ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बाद बोले डिप्टी CM, नक्सलवाद के खात्मे के लिए ये रास्ता भी अपनाएंगे

NDTV Exclusive Interview : नक्सल समस्या के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बड़ी पहल की है. सरकार ने नक्सलियों से ही पूछा है कि वह मुख्य धारा में जुड़ने के लिए क्या चाहते हैं? छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों की राय जानने के लिए बाकायदा ईमेल आईडी जारी किया है.

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नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा ऑफर, NDTV से बातचीत में डिप्टी CM ने किया खुलासा

Chhattisgarh Naxal News: नक्सल समस्या के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बड़ी पहल की है. सरकार ने नक्सलियों से ही पूछा है कि वह मुख्य धारा में जुड़ने के लिए क्या चाहते हैं? छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों की राय जानने के लिए बाकायदा ईमेल आईडी जारी किया है. दरअसल, बीते कई समय से छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलवाद समेत अन्य हिसंक घटनाओं से निपटने के लिए कदम उठाने में जुटी हुई है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में नक्सली समस्या के समाधान को लेकर सरकार की योजनाओं और गतिविधियों पर हमारे संवाददाता निलेश त्रिपाठी ने उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा से खास बातचीत की.

सवाल: नक्सलियों के पुनर्वास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की नई पहल क्या है?

जवाब: पुनर्वास जिन्हें करना है वह क्या चाहते हैं? सरकार से उन्हें बताना चाहिए. इसके लिए कोशिश की जा रही है. ईमेल आईडी जारी किए हैं, गूगल फॉर्म जारी किए हैं. अगर उनको कुछ लगता है तो वह बता सकते हैं. उनके सुझाव के आधार पर हम योजनाएं तैयार करने की कोशिश करेंगे. सुझाव के आधार पर हम आग्रह करेंगे कि वह मुख्यधारा में शामिल हों, बंदूक छोड़ें, जंगल में बंदूक लेकर घूमने का कोई अर्थ नहीं है. इसका कोई फायदा किसी को नहीं है.

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सवाल: एक तरफ फोर्स की सख़्ती दूसरी तरफ सुलह की कोशिश.... क्या यह सख़्ती प्लस सुलह की रणनीति है?

जवाब: हमारी सरकार बहुत स्पष्ट के साथ यह मानती है कि बस्तर के हर गांव में विकास पहुंचना चाहिए. नक्सलियों ने विकास के मार्ग पर IED बिछा कर रखा है . विष्णु देव जी की सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध के इस मार्ग पर जो भी व्यवधान होंगे उसको प्रयास करके चर्चा से दूर किया जाएगा कुछ नहीं होने पर पर सख़्ती भी की जाएगी.

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सवाल: सक्सेस रेट 100% हो और मुठभेड़ पर सवाल ना उठे इसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? 

जवाब: अब तक तो कोई मुठभेड़ ऐसी नहीं हुई है, सब मुठभेड़ गंभीर सूचनाओं के आधार पर है और उन बातों के पीछे बहुत सारी जानकारियां एकत्रित की गई हैं. बीजापुर के एक संदर्भ में अगर आप कह रहे होंगे तो उसकी भी पर्याप्त जानकारियां हैं. मसला यह है कि बार-बार उन्होंने विज्ञप्ति जारी की और हमने उसको यूज कर लिया कि देखिए नक्सली भी मान रहे हैं कि मुठभेड़ हो रही है और उनके साथी मारे जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस वाले गलत बोल रहे हैं. यह जो यूज हो गया बार-बार तो उसके बाद उनको लगा कि कैसे आरोप लगाया जाए तो अब मुठभेड़ को फर्जी बताया जा रहा है. लेकिन मुझे लगता है कि पर राजनीति नहीं होनी चाहिए इस पर सबको मिलकर के काम करना चाहिए यही मेरी सबसे विनती है.

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सवाल: इस के लिए आपके पास कोई इनपुट आया था या आपकी फिर टीम ने यह रणनीति बनाई? 

जवाब: नक्सलियों से ऐसी कोई सूचना आई ऐसा नहीं है, लेकिन हमको ऐसा जरूर लगा कि जिनको योजना का लाभ लेना है उनकी राय जरूर इस मामले में रखी जानी चाहिए हमारी पुरानी पुनर्वास योजना भी अच्छी है, लेकिन फिर भी अगर उसमें कुछ अपडेट की जरूरत हो तो उसे किया जा सके, इसलिए हमने यह पहल की. अभी तरीके कई ऐसे हैं जिसमें सामने आने की जरूरत नहीं है, फिर भी अपनी बात रखी जा सकती है. इसलिए यह हमने गूगल फॉर्म जारी किया और साथ ही ईमेल आईडी जारी की गई. इसके माध्यम से नक्सली अपना सुझाव रख सकते हैं.

