कोर्ट का एक्शन! फर्जी कार्रवाई करने पर पुलिस के खिलाफ ही दर्ज हो गई FIR, जानें पूरा मामला

Action Against Police: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में कोर्ट ने पुलिस की फेक कार्रवाई पर एक्शन लिया है. जिसके बाद कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

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Baloda Bazar News: अब तक आपने ने पुलिस (Baloda Bazar Police) द्वारा आरोपियों पर एफआईआर दर्ज (FIR Against Police) करने की बात सुनी होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार (Baloda Bazar) में खुद पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. यह एफआईआर कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज की गई है. दरअसल, पुलिस अधिकारी द्वारा की गई मनमानी की शिकायत पर जब विभागीय अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की तो फरियादी ने कोर्ट की शरण ली. जहां मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने थाने के सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. वहीं कोर्ट के इस आदेश पर एसएसपी सदानंद कुमार ने कहा कि कोर्ट का निर्देश आया है, हम जांच कर रहे हैं.

ये है पूरा मामला

बता दें कि बलौदा बाजार में कथित सट्टा पर कार्रवाई के नाम पर पुलिस ने लोहा व्यवसायी राजनारायण साहू के खिलाफ कार्रवाई की. जिसके खिलाफ व्यवसायी राजनारायण साहू ने सायबर सेल प्रभारी रहे परिवेश तिवारी और दो आरक्षक मुकेश रात्रे और जिनेन्द्र निषाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने बताया कि परिवेश तिवारी की नेतृत्व में पुलिस टीम बिना नंबर वाली कार में सवार होकर कथित सट्टा खिलाने के नाम पर उनके घर गई. जहां बिना जानकारी दिए उनका मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया और बाद में उन्हें हिरासत में लेकर सायबर सेल में मारपीट की गई.

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इसके बाद उन्हें कोतवाली थाना लाया गया और जहां बिना किसी कार्रवाई के छोड़ दिया गया. राजनारायण साहू ने बताया कि इस मामले की जानकारी होने के बाद भी उच्च अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की. राजनारायण साहू के अधिवक्ता योगेश नामदेव ने बताया कि बलौदा बाजार के नया बस स्टैंड में पुलिस सट्टा पर कार्रवाई करने गई थी. जहां राजनारायण साहू का नाम लिए जाने पर बिना जांच और उच्च अधिकारियों को सूचना दिए बगैर सायबर सेल प्रभारी परिवेश तिवारी राजनारायण साहू के घर गए और हिरासत में लेकर मारपीट की. वहीं राजनारायण साहू ने कहा कि पुलिस उनके घर से उठाकर ले गई और एसपी के खिलाफ अवमानना याचिका को वापस लेने का दबाव बनाया गया. इसके लिए उनके साथ मारपीट की गई.

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