मुआवजे की मांग: बारिश कम होने के चलते फसल हुई खराब, साहूकारों और बैंकों के ब्याज के पेंच में फंसे किसान

Farmers Demanded for Compensation: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में धान की फसल खराब होने के चलते किसानों ने मुआवजे की मांग की है. किसानों का कहना है कि वे बैंक और साहूकारों से लोन ले चुके हैं और फसल खराब होने के चलते वे अपनी फसल नहीं बेच पाए हैं.

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पिछले तीन महीने से किसान फसल क्षति बीमा क्लेम की मांग को लेकर जगह-जगह ज्ञापन सौंप चुके हैं.

Compensation for Paddy Crop: गरियाबंद (Gariaband) के देवभोग तहसील में कम बारिश होने के चलते धान का उत्पादन प्रभावित हुआ है. जिसके चलते 28 गांव के लगभग 1818 किसान समर्थन मूल्य (MSP) पर धान नहीं बेच पाए. लिहाजा सहकारी बैंक (Cooperative bank) से मिलने वाले ब्याज मुक्त 9.95 करोड़ रुपए का ऋण भी ये नहीं चुका सके हैं. अब कर्ज चुकाने के लिए इन्हें नोटिस दिया गया है. जिसमें कहा गया है कि 15 मार्च तक कर्ज नहीं चुकाया गया तो उन्हें ब्याज दंड के रूप में ऋण राशि के अलावा 12 प्रतिशत अतिरिक्त रकम जमा करना होगा.

रोज दफ्तरों के चक्कर काट रहे किसान

पिछले तीन महीने से प्रभावित किसान फसल क्षति बीमा क्लेम की मांग को लेकर जगह-जगह ज्ञापन सौंप चुके हैं. सीएम साय को भी किसानों ने अपना दुखड़ा सुनाया है. प्रकृति की मार और प्रशासन की धीमी कार्रवाई के बीच फंस चुके अन्नदाताओं के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है. किसानों की मांगों पर क्या कार्रवाई हो रही है यह जानने के लिए किसान रोजाना सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाते दिख रहे हैं. इन सब से परेशान हो चुके किसानों ने कहा कि मार्च महीने तक अगर समाधान नहीं निकला तो आमरण अनशन पर बैठेंगे.

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आमरण अनशन की दी चेतावनी

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जय कृष्ण नागेश ने इस मामले पर कहा कि खेत में फसल बोने के लिए पहले ही हम लोग साहूकारों के पास से लोन लेकर बैठे हैं. 1 मार्च तक भुगतान नहीं होने की दशा में हमें बैंक को ब्याज का भुगतान अलग से करना पड़ेगा. इससे आर्थिक हालात बिगड़ जाएंगे और अगले साल फसल बोने की स्थिति में भी नहीं रहेंगे. वहीं किसान नेता और जनपद सदस्य असलम मेमन ने कहा कि हमको न ही मुआवजा राशि मिल रही है, न ही बीमा राशि और न ही क्षतिपूर्ति की राशि मिल पा रही है. हमारे प्रकरण कृषि विभाग और राजस्व विभाग दोनों में ही पेंडिंग पड़े हुए हैं. 1 मार्च तक राशि नहीं मिलने पर हमें 15 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा. अगर 1 मार्च तक हमें बीमा राशि और क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिली तो हम लोग भूख हड़ताल पर बैठेंगे और जरूरत पड़ी तो आमरण अनशन करेंगे.

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क्या बोले जिम्मेदार?

वहीं इस पूरे मामले को लेकर देवभोग के तहसीलदार गेंद लाल साहू ने कहा कि जो किसान धान नहीं बेच पाए हैं. उनके लिए आरबीसी के प्रावधान के तहत उनको राशि का भुगतान करेंगे. जो किसान धान बेच चुके हैं और उनके पंजीकृत रकबे का धान बचा है, उनका गणना के आधार पर राशि का भुगतान किया जाएगा.

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