Christmas 2023: मसीही समाज ने धूमधाम से मनाया क्रिसमस, प्रेम, एकता  और भाईचारे का दिया संदेश

Happy Christmas 2023 wishes: क्रिसमस के मौके पर प्रेम, एकता और मेल-मिलाप के संदेश के बाद केक काटा गया और लोगों ने एक-दूसरे को मैरी क्रिसमस कहकर पर्व की शुभकामनाएं दी. इसे देखकर ऐसा लगा कि मानो प्रभु यीशु अपने साथ खुशियों की सौगात लेकर आए हैं.

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Christmas day 2023: छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के गिरजाघरों में रविवार-सोमवार की आधी रात को प्रभु यीशु के जन्म लेते ही खुशियां, प्रेम और शांति का आगमन हुआ. रविवार रात ठीक 12 बजे प्रभु यीशु मसीह ने चरनी में जन्म लिया. कई रंगों की रोशनी से जगमग गिरजाघर में प्रभु यीशु मसीह का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. धर्मगुरुओं ने प्रभु यीशु के जन्म का संदेश दिया.

प्रेम, एकता और मेल-मिलाप के संदेश के बाद केक काटा गया और लोगों ने एक-दूसरे को मैरी क्रिसमस कहकर पर्व की शुभकामनाएं दी. इसे देखकर ऐसा लगा कि मानो प्रभु यीशु अपने साथ खुशियों की सौगात लेकर आए हैं.

 गौशाले में हुआ प्रभु यीशु का जन्म

क्रिसमस के लिए कैथोलिक चर्च रामपुर में आकर्षक चरनी सजाई गई थी. प्रभु यीशु के जन्म प्रसंग का चित्रण करते हुए इसमें माता मरियम और उद्धारकर्ता के आने की खुशियां मनाते हुए लोगों की झांकी दिखाई गई. प्रभु यीशु का जन्म गौशाले में हुआ, जहां उन्हें चरनी में रखा गया था. रामपुर चर्च, मिशन कॉलोनी स्थित ईएल चर्च, चिरमिरी के गोदरीपारा ईएल चर्च, हल्दीबाड़ी चर्च और ग्राम सरभोका स्थित चर्च में शाम 7 बजे से ही मसीही जनों की चहल-पहल शुरू हो गई थी. इस दौरान रंग बिरंगी रोशनी के बीच सांता क्लॉज बच्चों को उपहार बांटते नजर आए.

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शांति और भाईचारे का दिया गया संदेश

प्रभु यीशु के जन्म लेते ही खुशियों का दौर शुरू हो गया. सैकड़ों की संख्या में समाजजनों ने देर रात तक चरनी में जन्में प्रभु यीशु व चर्च में स्थापित माता मरियम की प्रतिमा के सामने मोमबत्तियां जलाकर आराधना की और आशीष भी लिया. वहीं, कैरोल गीत के माध्यम से युवाओं ने शांति, भाईचारा और क्रिसमस के आगमन का संदेश दिया. क्रिसमस के अवसर पर रविवार को मिशन कॉलोनी ईएल चर्च में सुबह 9 बजे से विशेष प्रार्थना की गई. वहीं, जिलेभर के चर्चों में प्रार्थना सभा के साथ सामूहिक भोजन कर क्रिसमस का पर्व मनाया गया.

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आपको बता दें कि अविभाजित कोरिया जिले में सबसे पुराना चर्च चिरमिरी के छोटा बाजार में है. यहां ईएलसी चर्च की स्थापना 55 साल पहले हुई थी. बिलासपुर से हर सप्ताह पास्टर यहां प्रार्थना सभा के लिए आते थे. मसीही समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि चर्च की स्थापना 1968 में हुई थी. यह अविभाजित कोरिया जिले के सबसे पुराने चर्च में से एक माना जाता है. क्रिसमस के अवसर पर समाजजन यहां भी आराधना के लिए पहुंचे.

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