खेतों के लिए बनी नहर से खुद किसान परेशान, आग-बबूला होकर कलेक्टर से की ये मांग

Chhattisgarh : भ्रष्टाचार के सहारे बनी ये नहर अब किसानों की मदद करने के बजाय उनके लिए नई समस्याएं खड़ी कर रही है. भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण के कारण योजना पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ग्रामीणों का सवाल है कि इस समस्या का समाधान कब मिलेगा ?

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खेतों के लिए बनी नहर से खुद किसान परेशान, आग-बबूला होकर कलेक्टर से की ये मांग

Chhattisgarh News : कोण्डागांव जिले के दोन्डेरापाल गांव में किसानों के लिए केनाल यानी कि नहर बनाने का काम चल रहा है लेकिन इस परियोजना में भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण की पोल खुल चुकी है. जल संसाधन विभाग की तरफ से बनवाए जा रहे इस केनाल को बनाने का मकसद है - खेती को बढ़ावा देना. लेकिन ये योजना अब किसानों के लिए परेशानी का कारण बन गई है.  गांव के किसानों का कहना है कि यह केनाल खेतों तक पानी पहुंचाने में असफल रहेगा. इसका कारण यह है कि खेतों की ऊंचाई केनाल से 3 से 5 फीट ज्यादा है. ऐसे में पानी बहकर खेतों तक नहीं पहुंच पाएगा.

क्या बोले किसान ?

इसे लेकर ग्रामीणों ने निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने बताया कि हल्की सी लकड़ी से कुरेदने पर सीमेंट उखड़ रहा है और कंक्रीट हाथ से मसलने पर पाउडर बन जा रही है. ऐसे सबसे बड़ा सवाल है कि ये घटिया निर्माण से ये केनाल कितने दिन टिकेगा ?

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बड़े आंदोलन की दी चेतावनी

ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से यह घटिया काम किया जा रहा है. किसानों ने बताया कि नहर का निर्माण सरकार की योजना के तहत हो रहा है लेकिन अधिकारियों और ज़िम्मेदारियों को कोई सरोकार नहीं है. इस पर किसी का ध्यान नहीं गया है. ऐसे में किसान बेहद परेशान हैं और आने वाले दिनों में बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं.

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मामले में बढ़ते विवाद को देखते हुए जिला कलेक्टर कुणाल दुदाबत ने संज्ञान लिया है. कलेक्टर ने अधिकारियों की एक टीम बनाकर निर्माण कार्य की जांच कराने का आदेश दिया है. 

नहर में भ्रष्टाचार उजागर

ऐसे में ये नहर किसानों की मदद करने के बजाय उनके लिए नई समस्याएं खड़ी कर रही है. भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण के कारण योजना पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ग्रामीणों का सवाल है कि इस समस्या का समाधान कब मिलेगा ? गांव के किसानों की मांग है कि योजना को ठीक से लागू किया जाए और जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई हो. 

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