
Gariaband Forest Area : गरियाबंद जिले के कुल्हाड़ीघाट परिक्षेत्र में बाघ के पंजों के निशान दिखे हैं. साथ ही उसी के आस-पास जंगल में दो मवेशियों के शव भी मिले हैं. वन्यजीव प्रेमियों के बीच ये घटना कौतुहल का विषय बनी हुई है. लेकिन जंगल से सटे गांवों में भय और सतर्कता का कारण भी बन गई है. ग्रामीणों में डर बना हुआ है.
जंगल मे वनोपज बीनने गए ग्रामीण देवलाल सोरी ने सबसे पहले पदचिह्न देखे और इसकी सूचना स्थानीय बीट गार्ड को दी. इसके तुरंत बाद वन विभाग की टीम सक्रिय हो गई. मौके पर जांच करने पहुंचे अधिकारियों को पगचिह्न के अलावा दो अलग-अलग आकार के पंजों के निशान मिले, जिससे यह संकेत मिला कि संभवतः इलाके में दो बाघों की मौजूदगी है.
पिछली बार बाघ की तस्वीर 2022 में ट्रैप की गई थी
वन विभाग ने मौके से पदचिह्नों के प्लास्टर मोल्ड बनाए हैं और डीएनए जांच के लिए मल के नमूने तलाशे जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार, क्षेत्र में पिछली बार बाघ की तस्वीर अक्टूबर 2022 में कैमरा ट्रैप में दर्ज की गई थी.
ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह
उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट के उपनिदेशक वरुण जैन ने कहा कि तेंदूपत्ता तोड़ाई के मौसम में बड़ी संख्या में लोग जंगल की ओर जाते हैं, ऐसे में वन विभाग ने लाउडस्पीकर से मुनादी कराकर ग्रामीणों को सावधानी बरतने और अकेले जंगल न जाने की चेतावनी दी है. क्षेत्र में कैमरा ट्रैप लगाए जा रहे हैं और गश्त बढ़ा दी गई है.
प्रशासन की चिंता
बाघ का दिखना जहां जैव विविधता के लिए अच्छा संकेत माना जा सकता है. वहीं, ग्रामीणों की सुरक्षा और मवेशियों की हानि प्रशासन के लिए चुनौती बनकर सामने आई है. विभाग का मानना है कि ट्रैकिंग और समय पर हस्तक्षेप से किसी भी अप्रिय स्थिति को रोका जा सकता है.
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