Pandi Ram Mandavi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 30 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों देने की घोषणा की. पद्मश्री पुरस्कारों की लिस्ट में छत्तीसगढ़ से पंडी राम मंडावी का नाम भी शामिल किया गया है. वे नारायणपुर जिले के गोंड मुरिया जनजाति के प्रख्यात कलाकार हैं. पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया है. 68 साल के पंडी राम मंडावी पिछले पांच दशकों से बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि उसे नई पहचान भी दिला रहे हैं.
पंडी राम मंडावी की विशेष पहचान 'सुलुर' यानी बांस की बस्तर बांसुरी के निर्माण में है. इसके अलावा, उन्होंने लकड़ी के पैनलों पर उभरे हुए चित्र, मूर्तियां और अन्य शिल्पकृतियों के माध्यम से अपनी कला को देश-विदेश तक पहुंचाया है.
कई पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित
पंडीराम मंडावी कई पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं. केरल सरकार की ललित कला अकादमी ने पंडीराम को प्रतिष्ठित जे स्वामीनाथन पुरस्कार से सम्मानित किया है. वहीं छत्तीसगढ़ शासन ने भी हस्तशिल्प के क्षेत्र में शिल्प गुरु की उपाधि से सम्मानित किया है. उनके कई शिष्य भी काष्ठ शिल्प के क्षेत्र में अच्छा काम करते हुए इसे स्वरोजगार का माध्यम बना चुके हैं.
देश विदेश की कर चुके हैं यात्रा
पंडी राम मंडावी ने अपनी कला के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई है. उन्होंने इटली, जर्मनी और रूस जैसे देशों की यात्रा कर अपनी कला का प्रदर्शन किया. उनकी कलाकृतियां आदिवासी जीवन शैली, संस्कृति और परंपरा का अद्भुत प्रतिबिंब प्रस्तुत करती हैं, जिन्हें इन देशों में खूब सराहा गया.
मुख्यमंत्री साय ने दी बधाई
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नारायणपुर जिले के जनजातीय कलाकार पंडी राम मंडावी का नाम पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित होने पर बधाई और शुभकामनाएं दी है. पंडी राम मंडावी ने मात्र 12 वर्ष की आयु में अपने पूर्वजों से यह कला सीखी और अपने समर्पण व कौशल के दम पर छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. एक सांस्कृतिक दूत के रूप में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन 8 से अधिक देशों में किया है. साथ ही, अपने कार्यशाला के जरिए एक हजार से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण देकर इस परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का कार्य किया है.
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