दुर्ग के जिला अस्पताल में प्रधानमंत्री मुफ्त डायलिसिस योजना (Prime Minister Free Dialysis Scheme) के तहत संचालित डायलिसिस यूनिट का भीषण गर्मी में हाल-बेहाल हो गया है. दरअसल, पिछले तीन महीने से डायलिसिस यूनिट का एसी खराब है. इसकी वजह से सामान्य मरीजों की डायलिसिस के लिए बना चार मशीनों वाला कक्ष और हेपेटाइटिस सी मरीजों की डायलिसिस के लिए एक मशीन वाला कक्ष ठंडा नहीं हो पा रहा है. हर किडनी मरीज की किडनी डायलिसिस में औसतन 4 घंटे का समय लगता है. ऐसे में इस भीषण गर्मी के बीच मरीज को डायलिसिस कराने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
7 हेपेटाइटिस और 35 सामान्य मरीजों का होता है डायलिसिस
दरअसल, इन दिनों दुर्ग समेत पूरे छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी पड़ रही है. भीषण गर्मी के इस दौर में मरीज पसीने से तरबतर हो रहे हैं. हालांकि गर्मी का सीजन निकलने के बाद विभाग के जिम्मेदारों ने नया एसी लगाने के लिए कोटेशन मंगाया है, बता दें कि जिला अस्पताल के इस सेंटर पर हर महीने 35 सामान्य किडनी मरीजों और 7 हेपेटाइटिस मरीजों की रोटेशन अनुसार डायलिसिस की जाती है. वहीं सेंटर का संचालन कोलकाता की एस्काग संजीवनी नाम की एक निजी एजेंसी कर रही है.
एजेंसी को जारी किया गया नोटिस
नए सिविल सर्जन डॉ. हेमंत साहू ने कहा, 'दोनों कक्षों में नया एसी लगाने के लिए निजी कंपनी ने कोटेशन मंगा लिया है. शीघ्र ही दोनों कक्षों में एसी लग जाएगी, अगर एसी नहीं लगती है तो एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल परिसर के डायलिसिस सेंटर का संचालन निजी एजेंसी करती है. इस अस्पताल की तरह से उसे केवल कक्ष दिया गया है.
सिविल सर्जन डॉ. हेमंत साहू ने कहा, 'वहां लगे तीन एसी खराब होने की जानकारी जैसे ही मिली मैंने एजेंसी को नोटिस जारी कर दिया. एजेंसी के हेडऑफिस से मुझे बताया गया कि एसी लगाने उन्होंने कोटेशन मंगा लिया है. शीघ्र ही तीनों एसी नया लग जाएगा. डॉ. ने आगे कहा, 'नहीं लगने पर मैंने उन्हें कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.'
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जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री मुफ्त डायलिसिस योजना के तहत ये पहला मुफ्त में डायलिसिस करने वाला सेंटर है. यहां पहुंचने वाले मरीजों का रोटेशन बनाकर समय नियत कर दिया जाता है. जिले में मुफ्त डायलिसिस का दूसरा सेंटर चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में है. यहां अभी दो मशीनें संचालित है. आयुष्मान से भी मुफ्त डायलिसिस होती है. जिला अस्पताल में डायलिसिस के लिए आने वाले मरीजों की सुविधा का ख्याल नहीं रखा जा रहा.
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