Swachh Survekshan Awards 2024: मध्य प्रदेश का इंदौर शहर एक बार फिर देश का सबसे स्वच्छ शहर बन गया है. इंदौर ने ये उपलब्धि लगातार 8वीं बार हासिल की है. इस बार भी रेस में सूरत और पुणे शहर शामिल थे लेकिन अंतिम सफलता इंदौर के हाथ लगी. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर किन वजहों से इंदौर हर बार सबसे साफ शहर का तमगा हासिल करता है? इसके पीछे कई वजहें हैं. मसलन- इंदौर का कचरा प्रबंधन देश में सबसे बेस्ट है इसके अलावा स्वच्छता में नागरिकों की भागीदारी भी आपको चौंका सकती है.साथ ही साथ 24 घंटे पानी की आपूर्ति और खुले में शौच मुक्त स्थिति प्राप्त करने जैसे प्रयास भी इसमें शामिल हैं. इस रिपोर्ट में ऐसे ही 10 वजहों को फटाफट जानने की कोशिश करते हैं फिर उन पर विस्तार से चर्चा कर लेंगे.
अब इन वजहों को विस्तार से जान लेते हैं.
1. कचरा प्रबंधन: इंदौर ने 100% घरेलू कचरे का निपटान किया जाता है. इसे पहले अलग किया जाता है और फिर उसकी पूरी तरह प्रोसेसिंग होती है. शहर में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र किया जाता है. इससे खाद का भी निर्माण किया जाता है.
2. सार्वजनिक शौचालय: शहर में पर्याप्त सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध हैं, जो खुले में शौच की समस्या को कम करते हैं.इसके साथ ही इस शौचालयों की सफाई में भी कोताही नहीं बरती जाती.
3. कचरा प्रबंधन में तकनीक का इस्तेमाल: इंदौर ने कचरा प्रबंधन में प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है, जैसे कि कचरा ट्रॅकिंग सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे, जिससे कचरा संग्रह और निपटान प्रक्रिया को बेहतर बनाया गया है.
4. नागरिकों की सक्रिय भागीदारी: इंदौर ने स्वच्छता अभियान में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की है. लोगों को स्वच्छता के महत्व के बारे में शिक्षित किया गया है और उन्हें कचरा प्रबंधन में शामिल किया गया है.अब ये जनआंदोलन जैसा बन गया है.
5. खुले में शौच मुक्त (ODF) शहर:इंदौर ने खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) स्थिति प्राप्त कर ली है, जिसका अर्थ है कि शहर के सभी घरों में शौचालय की सुविधा है और लोग खुले में शौच नहीं करते हैं.
6. डोर-टू-डोर कचरा संग्रह:इंदौर में घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा किया जाता है, जिससे सड़कों पर कचरा जमा होने से रोका जाता है. इस प्रक्रिया का बेहद सख्ती से पालन किया जाता है.
7. गार्बेज सेग्रिगेशन + 3 आर ,मॉडल: इंदौर में कचरा अलग अलग रूपों में बांटा जाता है. मुख्य रूप से अटाला अलग, गीला कचरा अलग और सूखा कचरा अलग रखा जाता है. उसके बाद इन्हें रिसाइकल करने के लिए भी टीमें बनाई गई है. नगर निगम द्वारा इसकी पूरी निगरानी की जाती है.
8. डस्टबिन का उपयोग : मुख्य रूप से इंदौर शहर में हर 50 मीटर पर कूड़ेदान बनाए गए हैं.जिससे सड़कों पर कचरा कम होता है और सफाई ज़्यादा रहती है. इन कचड़ा पेटियों से तकरीबन हर दिन कचड़ा निकाल लिया जाता है.
9. हर रात सड़कों की सफाई : इंदौर में मुख्य रूप से हर रात सड़कों से धुल साफ़ करने के लिए सफाई अभियान चलाया जाता है. दिवाली हो या होली, रंगपंचमी या गणेश चतुर्थी हर त्यौहार के सेलेब्रेशन के तुरंत बाद कचरा साफ़ किया जाता है. इंदौर का रिकॉर्ड है कि रंगपंचमी के 5 घंटों के अंदर पूरा इंदौर साफ़ हो जाता है.
10.सिटी ब्यूटीफिकेशन: इंदौर में कलाकारों को कैनवास नहीं दीवारें दी गई हैं, इन दीवारों पर कलाकार भारत की संस्कृति का बखान करते हैं और इंदौर की छवि को और बेहतर बनाते हैं. इन सभी प्रयासों के कारण, इंदौर लगातार आठ बार भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनने में सफल रहा है.
इन्हीं वजह से इंदौर शहर साल 2017 से लगातार पूरे देश में सबसे स्वच्छ शहर का तमगा हासिल करता रहा है. स्वच्छता के लिए इंदौर शहर के जनभागीदारी मॉडल को पूरे देश में आदर्श माना जाता है. इस खिताब को जीतने के बाद इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा- इंदौर शहर की स्वच्छता की आदत और सफाई मित्रों जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों कर्मचारियों की मेहनत का परिणाम है कि इंदौर स्वच्छता की सुपर लीग में भी पहले पायदान पर आया है। उन्होंने बताया कि इंदौर की स्वच्छता यात्रा सिर्फ एक प्रशासनिक प्रयास नहीं, बल्कि जनता की भागीदारी से मिली बड़ी सफलता है.
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