MBBS और BDS प्रवेश में सशस्त्र बल कोटा से छेड़छाड़ पर सीजी हाईकोर्ट सख्त, केंद्र सरकार से जवाब किया तलब

Chhattisgarh High Court on Reservation Case: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एमबीबीएस और बीडीएस में प्रवेश के लिए सशस्त्र बल कोटा मामले में सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मामले में जवाब तलब किया है.

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

Chhattisgarh High Court: एमबीबीएस और बीडीएस में एडमिशन के लिए दिए जाने वाले विशेष सशस्त्र बल (रक्षा/पूर्व सैनिक) कोटा हटाने और मनमाना वर्गीकरण के खिलाफ दाखिल याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. अदालत ने भारत सरकार को 28 अगस्त तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति विभू दत्त गुरु की युगलपीठ ने इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को की. सुनवाई में याचिकाकर्ता भूमिका श्रीवास, उनके अधिवक्ता आशुतोष त्रिवेदी, उप महाधिवक्ता रमाकांत मिश्रा और भारत सरकार की ओर से उप सॉलिसिटर जनरल मौजूद रहे.

याचिकाकर्ता ने दी ये दलील

केस में याचिकाकर्ता ने कहा कि वह NEET-UG 2025 की मेधावी उम्मीदवार हैं और सशस्त्र बल कोटे के तहत प्रवेश चाहती हैं. अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सशस्त्र बल कोटा एक स्वतंत्र श्रेणी है, जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों की सेवाओं को मान्यता देना और उनके बच्चों को लाभ देना है. इस कोटे के भीतर जाति या समुदाय आधारित उप-वर्गीकरण न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है. सशस्त्र बल कोटे में प्रवेश केवल प्राथमिकता-आधारित प्रणाली से होना चाहिए.

यह मामला अब 29 अगस्त 2025 को आगे विचार के लिए सूचीबद्ध किया गया है,कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह अगली सुनवाई तक संबंधित नीति का रिकॉर्ड भी प्रस्तुत करें.

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अदालत का कोटे को लेकर रुख

हाईकोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे सशस्त्र बल कोटे के अंतर्गत प्राथमिकता-आधारित आवंटन प्रणाली का पालन सुनिश्चित करें और जाति आधारित उप-वर्गीकरण लागू न करें. भारत सरकार के अधिवक्ता ने अदालत से समय मांगा, जिस पर पीठ ने कहा कि यदि कोई स्वीकारोक्ति की जाती है, तो वह याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगी.

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