Elephant Dhan Chori Viral Video in Raigarh CG: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के बंगुरसिया क्षेत्र की सेवा सहकारी समिति में इन दिनों जो हो रहा है, उसे सिर्फ नुकसान या आतंक कहना शायद अधूरा सच होगा. यहां रात के अंधेरे में जब विशालकाय 'साए' चुपचाप उपार्जन केंद्र की ओर बढ़ते हैं, तो लगता है जैसे जंगल की भूख इंसानों के बीच चली आई हो. यह कोई साजिश नहीं, बल्कि पेट की आग है, जिसने जंगली हाथियों को धान की मंडी तक पहुंचा दिया.
हाथियों ने धान मंडी में रखी 44 बोरियां खाई
बीते कुछ दिनों से हाथियों का दल लगातार बंगुरसिया सेवा सहकारी समिति परिसर में दाखिल हो रहा है. हाल ही में हाथियों ने धान मंडी में रखी 44 बोरियां खा लीं. इसे लोग ‘चोरी' कह रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या भूख से मजबूर किसी जीव का भोजन ढूंढना अपराध है? जंगल सिमटते जा रहे हैं, भोजन के पारंपरिक रास्ते खत्म हो रहे हैं और ऐसे में धान की खुशबू हाथियों को इंसानी इलाकों तक खींच ला रही है.

Elephant Dhan Chori Viral Video in Raigarh CG
कर्मचारियों की आंखों में डर जरूर है, लेकिन दिल में संवेदना भी. वे कहते हैं कि हाथी दुश्मन नहीं हैं. कई बार कर्मचारी हाथियों को देखकर पीछे हट जाते हैं, ताकि कोई टकराव न हो. इंसान जान बचाने की कोशिश करता है और हाथी पेट भरने की. यही वह बिंदु है, जहां इंसान और जानवर की मजबूरियां आमने-सामने खड़ी हो जाती हैं.
बाउंड्री वॉल का निर्माण नहीं कराया गया
चिंताजनक बात यह है कि वर्षों से हाथियों की नियमित आवाजाही के बावजूद समिति परिसर में अब तक बाउंड्री वॉल का निर्माण नहीं कराया गया. खुले परिसर ने इस ‘भूख की चोरी' को हर साल की कहानी बना दिया है. हाथी आसानी से भीतर आ जाते हैं, धान खाते हैं और चले जाते हैं, पीछे छोड़ जाते हैं डर, नुकसान और कई अनुत्तरित सवाल.
स्थानीय लोग मानते हैं कि अगर समय रहते सुरक्षा के इंतजाम होते, तो न हाथियों को ‘चोर' बनना पड़ता और न ही इंसानों को हर रात किसी अनहोनी का डर सताता. कर्मचारियों को आशंका है कि यदि हालात ऐसे ही रहे, तो भविष्य में यह भूख किसी बड़ी जनहानि का कारण भी बन सकती है.
अब बंगुरसिया के लोग प्रशासन से सिर्फ दीवार नहीं, बल्कि इंसान और हाथी के बीच संतुलन की मांग कर रहे हैं. ताकि जंगल का यह भूखा मेहमान चोरी करने को मजबूर न हो और इंसान डर के साये में काम न करे.
8 दिनों में 44 बोरी धान हाथी खा चुके
कुंज बिहारी निषाद, समिति प्रभारी ने बताया कि ''हमारे यहां हर साल धान खरीदी के समय जंगली हाथी धान खाने पहुंच जाते हैं. पिछले 8 दिनों से यहां शाम 6 बजे और रात को 9 के बाद हाथी देखने को मिलता है. 8 दिनों में 44 बोरी धान हाथी खा चुके हैं. यहां के कर्मचारी दहशत में रहते हैं क्योंकि हाथी किसी पर भी हमला कर सकता है. इससे बचने के लिए हम समिति भवन के ऊपर मचान बनाए हैं. जब भी हाथी यहां पहुंचता है तो इसकी जानकारी हम वन विभाग और प्रशासन की टीम को देते हैं. यहां पर बाउंड्री वॉल की आवश्यकता है तभी जाकर हाथियों को रोका जा सकता है. 31 जनवरी तक धान खरीदी होनी है ऐसे में लगातार हाथी आते रहे तो और भी नुकसान हो सकता है.''