छत्तीसगढ़ के मस्जिदों में तकरीर से पहले परमिशन पर घमासान ! ओवैसी बोले- हमें दीन ना समझाएं BJP वाले

छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड द्वारा मस्जिदों में जुमे की तकरीर देने के पहले अनुमति लेने के आदेश पर सियासत तेज हो गई है. मुतवल्लियों से लेकर पूर्व वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन ने आदेश को गलत ठहराया है. ओवैसी ने भी इस फरमान का विरोध किया है. BJP ने भी इस पर पलटवार किया है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Chhattisgarh Waqf Board: छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के एक फैसले से राज्य की सियासत गर्म हो गई है. दरअसल  छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ.सलीम राज (Dr. Salim Raj) ने मौखिक निर्देश जारी किए हैं कि राज्य की मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद होने वाली तकरीर यानी बातचीत के विषय के लिए वक्फ बोर्ड से इजाजत लेनी होगी. बोर्ड अध्यक्ष ने कहा है कि जो भी मुतवल्ली (मस्जिद के प्रबंधक) इसका पालन नहीं करेगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. डॉ.सलीम राज के इस निर्देश का राज्य के अंदर और बाहर दोनों जगहों से विरोध शुरू हो गया है. AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि क्या अब भाजपाई हमें बताएंगे की दीन क्या है? अब अपने दीन पर चलने के लिए इनसे इजाज़त लेनी होगी? इस पर बीजेपी की ओर से CM साय ने पलटवार करते हुए कहा है- आप यहां अपनी नाक न घुसाएं, यह हमारे प्रदेश का आपसी विषय है.

बता दें कि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ.सलीम राज ने रविवार को ये निर्देश जारी किए थे.

डॉ सलीम का कहना है कि मस्जिदों को राजनीति का अड्डा बनने से रोकने के लिए ये आदेश जारी किया गया है. उनके पास शिकायत आई थी कि मस्जिदों में मुतवल्लियों के द्वारा राजनीतिक भाषण दिया जा रहा है. इसमें CAA के खिलाफ बातें हो रही हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मुसलमानों का दुश्मन बताया जा रहा है.

उनके तकरीरों में वक्फ बिल का विरोध भी किया जा रहा है. डॉ सलीम ने NDTV से कहा कि मस्जिद धार्मिक बातों के लिए है न कि सियासी बातों को करने के लिए. इसी को देखते हुए ये फैसला लिया गया है. 

Advertisement

इस मसले पर सबसे पहले विरोध किया छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सलाम रिजवी ने. उन्होंने NDTV से कहा- बोर्ड का ये आदेश अवैधानिक है. बोर्ड का काम वक्फ की संपत्ति को संरक्षित करना है न की ऐसे निर्देश जारी करना. सलाम रिजवी ने सवाल उठाया है कि प्रदेश में 5 हजार मस्जिदें हैं. अगर सभी मस्जिद अपने बयान के लिए अनुमति मांगने लगेंगे तो क्या बोर्ड के पास इतना स्टाफ है कि वो इस पर विचार कर सके. क्या बोर्ड के पास इतने मुफ्ती हैं जो इसे पढ़कर अनुमति दे पाएं. बोर्ड के फैसले पर पारस नगर मस्जिद के मुतवल्ली अरशद अशरफी का कहना है कि ये फैसला गलत है. मस्जिद में दीन की बात होती है अगर किसी तरह के राजनीतिक बयानों की उनके पास जानकारी है तो वे उसे सार्वजनिक करें. 
दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस आदेश के विरोध में पोस्ट किया है.

Advertisement
ओवैसी ने लिखा है कि  छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का वक़्फ़ बोर्ड चाहता है के जुम्माह का खुतबा देने से पहले खतीब अपने खुतबे की जांच वक़्फ़ बोर्ड से करवायें और बोर्ड की इजाज़त के बिना खुतबा ना दें.अब भाजपाई हमें बतायेंगे के दीन क्या है?

क्या अब अपने दीन पर चलने के लिए इनसे इजाज़त लेनी होगी? वक़्फ़ बोर्ड के पास ऐसी कोई क़ानूनी ताक़त नहीं, अगर होती भी तो वो संविधान के दफा 25 के ख़िलाफ़ होती.

Advertisement

ओवैसी के पोस्ट पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने पलटवार किया है. उन्होंने भी X पर ही जवाब लिखा है. उन्होंने लिखा कि  पहली बात तो ये है कि वक्फ बोर्ड किसी सरकार के सीधे अधीन नहीं होता. छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड में मौजूद अधिकतर सदस्य कांग्रेस सरकार के समय नियुक्त किए गए थे. इस बोर्ड में ओवैसी से बड़े दीनी होंगे. दीन और ईमान के बारे में बोर्ड को आपसे सीखने की जरुरत नहीं है. पंकज झा ने ये भी लिखा कि तारीख गवाह है कि मस्जिद से दी गयी तकरीरों के कारण अनेक बार फसाद हुए हैं.लोगों के घर-बार उजड़े हैं.ऐसे में यदि किसी बोर्ड के अध्यक्ष को ऐसा लगता है तो इसमें हर्ज क्या है. छत्तीसगढ़ में संविधान किसी भी मजहब से ऊपर माना जाता है. लिहाजा आप आर्टिकल 25 की धमकी कहीं और दीजिए.

ये भी पढ़ें: ये क्या हो रहा है? BJP ने जिन्हें बनाया WhatsApp प्रमुख, अब तक वही नहीं जुड़े किसी ग्रुप से