CG: ड्रोन कैमरे से ट्रैकिंग जारी, फिर भी हाथियों की सही गिनती मुश्किल, इस इलाके में अलर्ट पर हैं गांव 

Elephant In CG:  कोरिया जिले के जंगल में हाथियों का दल विचरण कर रहा है. ड्रोन कैमरे से ट्रैकिंग जारी है, लेकिन हाथियों की सही गिनती मुश्किल है. इस इलाके में कई गांवों को है अलर्ट पर रखा गया है. 

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Chhattisgarh Elephant News: छत्तीसगढ़ के कोरिया वनमंडल के जंगलों में हाथियों का एक बड़ा दल पिछले एक सप्ताह से सक्रिय है. इस दल में हाथियों की संख्या 45 से 50 के बीच अनुमानित है. हालांकि, वन विभाग के पास इन हाथियों की सटीक गणना के लिए कोई प्रभावी साधन नहीं है. वर्तमान में कटघोरा वनमंडल के आंकड़ों और मैदानी स्टाफ के अनुमान के आधार पर ही इनकी संख्या का आंकलन किया जा रहा है.

वन विभाग के पास ड्रोन कैमरा उपलब्ध है, जो हाथियों का सही लोकेशन ट्रैक करने में सक्षम है, लेकिन रात के समय अंधेरा होने और दिन में पेड़ों के बीच हाथियों के छिप जाने के कारण उनकी सटीक गणना में दिक्कत होती है. विभागीय अधिकारी प्रभाकर खलखो (डीएफओ) के अनुसार दिन में हाथियों का दल घने जंगलों में विश्राम करता है और रात में सरहद पार कर दूसरे क्षेत्र में चला जाता है.

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हाथियों का रूट और नुकसान

वन विभाग की जानकारी के अनुसार, हाथियों का दल कटकोना, जरौंधा, देवाडांड़, सलका, पिपरिया, कोडगार जैसे इलाकों में विचरण कर रहा है। इन इलाकों में हाथियों ने मवेशियों और फसलों को नुकसान पहुंचाया है.

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प्रभावित गांवों जैसे बेलकामार, मंगोरा, और भुष्कीडांड़ में वन विभाग ने मुनादी कराकर ग्रामीणों को हाथियों के पास न जाने और सुरक्षित स्थान पर रहने की सलाह दी है.

ग्रामीणों के लिए चेतावनी 

हाथियों के मूवमेंट पर निगरानी रखने के लिए खडगवां, सकड़ा, और पोंड्रीहिल सर्किल के स्टाफ तैनात किए गए हैं. वन विभाग अपनी सीमा में निगरानी के बाद हाथियों का दल जिस क्षेत्र में प्रवेश करता है, वहां के संबंधित विभाग को संदेश भेज देता है.

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ड्रोन कैमरे की सीमाएं

वन विभाग का ड्रोन कैमरा हाथियों की सटीक संख्या का पता नहीं लगा पाता। इसका उपयोग मुख्यतः हाथियों के लोकेशन की जानकारी प्राप्त करने में होता है. दिन में दल के अधिकांश हाथी पेड़ों के बीच छिप जाते हैं, जिससे उनकी गणना मुश्किल हो जाती है. वन विभाग लगातार ग्रामीणों को जागरूक कर रहा है और मैदानी अमला निगरानी के लिए तैनात है. हालांकि, हाथियों की सटीक गणना के अभाव में विभाग को उनकी संख्या और गतिविधियों का सटीक आंकलन करने में कठिनाई हो रही है.

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