एक और घोटाला? तकनीकी स्टाफ और भंडारण क्षमता के बिना ही खरीद लिए 660 करोड़ के उपकरण, महालेखाकार ने उठाए सवाल

Scam in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में एक नया घोटाला सामने आ रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने बिना किसी टेक्निकल स्टाफ और भंडारण सुविधा के करोड़ों के उपकरण खरीद लिए हैं, जिसको लेकर प्रधान महालेखाकार ने सवाल उठाए हैं.

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नए उपकण रखे-रखे धूल खा रहे हैं.

Health Scam in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला (Coal Scam) और पीएससी घोटाला (PSC Scam) के बाद अब स्वास्थ्य घोटाला (Health Scam) सामने आया है. जिसको लेकर प्रधान महालेखाकार यानी प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (Principal Accountant General) ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा है. दरअसल, छत्तीसगढ़ में बिना की सुविधा, तकनीकी स्टाफ और भंडारण के ही करोड़ों-अरबों की मशीनें खरीद ली गई हैं. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के इस कदम पर सवाल उठने लगे हैं.

छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) को लिखे इस पत्र से साफ समझ में आ रहा है कि कैसे स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों के ऐसे उपकरण खरीद लिए, जिन्हें चलाने वाला कोई नहीं था. इस पत्र के जरिए प्रधान महालेखाकार ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

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खरीदे गए 660 करोड़ रुपये के उपकरण

NDTV के पास इस मामले के एक्सक्लूसिव दस्तावेज हैं, जिनसे पता चलता है कि कैसे छत्तीसगढ़ राज्य चिकित्सा सेवा निगम लिमिटेड में वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये के चिकित्सा उपकरण और रसायन खरीदे गए. इन्हें 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा गया, जिनमें से 350 से अधिक केंद्रों में न तो तकनीकी स्टाफ था और न ही भंडारण सुविधाएं.

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बिना एक्सपर्ट धूल खा रही मशीनें

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के भाटागांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सोनोग्राफी और एक्स रे मशीन खरीद ली. लेकिन, हैरानी की बात ये है कि यहां एक्स रे मशीन चलाने के लिए ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट डॉक्टर और सोनोग्राफी के लिए महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति कभी हुई ही नहीं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर हर्षिता टेकाम ने बताया, यहां पर प्राथमिक उपचार की सुविधा है, आजकल बीपी और शुगर की सारी सर्विसेज यहां पर हैं. इसके अलावा यहां पर सोनोग्राफी और एक-रे का भी हमने सेटअप तैयार किया है, लेकिन वह शुरू नहीं हो पाया है. जैसे यहां पर पोस्टिंग होती है शुरू हो जाएगी. 

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उन्होंने कहा, कोई भी अस्पताल ये नहीं बताएगा कि इक्विपमेंट की आवश्यकता नहीं है, हम लोग तो चाहेंगे ज्यादा से ज्यादा इक्विपमेंट हो ताकि लोगों को बेहतर इलाज मिल सके. उरला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बड़ी संख्या में कुर्सियां पड़ी हैं, लेकिन दुख की बात ये है कि यहां ये कुर्सियां रखने की ही जगह नहीं है.

2018 में भी ऐसा ही मामला आया था सामने

चिकित्सा के पेशे से जुड़े जानकार और पैरामेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश साहू कहते हैं, करोड़ों के इक्विपमेंट खरीद लिए गए हैं, जो धूल खा रहे हैं. राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल में भी 2018 में भी 18 करोड़ की लागत से PET SCAN गामा मशीन खरीदी गई थी, जो आज तक चालू नहीं हुई.

महालेखाकार ने उठाए ये सवाल

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के ये हालात प्रधान महालेखाकार से नहीं छिप सके. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को खत लिखा, जिसकी एक्सक्लूसिव कॉपी NDTV के पास है. इस पत्र में पूछा गया कि छत्तीसगढ़ राज्य चिकित्सा सेवा निगम लिमिटेड ने साल 2022-23 और 2023-24 के दौरान बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये के चिकित्सा उपकरण और अभिकर्मकों की खरीद की थी. साल 2022-23, 2023-24 में  बजट के बगैर 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए मशीन खरीद ली गई, जिसे ऑपरेट करने के लिये मैनपावर ही नहीं है. बिना आधारभूत सर्वेक्षण के उपकरण और रसायनों के लिए आदेश दिए गए. ये उपकरण और अभिकर्मक यानी रीएजेंट 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को दिये गये, जिसमें 350 से अधिकतर में ना तकनीकी लोग थे ना भंडारण सुविधाएं.

पत्र में कहा गया कि आयुष्मान भारत के दिशा-निर्देशों के अनुरूप डायग्नोस्टिक टेस्ट की सीमा का विस्तार किया जाना चाहिए था, लेकिन सभी 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में समान मात्रा में उपकरण और अभिकर्मक खरीद लिये गये. जिसकी वजह से करोड़ों के उपकरण धूल खा रहे हैं और रीएजेंट की गुणवत्ता भी खराब हो सकती है, जो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के लिये ठीक नहीं है.

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