Chhattisgarhi News: जहां कभी फटते थे बम, चलती थी गोलियां, अब उस अबूझमाड़ में लाइट, कैमरा-एक्शन, जानें ऐसा क्या हो रहा

कभी लाल आतंक (Naxal violence) के लिए कुख्यात अबूझमाड़ में अब फिल्म की शूटिंग (Film Shooting) हो रही है. यहां छालीवुड (challywood) एक्टर-डायरेक्टर अमलेश (Chhattisgarhi actor-director Amlesh Nagesh) की नई फिल्म ‘Danda Kodum’ की शूटिंग चल रही है. फिल्म बस्तर के कल्चर (Culture), आदिवासी लाइफ (Tribal Life) और यहां के बदले माहौल (Peaceful Transformation) को दिखाएगी.

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chhattisgarh challywood News: कभी नक्सल हिंसा की आग में झुलसने वाला छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ अब फिल्मी कैमरों की चमक से जगमगा रहा है. यहां छालीवुड अभिनेता-निर्देशक अमलेश नागेश की नई फिल्म ‘दण्डा कोड़ूम' की शूटिंग शुरू हो चुकी है. यह बदलाव उस इलाके की नई कहानी कहता है जहां कभी बम और बंदूकों की गूंज सुनाई देती थी.

दरअसल, नारायणपुर जिले के मसपुर गांव में इन दिनों एक अलग ही माहौल है. जहां कभी नक्सलियों के डर से लोग घरों में कैद रहते थे, अब वहीं कैमरा, एक्शन और कट की आवाजें गूंज रही हैं. फिल्म ‘दण्डा कोड़ूम' का अर्थ है बस्तर का जंगल. यह वही मसपुर गांव है जहां दस महीने पहले नक्सलियों ने एक ग्रामीण की हत्या कर दी थी, क्योंकि उसने मीडिया में सरकार के विकास कार्यों की सराहना की थी. लेकिन अब पुलिस कैंप और सुरक्षा व्यवस्था ने हालात बदल दिए हैं.

फिल्म से उभर रहा है बस्तर का असली चेहरा

फिल्म के अभिनेता और निर्देशक अमलेश नागेश का कहना है कि ‘दण्डा कोड़ूम' बस्तर की मिट्टी, हवा, जंगल और लोगों की आत्मीयता को पर्दे पर जीवंत करेगी. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि आदिवासी जीवन, उनकी संस्कृति और संघर्ष को यथार्थ रूप में दिखाया जाए. शूटिंग से पहले जिला प्रशासन, पुलिस और बारह ग्रामसभाओं से अनुमति ली गई. स्थानीय लोगों ने भी सहयोग किया और लगातार कर रहे हैं. 

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बस्तर और अबूझमाड़ को नई पहचान मिलने की उम्मीद

अबूझमाड़ के लोगों ने फिल्म टीम का खुले दिल से स्वागत किया. अमलेश नागेश बताते हैं कि यहां के लोग बेहद सहज और सहयोगी हैं. उन्होंने कहा, इस क्षेत्र की हवा-पानी मन को नई ऊर्जा देती है. फिल्म से उम्मीद है कि बस्तर और अबूझमाड़ को राष्ट्रीय पटल पर एक नई पहचान मिलेगी. ये हिंसा नहीं, बल्कि संस्कृति, कला और सौहार्द की पहचान होगी.

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कला से लिखी जाएगी शांति की नई कहानी

छत्तीसगढ़ी फिल्म अभिनेता अमलेश नागेश ने कहा कि अबूझमाड़ में फिल्म शूटिंग न सिर्फ विकास की मिसाल है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि यहां अब अमन और आशा का दौर शुरू हो चुका है. ‘दण्डा कोड़ूम' यह दिखाने की कोशिश है कि कैसे कला और संस्कृति के माध्यम से सशस्त्र नक्सलवाद के आखिरी अध्याय को खत्म कर एक नया भविष्य लिखा जा सकता है. हम बस्तर की मिट्टी और उसके लोगों की सच्ची कहानी दिखाना चाहते हैं. अबूझमाड़ की हवा में अब डर नहीं, उम्मीद की खुशबू है.

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