Chhattisgarh: दिखा भ्रष्टाचार का खुला खेल, मनचाहे ठेकेदार को दिया 9 लाख का ठेका और काम सिर्फ.....हद है

Bilaspur News: स्थानीय लोगों के मुताबिक जिला प्रशासन ने अब तक इस स्कूल भवन में मरम्मत के लिए जितना खर्चा किया है उतने पैसों से एक और नई बिल्डिंग खड़ी की जा सकती है.

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Corruption News: मरम्मत के नाम पर हो रहा है भ्रष्टाचार

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर में खुलकर भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है. ये मामला बिलासपुर (Bilaspur) मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर नगर पंचायत कोटा के वार्ड क्रमांक 14 के टापू सतह पर प्राथमिक शाला धरमपुरा का है. यहां ठेकेदार और अधिकारी मिलकर सरकार को पैसे का चूना लगा रहे हैं. जिन पैसों में काम नए सिरे से कराया जा सकता है उतने पैसों में खाली मरम्मत कराई जा रही है. देखिए मिलकर कैसे चूना लगाया जा रहा है सरकार को.

टापू पर बना है ये स्कूल भवन

ये स्कूल भवन टापू पर बने होने के कारण नगर अधिकारी और ठेकेदार के लिए अवैध कमाई का जरिया बन गया है. दरअसल यहां 159 बच्चे अध्धययन करते हैं. टापू पर स्कूल भवन होने से तेज हवा छत पर लगी शेड को उड़ा ले जाती है, और ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई साल से इस तरह की घटना होती हुई आ रही है. लेकिन इस समस्या का समाधान अभी तक नहीं मिल पाया है.

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अधिकारियों की मिलीभगत से किया सरकार को बड़ा नुकसान

खुले आसमान के नीचे पढ़ाई के लिए मजबूर हैं बच्चें

तेज हवा चलने से छत पर लगा हुआ शेड उखड़कर बाहर गिर जाता है, और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे, खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हो जाते हैं. हालांकि अब तक हुए घटनाओं से कभी किसी बच्चे, शिक्षक या स्थानीय लोगों को आहत नहीं पहुंची है, लेकिन बार-बार उड़ रहे टीन शेड से किसी भी दिन बड़ी घटना हो सकती है.

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स्कूल भवन में टीन शेड उड़ने से बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है. साथ ही स्कूल की मरम्मत के लिए बार -बार आने वाले लाखों रुपए से ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारी हर बार मोटी रकम अपने पास रख लेते हैं और दिखावे का काम कर वाह वाही बटोरते हैं.

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लिए नौ लाख काम किया बहुत सस्ता

नौ लाख रुपए में पूरे स्कूल भवन के छत के लेंटर को ठीक किया जा सकता है लेकिन अधिकारी ने काम की स्वीकृति में छत की ढलाई न करते हुए सिर्फ टीन के शेड लगाने का ठेका प्रस्तावित किया. ठेकेदार विशेष गुप्ता और छोटे भाई ने मिलकर नगर पंचायत सीएमओ के निर्देश पर अपना काम शुरू कर दिया. गजब की बात तो यह सामने आई कि जिस काम के लिए जिला प्रशासन ने लगभग 9 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं. उस काम को ठेकेदार ने बहुत सस्ते दाम में करा लिया.

मरम्मत के पैसों से बन जाती नई बिल्डिंग

स्थानीय लोगों के मुताबिक जिला प्रशासन ने अब तक इस स्कूल भवन में मरम्मत के लिए जितना खर्चा किया है उतने पैसों से एक और नई बिल्डिंग खड़ी की जा सकती है. इसके बावजूद भी जवाबदार अधिकारी अपने स्वार्थपूर्ण  इरादों से  समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकालते, बल्कि हर साल इसे अपने कमाई का जरिया बनाते हैं. मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने डीएमएफ मद से जर्जर स्कूल भवन के मरम्मत कार्य के लिए साल 2024-25 में लगभग 9 लाख रूपए स्वीकृत किए. प्रशासन ने इस काम का जिम्मा नगर पंचायत कोटा को दिया. जहां जवाबदार नगर पंचायत सीएमओ और अध्यक्ष ने अपने चहेते ठेकेदार को मरम्मत कार्य सौंप दिया.

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