Maharshi Valmiki Ashram Turturia: बलौदा बाजार जिले के तुरतुरिया धाम में मकर संक्रांति के मौके पर तीन दिवसीय पौष पूर्णिमा मेले का आयोजन किया गया है. कलेक्टर दीपक सोनी ने मेला स्थल पर कानून व्यवस्था के लिए कंट्रोल रूम की स्थापना, जनसुविधाएं और मोबाइल नेटवर्क की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन यहां अभी तक मोबाइल टावर का कोई नामोनिशान नहीं है.
नेटवर्क नहीं होने से श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी
यहां पहुंचने के बाद लोग नेटवर्क से कट जा रहे हैं, जिसके कारण श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है. वहीं कलेक्टर के आदेश पर अधिकारियों का ध्यान नहीं है. इतना ही नहीं सुरक्षा व्यवस्था में तैनात जवान पर भी दतान और खैरा से पहुंचे श्रद्धालुओं के साथ मारपीट का मामला सामना आया है.
हर साल तीन दिवसीय पौष पूर्णिमा मेले का आयोजन
बता दें कि राम वन गमन पथ में शामिल तुरतुरिया धाम में तीन दिवसीय मेला हर साल पौष पूर्णिमा पर आयोजित होता है. यह धार्मिक स्थल लव-कुश की जन्मस्थली और बलभद्र कुंड और मातागढ़ में स्थित मां काली की प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है. यहां स्थापित मां काली को "संतान दात्री" के रूप में पूजा जाता है. संतान प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना करने के लिए श्रद्धालु देश के कोने कोने से यहां आते हैं. बलौदा बाजार के कसडोल क्षेत्र में स्थित तुरतुरिया धाम का नाम तुरतुरिया नदी के कारण पड़ा है. यहां का मुख्य आकर्षक बालमदेही नदी है जिसे वाल्मीकि नदी भी कहा जाता है.
यहां है खूबसूरती का खजाना
इन नदियों का संगम होने के साथ ही यहां पर राम वन गमन पथ का निर्माण किया गया है. यह नदी क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य को और अधिक बढ़ाती है. इन नदियों के संगम और आसपास का क्षेत्र धार्मिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. यहां पर महर्षि वाल्मीकि ऋषि का आश्रम भी इन नदियों के किनारे स्थित है, जहां ऋषि ने तपस्या की थी. यही कारण है कि यह स्थान पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक मान्यताओं में विशेष महत्व रखता है. तुरतुरिया में बारनवापारा अभ्यारण्य का एक द्वार भी है, जहां से श्रद्धालु वाइल्ड लाइफ को जानने के लिए बारनवापारा अभ्यारण्य भी जाते हैं.
खतरनाक खाईयों को बैरिकेट करने का दिया गया था आदेश
बता दें कि तुरतुरिया मेले की तैयारियों का जायजा लेते हुए कलेक्टर दीपक सोनी ने कंट्रोल रूम स्थापित करने और नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे इस क्षेत्र में स्थापित बीएसएनएल के मोबाइल टॉवर को सक्रिय करने का निर्देश दिए थे, जिससे मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो. उन्होंने खतरनाक खाईयों को बांस-बल्ली से बैरिकेट करने के लिए वन विभाग को निर्देशित किया था. साथ ही मेला स्थल के पास वाले शराब दुकानों को मेले के दौरान शाम 4 बजे से बंद रखने और पुलिस को शांति और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए सतर्क रहने के लिए कहा गया था.
साथ ही मेले में भीड़ प्रबंधन, सफाई व्यवस्था और लोगों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर दिया था. श्रद्धालुओं से मारपीट के सम्बन्ध में पूछे जाने पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा कि शिकायत नहीं आई है.
एसडीओपी कौशल किशोर वासनिक ने कहा कि पुलिस मारपीट नहीं की गई है. हां एक छेड़छाड़ का मामला जरूर आया था, जिसे वन विभाग के कर्मचारियों ने पकड़ा था. ठाकुरदिया में तो पुलिस बल तैनात नहीं है, उससे आगे ट्रैफिक और बड़ी वाहनों को रोकने के लिए पुलिस बल लगाई गई है, क्योंकि भीड़ ज्यादा आने से गाड़ियों की जाम लग रही है.
सड़क और टॉयलेट का अभाव है
मेला स्थल पर जाने के लिए आवश्यक मुख्य सड़क की हालत जर्जर है. ऊबड़ खाबड़ सड़क की मरम्मत नहीं हो पाई है. गड्ढों में तब्दील सड़क पर पानी नहीं डालने से यहां पहुंच रहे श्रद्धालुओं को धूल परेशान कर रही है. इसके साथ ही शौचालयों की भी भारी कमी है, इसके कारण लोग खुले में शौच करने को मजबूर हो रहे हैं.
हजारों की संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु
तुरतुरिया धाम में आयोजित तीन दिवसीय मेले का में हजारों श्रद्धालु आ रहे हैं. मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, धार्मिक अनुष्ठान और कई परंपरागत गतिविधियां हो रही हैं, जो आकर्षण का केंद्र है. यहां पर मां काली जो संतान दात्री के रूप में स्थापित हैं उनके पास देशभर से श्रद्धालु संतान प्राप्ति की कामना लेकर आ रहे हैं.
बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र की होती है शुरुआत
बारनवापारा अभ्यारण्य और तुरतुरिया धाम के बीच का संबंध न केवल धार्मिक और पर्यावरणीय है बल्कि भौगोलिक भी है. तुरतुरिया धाम 245 वर्ग किलोमीटर में फैले बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जिसे लव-कुश की जन्मस्थली माना जाता है. बालमदेही नदी के किनारे स्थित यह धाम प्राकृतिक सुंदरता से घिरा है. यहां से अभ्यारण्य में प्रवेश का एक द्वार भी है, जो पर्यटकों को धर्म और प्रकृति का अनूठा अनुभव प्रदान करता है. जो लोग यहां आते हैं वे बारनवापारा अभ्यारण्य के जैव विविधता और शांत वातावरण को देखने जरूर जाते हैं.
तेंदुआ, चीतल, जंगली भालू, नीलगाय, विभिन्न पक्षी प्रजातियां और बटरफ्लाई की कई प्रजातियां यहां पाई जाती हैं. यह क्षेत्र न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि पर्यटकों और प्राकृतिक प्रेमियों को भी आकर्षित करता है. बारनवापारा अभ्यारण्य का घना जंगल तुरतुरिया को अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य और शांति प्रदान करता है, जो इसे एक आध्यात्मिक और पर्यटन स्थल दोनों बनाता है.
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