नक्सल मोर्चे पर तैनात पुलिस-CRPF के 180 जवानों ने किया सुसाइड, जनता को सुरक्षित कर खुद जान देने की क्या है वजह

Police and CRPF Jawan Commit Suicide: छत्तीसगढ़ में तैनात पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के जवानों की आत्महत्या की घटनाएं चिंताजनक हैं. 6 वर्षों में छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा बलों से जुड़े करीब 180 जवानों ने खुद की जान ले ली है.

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Security Forces Jawan Commits Suicide: छत्तीसगढ़ की जनता को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी निभा रहे सुरक्षा बल के जवान खुद की जान ले रहे हैं. बीते 9 सितंबर को घोर नक्सल प्रभावित बस्तर के सुकमा जिले में इंजरम कैंप में तैनात 219 बटालियन के सीआरपीएफ जवान निलेश गर्ग की आत्महत्या की खबर ने हड़कंप मचा दिया. निलेश ने खुद को गोली मारकर अपनी जान ले ली, जिसके पास से 6 पेज का सुसाइड नोट बरामद हुआ. बता दें कि 6 वर्षों में छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा बलों से जुड़े करीब 180 जवान आत्महत्या कर चुके हैं.

नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों की आत्महत्या को लेकर आंकड़े

  • 16 अगस्त को बालोद जिले के दल्लीराजहरा थाना बैरक में पदस्थ तैनात असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर हीरामन मंडावी (48) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
  • अप्रैल में भाटापारा के कांग्रेस विधायक के सुरक्षाकर्मी दिगेश्वर गागड़ा ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.
  • अगस्त में ही रायपुर के सिविल लाइन में पदस्थ एक सिपाही का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला.
  • छत्तीसगढ़ गृह विभाग के आंकड़े के अनुसार, जनवरी 2019 से 15 जून 2025 तक छत्तीसगढ़ में ड्यूटी कर रहे सुरक्षा बल के 177 जवानों ने आत्महत्या की.
  • सबसे ज्यादा खुदकुशी करने वालों में बस्तर संभाग के 88 जवान हैं.
  • रायपुर संभाग में 34, दुर्ग में 24, बिलासपुर संभाग में 20 और सरगुजा में 11 जवानों ने आत्महत्या की.
  • इसी साल 15 जून के बाद राज्य में पुलिस व सुरक्षा बल के 4 जवानों ने आत्महत्या की.

मनोवैज्ञानिक ने क्या कहा

शैन्य मनोवैज्ञानिक डॉ वर्णिका शर्मा का कहना है कि ऐसी घटनाएं ज्यादातर उस समय होती हैं, जब जवान या तो छुट्टी से लौटता है या फिर छुट्टी पर जाने की मांग करता है. इसकी मॉनिटरिंग होते रहने की जरूरत है. जवान बहुत ही स्ट्रेस में रहकर काम करते हैं. ऐसे में सरकार को समय-समय पर काउंसलिंग करवाते रहना चाहिए.

सरकार ने भी माना जवान कर रहे हैं आत्महत्या

छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक सवाल के जवाब में गृह विभाग ने माना कि जवानों की आत्महत्या के बाद जांच में पाया गया है कि अधिकारी-कर्मचारी प्रमुख रूप से पारिवारिक, व्यक्तिगत, शराब सेवन एवं स्वास्थ्य संबंधी कारणों और अचानक आक्रोश में आकर आत्महत्या करते हैं.

IG ने बताया क्या कर रहा है विभाग

बस्तर संभाग के आईजी पुलिस सुंदरराज पी ने बताया कि जवानों की आत्महत्या करने के कुछ मामले सामने आ रहे हैं. जवानों को सुविधा देने के लिए वह अपने परिवार से बात कर सकें, इसलिए कैंपों के आसपास मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं ताकि नेटवर्क की दिक्कत ना हो. इसके अलावा स्वास्थ्यगत स्थितियों को ध्यान में रखते हुए योग शिविर और अन्य कार्यक्रम चलाए जाते हैं.

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क्या कह रहे एक्सपर्ट

शैन्य मनोवैज्ञानिक वर्णिका शर्मा कहती हैं कि जवानों की मनोस्थिति की मॉनिटरिंग की जानी चाहिए, अधिकारियों द्वारा और साथ में कार्य कर रहे अन्य कर्मियों द्वारा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर किसी भी जवान के व्यवहार में कोई परिवर्तन नजर आ रहा हो तो उसका विशेष ध्यान रखें और उसके साथ पारिवारिक माहौल बनाने की कोशिश करें. अधिकारियों को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि वह जवानों के साथ मिलकर बात करें और उनकी समस्याओं को समझें.

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