'मैं जिंदा हूं साहब' का हाथ में बोर्ड लेकर लगा रहा है अपने आप को जिंदा साबित करने की गुहार, सूरजपुर से आया अनोखा मामला...

Surajpur News: हाथ में मैं जिंदा हूं साहब का बोर्ड लिए नंदलाल सूरजपुर जिले के श्याम नगर गांव में रहता है लेकिन यह ग्रामीण पिछले कई महीनों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है. नंदलाल के अनुसार उसने इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस चौकी से लेकर कलेक्टर तक से की है.

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Surajpur News: सूरजपुर में मरे हुए आदमी को अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए करना पड़ रहा है संघर्ष

Chhattisgarh: क्या किसी जीवित व्यक्ति को अपने आप को जिंदा साबित करना पड़ सकता है, ये सुनकर शायद आपको अजीब सा लगे लेकिन ऐसा हुआ है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सूरजपुर (Surajpur) के एक व्यक्ति को पिछले कई महीनो से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.  इस शख्स के पास तमाम दस्तावेज है जो यह प्रमाणित करते हैं कि यह शख्स जिंदा है. इसके बावजूद यह व्यक्ति सरकारी कागजों में आज भी मृत है. वही संबंधित अधिकारी पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

मैं जिंदा हूं का बोर्ड लिए घूम रहा है शख्स

हाथ में मैं जिंदा हूं साहब का बोर्ड लिए नंदलाल सूरजपुर जिले के श्याम नगर गांव में रहता है लेकिन यह ग्रामीण पिछले कई महीनों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है. नंदलाल के अनुसार उसने इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस चौकी से लेकर कलेक्टर तक से की है. इसके बावजूद आज भी यह सरकारी दस्तावेजों में मृत है. जानकारी के अनुसार नंदलाल के रिश्तेदारों ने इसकी जमीन हड़पने के लिए सरकारी दस्तावेजों में इसे मृत साबित करने के उद्देश्य से तहसील में शपथ पत्र दाखिल किया है. जिसमें यह बताया गया है कि नंदलाल की मृत्यु 40 साल पहले हो चुकी है.

पिछले कई महीनों से यह मामला भटगांव तहसील में विचाराधीन है लेकिन संबंधित अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय तारीख पर तारीख दिए जा रहे हैं. वहीं मीडिया की दखल के बाद अब संबंधित अधिकारी जल्द ही कार्रवाई की बात कर रहे हैं.

इस तरह के और मामले भी आए हैं सामने...

सूरजपुर में यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. जहां जमीन हड़पने के लिए कुछ लोगों के द्वारा जिंदा व्यक्तियों का मृत्यु प्रमाण पत्र बना लिया जाता है. लेकिन इसे सरकारी अधिकारियों की उदासीनता ही कहेंगे कि अभी भी ऐसे मामलों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. ऐसे में ज़रूरत है कि दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि आगे कोई नंदलाल इनका शिकार ना बने.

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