IIT Bhilai News: देशभर के शीर्ष शिक्षण संस्थानों में सत्र 2025-26 में दाखिले की प्रक्रियाएं शुरू हो गई हैं. IIT में एडमिशन के लिए भी JEE काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में हमने जानना चाहा कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में संचालित नई जनरेशन की IIT भिलाई में दाखिला लेना स्टूडेंट्स के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है? कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा और JEE का कठिन टेस्ट पास कर विद्यार्थी अब दाखिले की प्रक्रिया में जुट गए हैं. एडमिशन के लिए बेहतर विकल्प तलाशे जा रहे हैं. ऐसे में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए ये कॉलेज एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है.
आईआईटी भिलाई कैसा है
छात्रों ने बताई सच्चाई
छत्तीसगढ़ की शिक्षाधानी कहे जाने वाले भिलाई में संचालित आईआईटी कैंपस में विद्यार्थियों से हमने बातचीत की. जिस संस्थान में जो पढ़ाई कर रहा है, वो बेहतर बता सकता है कि उस संस्थान में कोई और दाखिला ले या न ले. आईआईटी में रिसर्च स्कॉलर निशी केसरी कहती हैं कि अगर एकैडमिक की बात करें तो आईआईटी भिलाई सबसे बेहतर ऑप्शन हो सकता है. क्योंकि नई जनरेशन की आईआईटी है, इसलिए बच्चे कम हैं और स्टूडेंट-टीचर रेसियो यहां अच्छा है. कम बच्चे होने के कारण टीचर्स-प्रोफेसर्स का फोकस सभी स्टूडेंट्स पर बराबर रहता है. रिसर्च के लिए यहां सबसे लेटेस्ट इक्यूपमेंट हैं. सभी संसाधन यहां उपलब्ध हैं.
कैसा है यहां माहौल?
भिलाई आईआईटी में बीटेक की पढ़ाई कर रहे मोहित ठाकरे कहते हैं कि हमारे कैंपस में सीनियर और जूनियर के बीच फ्रेंडली माहौल है. नए बच्चों में एक डर होता है कि क्या सीनियर रैंगिग करेंगे, तो इसका जवाब है कि हमारे कैंपस में रैगिंग के लिए कोई जगह नहीं है. यहां एसआईपी का इनेसेटिव है, जहां सीनियर एक मेंटर की तरह मदद करते हैं. चारों तरफ हरियाली है. ग्रीनरी के लिए ग्रीन हाउस संस्था द्वारा भिलाई आईआईटी को फाइव स्टार रैंकिंग भी दी गई है.
आईआईटी भिलाई कैंपस
जबलपुर से भिलाई आईआईटी में पढ़ने आईं मानसी कहती हैं कि मैं अपने शहर से ज्यादा सुरक्षित खुद को यहां पाती हूं. यहां सिक्योरिटी के रीजन से हर गेट पर अंदर-बाहर आने-जाने वालों की एंट्री होती है. पूरी डिटेल नोट की जाती है. कैंपस के बाहर भी किसी तरह की असुविधा नहीं होती. मूलत: हरियाणा के रहने वाले नमन शर्मा कहते हैं कि यहां पढ़ाई के अलावा अदर्स एक्टिविटी पर भी फोकस किया जाता है.
नक्सल का यहां कितना प्रभाव?
छत्तीसगढ़ की देश में नक्सल समस्या के कारण एक अलग ही पहचान पिछले कुछ सालों में बन गई है. ऐसे में क्या भिलाई आईआईटी में पढ़ने वाले बच्चों पर भी इसका प्रभाव है. इस सवाल के जवाब में सुदीप रंजन समेत छात्रों का समूह कहता है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से भिलाई की दूरी कम से कम 300 किलोमीटर है. प्रभाव तो दूर यहां कभी नक्सल समस्या का जिक्र तक नहीं होता. भिलाई की पहचान तो दसकों से शिक्षाधानी और इस्पात नगरी के रूप में है. उसका असर यहां के कैंपस में देखने को मिलता है.
इन सुविधाओं से भरपूर भिलाई आईआईटी
आईआईटी भिलाई में बीटेक के 7 ब्रांच में कुल 329 सीटें हैं. बीटेके के ब्रांच कप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, डाटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रोनिक्स एंड कयूनिकेशन, मटेरियल साइंस एंड मेटलॉर्जिकल, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, मेकट्रोनिक्स इंजीनियरिंग शामिल है. आईआईटी भिलाई में मास्टर डिग्री की करीब 200 और पीएचडी की करीब 100 सीटें हैं.
आईआईटी भिलाई कैंपस
आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर प्रोफेसर राजीव प्रकाश ने एनडीटीवी को बताया कि आईआईटी भिलाई एक नया संस्थान है. नया संस्थान होने के कारण शुरू से ही हमने कोशिश की कि जो दुनिया की डिमांड है, जो नई सुविधाएं हैं, इक्यूपमेंट हैं, उन सारी सुविधाओं को हम शुरू से ही लेकर चल रहे हैं. आने वाले 20 साल की जरूरतों को अभी से ही ध्यान में रखकर सुविधाएं दी जा रही हैं. सेकेंड ईयर से ही हम इंटरप्रोन्योरशिप के लिए क्रेडिट कोर्स चलाते हैं.
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स्टूडेंट्स कैसे जॉब प्रोवाइडर भी बन सकते हैं, उसपर फोकस है. फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स के लिए प्लेसमेंट कैंपस आयोजित किए जा रहे हैं. हमारी रैंकिंग तेजी से ऊपर आ रही है. 70 प्रतिशत से अधिक का प्लेसमेंट हो चुका है. कंपनियां लगातार आ रही है. हमारे संस्थान में स्टूडेंट्स को हर सुविधा और सहुलियत दी जाए, इसपर पूरा फोकस है.
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