे. आज हालात ऐसी है कि इसका एक भी पौधा जीवित नहीं बचा है.   

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नारियल के पौधे निकलने से पहले ही मर गए

MGNREGA in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के कोरिया (Koriya) जिले के ग्राम पंचायत फूलपुर के शंकरपुर में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है. यहां महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) कोरिया ने 15 एकड़ भूमि पर 41.27 लाख रुपए खर्च कर एक हजार नारियल के पौधे और औषधीय पौधे लगाए थे. लेकिन, आज के समय में यहां एक भी पौधा जीवित नहीं बचा है. सिंचाई सुविधा (Irrigation Facilities) के अभाव में सारे पौधे मर चुके है. आपको बता दें कि नारियल के पौधे जिस भूमि पर लगे थे, वह जमीन पथरीली और टीले पर है. जबकि ऐसी भूमि पर नारियल नहीं उग सकता है.  

एक भी पौधा नहीं बचा जीवित

इस वजह से मर गए सारे पौधे

सिंचाई व्यवस्था के लिए केवीके ने यहां बोर खनन करवाया, लेकिन बोर में पानी ही नहीं मिला. झुमका बांध से पाइप कनेक्शन कर पानी लाने की योजना भी आगे नहीं बढ़ सकी. जिले में नारियल की मांग 12 महीने रहती है, इसे देखते हुए केवीके ने 6 से 8 माह के नारियल पौधों का रोपण किया था. पौधे बढ़ने भी लगे थे, लेकिन सिंचाई सुविधा के अभाव में पौधे जीवित नहीं बचे. केवीके ने मनरेगा के तहत तीन अलग-अलग स्वीकृति में कार्य को पूरा किया था. इसके तहत 15 एकड़ भूमि का समतलीकरण, फेंसिंग, गड्ढा खनन के साथ पौधे लगाए गए थे.

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अब पौधौं के सूखने के बाद जिला पंचायत के सीईओ आशुतोष चतुर्वेदी का कहना है कि आपके माध्यम से जानकारी सामने आई है, लेकिन केवीके के अनुसार इसमें आशा अनुरूप सफलता नहीं हुई. सीईओ ने कहा कि केवीके से जानकारी लेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे.    

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खर्च किए थे इतने रूपए

विभाग के अनुसार साल 2020-21 में शुरू हुए कार्य में पहली प्रशासकीय स्वीकृति 13.09 लाख रुपए की मिली थी. इसमें श्रमिक लागत पर 8.38 लाख रुपए व सामग्री पर 4.71 लाख रुपए खर्च किए गए थे. दूसरी स्वीकृति 14.37 लाख थी, श्रमिक लागत 8.56 लाख व सामग्री पर 5.81 लाख रुपए लगे थे. वहीं तीसरी स्वीकृति 13.18 लाख रुपए थी. इसमें श्रमिकों को 3.55 लाख का भुगतान व सामग्री पर 9.63 लाख रुपए खर्च हुए. 

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