Farmers in Problem: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरिया (Koria) जिले में किसानों के सामने एक नई और अनोखी मुसिबत (Farmers in Problem) आई है. यहां सहकारी बैंक (Cooperative bank) से रुपए निकालने के लिए किसान परेशान हो रहे हैं. दरअसल, बैंक में रुपए निकालने के लिए लिमिट सेट (Bank Withdrawal Limit for Farmers) कर दी गई है जिसमें किसान एक हफ्ते में 20 हजार रुपए ही निकाल सकते हैं. शादी-ब्याह या अन्य कार्यक्रमों के लिए रुपए निकालने पर लिमिट लगने से किसानों में नाराजगी है. बता दें कि किसानों द्वारा बेची गई धान की राशि सहकारी बैंक के उनके खाते में ही ट्रांसफर की जाती है.
गाइडलाइन ने बढ़ाई मुसीबत
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित अंबिकापुर की गाइडलाइन ने कोरिया जिले में स्थित सहकारी बैंक सहित बैकुंठपुर और चरचा की शाखाओं ने समर्थन मूल्य पर धान बिक्री करने वाले किसानों को मुसीबत में डाल रखा है. सहकारी बैंक के खातेदार किसान अपने ही पैसे निकालने के लिए सुबह से शाम तक लंबी लाइन में लग रहे हैं. कुछ किसान तो ऐसे भी हैं जो लगभग 40-50 किलोमीटर दूर से आकर बैंक से पैसे निकालने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
इमरजेंसी होने पर भी कोई छूट नहीं
शादी-ब्याह या किसी मेडिकल इमरजेंसी का हवाला देने पर भी किसानों को कोई राहत नहीं दी जा रही है. उनके खाते में पैसे होने के बाद भी बैंक के तुगलकी फरमान से किसी भी किसान को हफ्ते में केवल 20 हजार रुपये ही दिया जा रहा है. बैंक वाले बैंक में पैसे की कमी का बताकर और इस तरह के नियम बनाकर भुगतान करने का हवाला दे रहे हैं.
सहकारी बैंक के एटीएम भी बंद
किसानों की सुविधा के लिए सहकारी बैंक का एटीएम भी अब तक चालू नहीं किया जा सका है. किसी तरह बैकुंठपुर में एक एटीएम चालू भी किया गया, लेकिन ज्यादातर इस एटीएम में पैसा नही होते हैं. इस वजह से किसान अन्य बैंक के एटीएम से पैसे निकालने और चार्ज देने के लिए विवश है. वहीं, इन खातेदारों को सुविधा उपलब्ध कराने में प्रबंधन पीछे है. किसानों द्वारा बेची गई धान की राशि सहकारी बैंक में ही ट्रांसफर की जा रही है. लिहाजा, किसानों को इसी बैंक से पैसे निकालने की मजबूरी है.
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अपने पैसे के लिए परेशान हो रहे किसान
किसान जूता, चप्पल, झोला और पत्थर तक रखकर खुद को कतार में बनाए रखते हैं. कई ऐसे किसान हैं जो सहकारी बैंक के बैकुंठपुर और चरचा शाखा में लेनदेन के लिए लगभग 40 किलोमीटर दूर से आते हैं. सरकार ने धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया, लेकिन जरूरत के समय किसानों के हाथ में यह पैसे उपलब्ध ही नहीं हो रहे हैं. जिससे किसान अपने ही पैसे बैंक से निकालने के लिए बेहद परेशान है.
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