Chhattisgarh : शराबी अधीक्षक ने बच्चों को पीटा, फिर आधीरात हॉस्टल से बाहर निकाल दिया, मचा बवाल 

Chhattisgarh : जशपुर जिले के फरसाबहार ब्लॉक के ग्राम पंचायत डुमरिया में प्री मैट्रिक छात्रावास में रहने वाले बच्चों के साथ हॉस्टल अधीक्षक ने शराब के नशे में गालियां देकर मारपीट की. रात के अंधेरे में छात्रावास से बाहर निकाल दिया.  

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक शराबी हॉस्टल अधीक्षक ने आधीरात को मासूम बच्चों की पिटाई कर दी और फिर उन्हें हॉस्टल से निकाल दिया. हॉस्टल अधीक्षक की आधीरात को की गई इस करतूत से कई बच्चे पैदल चलकर घर पहुंचे और परिजनों को इसकी जानकारी दी. इसके बाद हड़कंप मच गया है. ग्रामीणों में जमकर नाराजगी देखी जा रही है. 

ये है मामला 

दरअसल, फरसाबहार विकासखंड से महज 10 किलोमीटर दूर संचालित प्री मैट्रिक छात्रावास के अधीक्षक नरसिंह मलार्ज ने 10 से 12 साल के अध्यनरत बच्चों की शराब के नशे में जमकर पिटाई कर दी. वहीं रात के अंधेरे में हॉस्टल से बाहर निकाल दिया. अधीक्षक की इस करतूत के बाद बच्चे पैदल अपने-अपने घर चले गए.

इस घटना की जानकारी मिलते ही कुछ बच्चों के परिजन और ग्रामीण एकत्रित हुए और उन्होंने खूब नाराजगी व्यक्त करते हुए  कानूनी कार्रवाई की मांग की. साथ ही ऐसा कृत्य करने वाले अधीक्षक के खिलाफ जमकर हंगामा भी मचाया. 

हॉस्टल अधीक्षक ने शराब के नशे में ऐसा कृत्य करने की बात स्वीकार की. नशेड़ी अधीक्षक ने कहा कि बच्चों ने उसकी बात नहीं मानी, इसलिए बच्चों की पिटाई कर रात के अंधेरे में बाहर भगा दिया था. 

इधर इस पूरे मामले की जानकारी मिलने के बाद मंडल संयोजक लालदेव भगत घटना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने ग्रामीणों से पंचनामा बनाकर शीर्ष अधिकारियों को प्रेषित कर कार्यवाही करने की बात कही है.  

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ग्रामीणों ने लगाए ये आरोप 

ग्रामीणों ने कहा कि जब रात को बच्चे खाना खा रहे थे, उस दौरान उनसे जमकर मारपीट के साथ रात के अंधेरे में बाहर निकाल दिया. सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो स्थानीय बच्चें हैं.वो अपने घर निकल गए. लेकिन जो बच्चे दूर-दराज के रहने वाले हैं. वे परेशान होते रहे.

इन दिनों जंगली जानवर हाथी और सर्पदंश से लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसे में आधीरात को बच्चों को हॉस्टल  बाहर निकालना सरासर गलत है. इतना ही नहीं ग्रामीणों का आरोप है कि इसके पूर्व भी छात्रावास अधीक्षक नरसिंह मलार्ज ऐसी घटना कर चुके हैं. उसके बाद भी उन्हें पहाड़ों से घिरे छात्रावास में दायित्व दिया जाना विभागीय अधिकारियों की उदासीनता को उजागर करता हैं. ग्रामीणों ने छात्रावास अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है 

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