सवाल:  नक्सलवाद जैसी विचारधारा को खत्म करना इतना आसान है क्या? इसके खात्मे के लिए क्या पहल की जा रही है? ऐसा क्या किया जाए कि लोग इस विचारधारा से ही न जुड़ें?

❝ यह जो विचारधारा है... गलत है मैं पूछना चाहता हूं कि माओवाद दुनिया में कहां सक्षम हुए, कहां उसका फल दिखा....? चीन में तो है ना माओवाद, चीन में शासन में तो है न माओवाद. वहां पर किसी को क्या मिल गया?? चीन की सड़कों पर जब युवा अपनी बात कहने के लिए निकले तो उन्हें सरकार ने टैंक से उड़ा दिया गया. कई बौद्ध मठ तोड़ दिए गए. यहां ही कॉर्पोरेट का विरोध करते हैं, लेकिन चीन में सबसे ज्यादा कॉर्पोरेट हावी हैं. वहां किसी व्यक्ति को स्वतंत्रता नहीं है जिस तरह से आप मुझसे प्रश्न पूछ रहे हैं, वहां पर मीडिया को  प्रश्न पूछने की आजादी नहीं है. तो ऐसी सरकार और ऐसी व्यवस्था किसे चाहिए? राजा वाली व्यवस्था इससे तो ठीक ही थी कम से कम. ना तो अब कोई जमीदार है ना कोई राजा है. सरकार ही कल्याणकारी है. अगर नहीं है तो 5 साल बाद उसे बदल सकते हैं. बंदूक की नली से स्कूल और अस्पताल नहीं निकल सकते हैं. सरकार हर स्तर पर विकास करना चाहती है, लेकिन वहां वह बंदूक लेकर घूम रहे हैं और सिर्फ वही नहीं, उनके चक्कर में हमारे जवान भी तो....बंदूक लेकर घूम रहे हैं. जंगलों में बड़ा पोटेंशियल है, सिर्फ आर्थिक ही नहीं बल्कि वहां की संस्कृति परंपरा सब कुछ. हम तो मानते हैं कि वह हमारे ऋषि मुनियों की परम्परा का जंगल जमीन है. वो जंगल तो दंतेश्वरी माई का जंगल है. वहां के लोग भोले-भाले हैं सच्चे हैं. वह जल जंगल जमीन उनका है, वह कहते हैं तो हम भी मानते हैं कि वो जल जंगल जमीन उन्हीं का है. यहां विकास के लिए क्या होना चाहिए. सरकारों को क्या करना चाहिए? इस पर बात होनी चाहिए. अब यह बंदूक लेकर घूमेंगे तो कहां से बात होगी बातचीत से हल निकलना चाहिए. ❞ -

विजय शर्मा

उपमुख्यमंत्री छत्तीसगढ़

सवाल: ये आखिरी ऑफर है क्या? अब सिर्फ सख्ती की जाएगी या फिर आगे भी बातचीत की जा सकती है? 

जवाब: कोई चीज खत्म नहीं होगी, बातचीत हमेशा रहेगी. कुछ दिन पहले हमने सिलगेर, टेकलगुड़ा पूवर्ती के युवाओं को उनकी राजधानी रायपुर दिखाया था उनका विधानसभा दिखाया था आप यकीन नहीं मानेंगे कि उनमें कुछ युवा ऐसे भी थे जो 25-30 साल तक टीवी तक नहीं देखे थे. यह माओवादियों का कैसा विकास है? आप क्यों किसी कोई हालत में रखना चाहते हैं. उन्हें उनका अधिकार मिलना ही चाहिये.

सवाल: क्या सरकार प्रतिबद्ध है कि अब नई जनरेशन कम से कम नक्सल विचारधारा से ना जुड़े?

जवाब: सरकार प्रतिबद्ध है की नई जनरेशन उसे विचारधारा से ना जुड़े जो नक्सली संगठन से जुड़े हैं उनका पुनर्वास हो. जो सरेंडर कर चुके हैं उनका पुनर्वास बेहतर हो. सरकार प्रतिबद्ध है कि जो नक्सलियों के कारण पीड़ित हैं. उनके लिए बेहतर काम हो उनके लिए विक्टिम रजिस्टर बने. उन्हें सहायता देने की कोशिश की जाए. सरकार प्रतिबद्ध है कि मनोभाव जो लोगों में सरकार के प्रति है वह बेहतर हो. सारी बातों के लिए सरकार प्रतिबद्ध है साथ ही साथ सरकार प्रतिबद्ध है कि ना माने जाने पर ऑपरेशन जारी रहे. अंतिम स्थिति में ऑपरेशन करना पड़ता है जब पता चलता है कि लोग बंदूक रखकर जा रहे हैं तब उनके ऊपर कार्रवाई करनी पड़ती है. चर्चा करें, बातचीत करें आपकी सरकार है आपकी जानता है बातचीत से ही हल निकलेगा.

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