krishi Vigyan Mela News : मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले में कृषि विज्ञान मेला आयोजित किया गया. इस मेले के माध्यम से किसानों के अंदर वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया. साथ ही बेहतर उत्पादन से उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि विशेषज्ञों ने संवाद किया. वहीं, कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने एनडीटीवी से कहा कि जिले के सिंचाई क्षमता बढ़ रही है, जिसका लाभ जिले के कृषकों को मिल रहा है. कृषक पारंपरिक फसलों के साथ ही कुछ हेक्टेयर में उद्यानिकी, औषधीय फसलें तथा मशरूम, ब्रोकली आदि की फसलें भी लगाएं.
'कृषक खेतों में अवशेष (नरवाई) नहीं जलाएं'
डीएम ने कहा कि आने वाले समय में जिले में दो एथेनॉल प्लांट स्थापित हो रहे हैं. जिनमे मक्का की आवश्यकता होगी. कृषक मक्का के रकबे को बढ़ाएं, जिससे की उन्हें स्थानीय स्तर पर मार्केट उपलब्ध हो और अच्छे भाव भी मिलें. कलेक्टर ने कहा कि कृषक खेतों में गेहूं की फसल के अवशेष (नरवाई) नहीं जलाएं. नरवाई जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ ही पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता है. गेहूं की फसल से अधिक से अधिक भूसा प्राप्त करें. फसल अवशेष को रोटावेटर चलाकर मिट्टी में पोषक के रूप में उपयोग करें.
'कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़'
मेले में आए कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, ‘‘कृषक समृद्ध होगा, तो देश में समृद्धि आएगी. देश एवं प्रदेश के किसानों के जीवन में खुशहाली लाना है, तो परंपरागत खेती को अपनाना होगा. उन्होंने कहा कि जिले के कृषक उन्नत एवं आधुनिक तरीके से खेती कर कृषि का लाभ का धंधा बनाएं. कृषक जैविक एवं प्राकृतिक खेती अपनाने, खेती में सिमित मात्रा में रसायन का उपयोग करने की सलाह दी गई.
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जानें मेले को लेकर क्या बोले किसान
मेले में विभिन्न कंपनियों के प्रदर्शनी स्टाल लगाए गए, जिसमें खेती में इस्तेमाल होने वाले जैविक पदार्थ और बीजों के बारे में सीधी जानकारी कृषकों को प्रदान की गई. किसान मांगीलाल ने कहा कि मेले में आने से यह फायदा है कि जो चीज हमें पता नहीं थी और लगातार गलत तकनीक का इस्तेमाल कर हम अपनी जमीन को बंजारा करते जा रहे थे, उसके बारे में पता लगा. वैज्ञानिकों ने जो सलाह हमको दिए उसे कृषि की उर्वरा क्षमता बची रहेगी. साथ-साथ उत्पादन क्षमता भी बढ़ेगी.
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