छत्तीसगढ़ के आद‍िवासी लड़कों ने हिमाचल की बर्फीली चोटियों पर रचा इत‍िहास, क्‍या है विष्णु देव रूट?

Chhattisgarh News: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की Jagatsukh Peak पर Chhattisgarh के आदिवासी पर्वतारोहियों ने नया Alpine Route खोला है. इस रूट का नाम मुख्यमंत्री Vishnu Dev Sai के नाम पर रखा गया — ‘Vishnu Dev Route’. यह कामयाबी जशपुर जिले के युवाओं की हिम्मत और हुनर को दर्शाती है.

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Chhattisgarh Tribal Mountaineers:  हिमाचल प्रदेश के मनाली के पास स्थित दूहंगन घाटी. 5,340 मीटर ऊंची जगतसुख पीक, जहां दूर-दूर तक बर्फ की मोटी चादर बिछी है. नश्तर-सी चुभती सर्द हवाएं चलती हैं. आगे धुंधला-सा नजारा है. कदम-कदम पर मौत का डर. ग्लेशियरों की छिपी दरारें हैं. न फिक्स रोप और न ही कोई सपोर्ट स्टाफ. इन सबके बावजूद छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले पर्वतारोहियों ने कमाल कर दिखाया है. 

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Vishnu Dev Route: छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के आदिवासी युवाओं ने ‘पहाड़ से हौसलों' के दम पर जगतसुख पीक पर एक नया आल्पाइन रूट खोलने में कामयाबी हासिल की है. खास बात यह है कि इस नए मार्ग का नाम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नाम पर 'विष्णु देव रूट' रखा गया है. नामकरण मुख्यमंत्री की पहल के प्रति सम्मान के रूप में किया गया है.

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आल्पाइन शैली में चढ़ाई करना अत्यंत कठिन

दरअसल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर जशपुर जिला प्रशासन ने सितंबर 2025 में पहाड़ी बकरा एडवेंचर के सहयोग से यह अभियान शुरू किया था. हिमालय प्रदेश के पहाड़ों पर आल्पाइन शैली में चढ़ाई करना अत्यंत कठिन माना जाता है. इसे पूरा करने में आमतौर पर काफी समय लगता है, लेकिन छत्तीसगढ़ के आदिवासी युवाओं ने बेस कैंप से महज 12 घंटे में चढ़ाई पूरी कर दी.

देशदेखा क्लाइम्बिंग एरिया में प्रशिक्षण

छत्तीसगढ़ के पांच पर्वतारोहियों ने पहली बार हिमालय पर चढ़ाई करने का साहस दिखाया. इन्हें देशदेखा क्लाइम्बिंग एरिया में प्रशिक्षण दिया गया था. बिलासपुर के पर्वतारोही स्वप्निल राचेलवार, न्यूयॉर्क (USA) के रॉक क्लाइम्बिंग कोच डेव गेट्स, और रनर्स XP के निदेशक सागर दुबे ने इन युवाओं को हिमालय की जगतसुख पीक फतह करने के लिए मानसिक, शारीरिक और तकनीकी प्रशिक्षण दिया. दो माह की तैयारी और 12 दिन के अभ्यास के बाद इन युवाओं ने पहाड़ को भी चुनौती दे डाली. 

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सात नए क्लाइम्बिंग रूट भी खोले

बताया गया कि छत्तीसगढ़ के युवाओं ने हिमाचल प्रदेश की दूहंगन घाटी में ‘विष्णु देव रूट' के अलावा सात नए क्लाइम्बिंग रूट भी खोले हैं. इनमें वह रास्ता भी शामिल है, जिससे होकर पहले कभी किसी पर्वतारोही ने चढ़ाई नहीं की थी. 5,350 मीटर ऊँची इस चोटी की सफल चढ़ाई के बाद टीम ने उसे ‘छुपा रुस्तम पीक' नाम दिया है. चढ़ाई के इस मार्ग को ‘कुर्कुमा (Curcuma)' नाम दिया गया है. 

गांवों में भी विश्वस्तरीय पर्वतारोही

अभियान का नेतृत्व करने वाले स्वप्निल राचेलवार ने बताया कि तमाम मौसमी चुनौतियों को मात देकर इस तरह से चढ़ाई करना ही असली आल्पाइन शैली है. यह कामयाबी इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि यदि सही मार्गदर्शन, अवसर और संसाधन मिले तो भारत के सुदूर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों से भी विश्वस्तरीय पर्वतारोही तैयार हो सकते हैं.

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अभियान में स्वप्निल राचेलवार के साथ राहुल ओगरा और हर्ष ठाकुर सह-नेता रहे. जशपुर के पर्वतारोही दल में रवि सिंह, तेजल भगत, रुसनाथ भगत, सचिन कुजुर और प्रतीक नायक शामिल थे. अभियान की सफलता पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा-“भारत का भविष्य गांवों से निकलकर दुनिया की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है.”