Ambikapur News: आर्थिक तंगी की मार झेल रहा अम्बिकापुर नगर निगम (Ambikapur Municipal Corporation) अपने पार्षदों को पिछले आठ महीने से मानदेय देने में जहां एक ओर नाकाम है तो वहीं दूसरी ओर निगम के कर्मचारियों को भी दो महीने वेतन नहीं मिला है. निगम के खस्ताहाल के कारण अब निर्माण कार्य से लेकर सफाई कार्यों पर भी इसका असर दिखाई देना भी शुरू हो गया हो गया है. जानकारों की मानें तो समय रहते अगर निगम की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरी तो आने वाले समय में काफी गंभीर समस्या पैदा हो सकती है.
दरअसल अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा नगर निगम है जिसका बजट सालाना लगभग 150 करोड़ के आसपास है. वहीं लगभग ढाई लाख आबादी वाले इस निगम के अंतर्गत वर्तमान में 48 वार्ड आते हैं. अम्बिकापुर नगर निगम मैनपावर से लेकर अत्याधुनिक मशीनरी से परिपूर्ण है. लेकिन प्रदेश में कांग्रेस के शासनकाल से ही राजनीतिक उठा-पटक के कारण अम्बिकापुर नगर निगम के साथ सौतेला व्यवहार किया गया जिसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया.
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महापौर ने कहा- जल्द दुरुस्त हो जाएगी व्यवस्था
प्रदेश में सरकार बदलने के बाद भी अम्बिकापुर नगर निगम की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका है बल्कि अब स्थिति ओर खराब होने लगी है. हालांकि भाजपा के पार्षद इसके लिए पिछली सरकार की कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराते हैं. अम्बिकापुर नगर निगम के महापौर डॉ अजय तिर्की का कहना है कि अम्बिकापुर निगम क्षेत्र में कोई भी बड़ा व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं है, जिसके कारण क्लेकस सीमित है जबकि सब एस्टेब्लिशमेंट खर्च ज्यादा है. राज्य सरकार को मांग अनुसार पत्र भेजा गया है. सरकार बनने के बाद अब कामकाज शुरू हो गया है. जल्द ही सभी व्यवस्था ठीक होने की उम्मीद है.
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कर्मचारी संघ ने सरकार पर लगाया 'असहयोग' का आरोप
वहीं निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष हरिकेश कुशवाहा का कहना है कि अम्बिकापुर नगर निगम में एक हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं जिनको समय पर वेतन नहीं मिलता है. वर्तमान में दिसंबर का वेतन बकाया है. वहीं जनवरी माह भी अब समाप्त होने वाली है. उनका कहना यह भी है कि राज्य सरकार की तरफ से कोई भी सहयोग नहीं मिलना भी इसका प्रमुख कारण है. कांग्रेसी पार्षद दीपक मिश्रा की मानें तो हाल में प्रदेश के नगर निकाय मंत्री अरुण साव ने प्रदेश भर के निगम कमिश्नरों की बैठक बुलाई थी जिसमें अम्बिकापुर के भी कमिश्नर गए थे लेकिन सभी खाली हाथ लौटे हैं.